रांची : झारखंड की राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि झारखंड के लोग खेल के क्षेत्र में अत्यंत निपुण हैं. कई खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है. इसलिए इस नयी शिक्षा नीति में इनकी रूचि को देखते हुए इस प्रकार के खेल को भी कोर्स के अंतर्गत लाकर उनकी दक्षता को अौर निपुण एवं प्रखर किया जा सकता है. इस क्रम में झारखंड जैसे राज्य में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा सकती है.
इस नीति में मातृषाभा को ध्यान में रखा गया है, जो झारखंड जैसे राज्य के लिए वरदान है. इसके लागू होने के बाद यहां के विद्यार्थी भाषायी कारणों से पीछे नहीं रहेंगे. यहां भौगोलिक, भाषायी, रीति-रिवाज में भिन्नता है. झारखंड में 32 प्रकार तथा अोड़िशा के 62 प्रकार के जनजातीय समुदायों को मिला कर पूरे भारत में 700 प्रकार के जनजातीय समुदाय के लोग लगभग 10 से 11 करोड़ की संख्या में निवास करते हैं.
यदि हम मातृभाषा के लिए जनजातीय भाषा का चयन आबादी के अनुसार करें, तो अत्यंत उपयुक्त होगा, क्योंकि 700 भाषाअों में पाठ्यक्रम तथा पुस्तकों की व्यवस्था करने में समय लग सकता है. वर्तमान में इस राज्य में छात्र-शिक्षक अनुपात अपेक्षा अनुरूप नहीं है. शिक्षकों के कई पद रिक्त हैं, लगभग 12 वर्षों से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. शिक्षकेतर कर्मचारी की भी कमी है. इस नीति के ध्येय को पूरा करने के लिए इनकी नियुक्ति आवश्यक है. विद्यार्थियों के हित में वर्तमान में गेस्ट फैकल्टी या अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है.
श्रीमती मुर्मू ने सोमवार को न्यू एजुकेशन पॉलिसी : ट्रांसफॉर्मिंग इन हायर एजुकेशन विषय पर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के साथ आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग में अपनी बातें रखीं. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई अधिकारी व विवि के कुलपति भी उपस्थित थे. राज्यपाल ने कहा कि नीति में भाषायी स्वतंत्रता के कारण जनजातीय क्षेत्रों की मुख्य समस्या उनकी बोल-चाल/रूचि की भाषा एवं शिक्षा की भाषा अलग रहने के कारण विद्यार्थियों में आकर्षण का अभाव देखा गया है.
विभिन्न जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में बहुभाषा शिक्षा नीति आरंभ होने के बावजूद आशा के अनुरूप सफलता अर्जित नहीं हो पायी है. इसका मुख्य कारण योग्य शिक्षकों का अभाव है. वैसे योग्य शिक्षकों के निर्माण के लिए आवश्यक है कि जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों के उस भाषा के मेधावी विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप प्रदान कर उन्हें टीचर ट्रेनिंग देने की व्यवस्था की जाये.
मातृभाषा के लिए जनजातीय भाषा का चयन आबादी के अनुसार करना उपयुक्त रहेगा
जनजातीय क्षेत्रों के उस भाषा के मेधावी विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप देकर टीचर ट्रेनिंग की व्यवस्था हो
छात्र-शिक्षक अनुपात सही करने के लिए नियुक्ति जरूरी है
Posy by : Pritish Sahay