रांची: अवैध खनन मामले में ईडी के गवाह विजय हांसदा ने पहले गलत दावा कर सीबीआइ जांच की मांग से जुड़ी याचिका वापस लेने की कोशिश की. इसके बाद उसने इडी के दूसरे गवाह अशोक और मुकेश के खिलाफ मारपीट करने का आरोप लगाते हुए धुर्वा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. इसके तीसरे ही दिन उसने कोर्ट में धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया.
सूत्रों के मुताबिक, बयान में उसने कहा कि जेल में अशोक यादव और मुंगेरी लाल ने उससे वकालतनामा पर यह कह कर दस्तखत करा लिया कि यह बेल बांड है. इसके बाद उसने इसी के सहारे हाइकोर्ट में एसी-एसटी थाने में दर्ज प्राथमिकी में पुलिस जांच पर असंतोष जताते हुए सीबीआइ जांच की मांग से संबंधित याचिका दायर की. न्यायालय में दिये गये बयान में उसने यह भी कहा है कि जिस दिन उसने आइए दायर कर सीबीआइ जांच से जुड़ी याचिका दायर की थी, उस दिन इडी के एक लंबे से अधिकारी ने उसके खिलाफ जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया था.
यहां यह बात उल्लेखनीय है कि विजय हांसदा ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआइ जांच से जुड़ी मूल याचिका वापस लेने की मांग की थी. इसके लिए यह तर्क दिया था कि उसने यह याचिका दायर नहीं की थी. हांसदा की याचिका पर 17 अगस्त को सुनवाई हुई थी. उसमें न्यायालय ने यह पाया कि सीबीआइ जांच की मांग से संबंधित याचिका हांसदा ने जेल में रहते हुए दायर की थी. इसके लिए वकालतनामा जेल के सक्षम अधिकारियों द्वारा सत्यापित और हस्ताक्षरित किया गया था.
इस वकालतनामा के आधार पर याचिका दाखिल करनेवाले वकीलों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद उसने दूसरे वकील को अपनी पैरवी के लिए नियुक्त किया. इस बात को देखते हुए न्यायालय ने हांसदा द्वारा सीबीआइ जांच की याचिका वापस लेने के लिए दाखिल किया गया आइए रद्द कर दिया. दूसरे दिन अदालत ने अवैध खनन मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया.
विजय हांसदा केस में सीबीआइ जांच के लिए दायर याचिका के पैरवीकार विवेक भगत को पुलिस ने छोड़ दिया है. बीती रात लातेहार पुलिस ने घर से विवेक भगत को उठाया था. सूत्रों के मुताबिक लातेहार पुलिस को सूचना दी गयी थी कि विवेक टीपीसी के लिए काम करता है. राजेंद्र साहू हत्याकांड में उसकी संलिप्तता थी. इसी सूचना पर पुलिस ने लोअर चुटिया स्थित आवास से उसे उठाया था. सोमवार देर शाम लातेहार पुलिस ने विवेक भगत को छोड़ दिया.