हिंदी सिनेमा की समर्थ अभिनेत्रियों में शुमार अभिनेत्री विद्या बालन एक लम्बे अंतराल के बाद सिनेमाघरों में वापसी की है. बीते शुक्रवार को उनकी फिल्म नीयत ने सिनेमाघरों में दस्तक दी है. वह अपनी इस मर्डर मिस्ट्री फिल्म के विजुवल्स को खास बताते हुए कहती हैं कि यह बड़े पर्दे पर प्रभावी ढंग से सामने आएगा. मुझे उम्मीद है कि लोग इस फिल्म को सिनेमाघर में आकर देखेंगे. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
क्या वजह थी जो आपने नीयत को हां कहा ?
मुझे इस फिल्म का क्लासिक मर्डर मिस्ट्री का जॉनर बहुत पसंद आया. मैंने पिछले कुछ वर्षों में इस जॉनर में बहुत कुछ देखा है. अनु मेनन वह हैं, जिनके साथ फिल्म शकुंतला में मेरे कामकाजी रिश्ते बहुत अच्छे रहे थे और उन्होंने मुझे जब यह फिल्म ऑफर की, तो मैं मना नहीं कर पायी. फिल्म की कहानी एक कैसल में सेट की गयी है. खास बात है कि स्कॉटलैंड के डनबीट में हमें हूबहू वैसी जगह मिल भी गयी. वैसे वहां शूटिंग करना आसान नहीं था. हवा बहुत तेज़ थी और ठण्ड भी बहुत थी. वहां शूटिंग करना मुश्किल था. मैं पूरी तरह ढकी हुई थी, लेकिन बाकी लोग नहीं ढके हुए थे.
फिल्म में आपका लुक काफी अलग है, बैंग्स हेयरकट में आप नजर आ रही हैं ?
मैं हमेशा से इस लुक को आज़माना चाहती थी लेकिन कभी ऐसा करने की हिम्मत नहीं हुई. सोचा कि अगर कटवा लिया और अच्छा नहीं लगा तो. शूटिंग के दौरान लुक के लिए आप अपने बालों में एक पैच जोड़कर ये लुक प्मैं सकते हैं, तो यही मेरे साथ हुआ. निर्देशिका अनु मेनन को लगा कि इस हेयरकट से मैं बिलकुल अलग दिखूंगी और हुआ भी यही.
इस फिल्म को बनने में काफी समय लग गया ?
इस फिल्म में बहुत सारे वीएफएक्स थे और अनु लंदन में रहती हैं. पोस्ट प्रोडक्शन का काम वहीं से हो रहा था. अनु किलिंग मी करके अपने एक प्रोजेक्ट पर भी बिजी थी इसलिए थोड़ा ज़्यादा समय लग गया.
क्या आपके किरदार आपकी सोच को भी प्रभावित करते हैं ?
सच कहूं तो हर किरदार मुझ में कुछ ना कुछ छोड़ गया है. डर्टी पिक्चर के साथ मैं अपने शरीर के साथ सहज हो गई. शकुंतला देवी फिल्म में एक डायलॉग है. “यदि आप अद्भुत बन सकते हैं तो सामान्य क्यों बनें.” ये चीजें मुझ पर असर डालती हैं. यह मुझे सोचने पर मजबूर करती है कि मुझे अद्भुत बनना है.
हमेशा अद्भुत ऑफर मिलना आसान नहीं होता है , खासकर मौजूदा दौर में जब टिकट खिड़की पर फिल्में कुछ खास नहीं कर पा रही हैं ?
हां बिल्कुल,इंडस्ट्री कठिन दौर से गुजर रही है. लोग अधिक सतर्क हो गए हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह की फिल्में बनेंगी और क्या चलेंगी. यही वजह है कि मैंने भी अभी तक किसी भी फिल्म को साइन नहीं किया है.
आपके पति सिद्धार्थ निर्माता है क्या इंडस्ट्री के बदलते समीकरण को देखते हुए आप अब सिद्धार्थ के साथ फिल्में करेंगी?
नहीं, मेरा फैसला कल भी ये था और आज भी यही रहेगा. मुझे लगता है कि यह शादी के लिए ज़रूरी है. सेट पर रचनात्मक मतभेद होते हैं और आप इसे अपने साथ घर ले जाते हैं और यही शादी में परेशानी लाता है. मुझे लगता है कि शादी बहुत पवित्र है, मैं इसको इसी तरह से रखना चाहूंगी.
क्या खुद निर्माता निर्देशक बनने के बारे में सोचती है ?
मुझे लगता है कि यह मुझसे नहीं हो पायेगा. मैंने बस एक शार्ट फिल्म प्रोड्यूस की है.
फिल्मों के अलावा क्या कुछ और सीखने का मन होता है ?
बहुत कुछ सीखना चाहती हूँ. मैं तैराकी सीखना चाहती हूं. मैं घुड़सवारी सीखना चाहती हूं या कोई वाद्य यंत्र लेकिन सीखना चाहती हूं, कर नहीं पाती हूं.
चर्चा है कि आप मणिरत्नम की फिल्म कर रही हैं?
मेरी मां ने भी मुझे फोन किया और मुझसे पूछा कि क्या तुम मणिरत्नम की फिल्म कर रहे हो, मैंने कहा कि क्या मैं तुम्हें नहीं बताऊंगी, तो ऐसा कुछ नहीं है.
आपका नाम कई बायोपिक्स फिल्मों रहता है?
हां दो फिल्में तो बनते-बनते रह गयी. दरअसल भारत में बायोपिक गेम बहुत पेचीदा है. आपको परिवार से अनुमति लेनी होगी, उसमें फिर बहुत कुछ होता है. किसी की ज़िन्दगी पर किताब छप चुकी है, तो फिर आसान है.
लोकगायिका तीजन बाई की बायोपिक आपको ऑफर हुई है?
हां वो ऑफर हुई है , लेकिन फिलहाल कुछ भी कह पन्ना जल्दीबाजी होगी.