मधुश्रावणी 2023 : मधुश्रावणी मिथिलांचल के लोगों का लोकपर्व है, जो नव-विवाहिताओं के लिए होता है. यह ऐसा पर्व है जिसे जीवन में एक बार ही किया जा सकता है. मैथिल संस्कृति के अनुसार शादी के पहले साल के सावन माह में नव विवाहिताएं मधुश्रावणी का व्रत रखतीं हैं. मैथिल समाज की नव विवाहिताओं के घर मधुश्रावणी का पर्व विधि-विधान से होता है. इस दौरान वह ससुराल से भेजे गये वस्त्र, भोजन और पूजन सामग्रियों का उपयोग करती हैं. मधुश्रावणी पर्व में बासी फूल से पूजा करने की विधान है. पूरे पर्व के दौरान शाम को नव विवाहिताएं फूल चुनने जाती है. और सुबह उसी फूल से भगवान की पूजा करती हैं. शनिवार को टेमी दागने के साथ मधुश्रावणी का समापन हुआ. हालांकि, टेमी दागने की प्रथा सभी समाज में नहीं होती, लेकिन एक बड़े तबके में टेमी दागने की प्रथा है. यह पर्व नवविवाहिताएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं. मधुश्रावणी में विशेषकर नाग देवता की पूजा की जाती है. कहते हैं कि नाग देवता उन्हें अखंड सौभाग्य का वचन देते हैं. मधुश्रावणी के अंतिम दिन नवविवाहिताएं ईश्वर से पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और पूजा के दौरान हुई गलती के लिए क्षमा मांगती हैं. प्रसाद वितरण के बाद पूजा में प्रयुक्त फूल आदि को नदी-तालाबों में विसर्जित कर दिया जाता है.
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VIDEO: मधुश्रावणी 2023, अखंड सौभाग्य के लिए नवविवाहिताओं ने की नाग देवता की पूजा
VIDEO : मिथिला का प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी अमूमन 15 दिनों तक चलता है, लेकिन इस बार मलमास के कारण यह पर्व 46 दिनों तक चला. मधुश्रावणी पर्व में बासी फूल से पूजा करने की विधान है.
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