बोलपुर, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल के बोलपुर में भूमि विवाद को लेकर विश्व भारती और नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बीच चल रहे विवाद को लेकर विश्व भारती के एक छात्र द्वारा अमर्त्य सेन का समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर दिया . जिसके बाद से विश्व भारती द्वारा उक्त छात्र को निलंबित किए जाने का मामला तुल पकड़ने लगा है. प्रोफेसर-शिक्षक के बाद इस बार स्नातकोत्तर स्तर के ग्रामीण शिक्षा प्रबंधन कार्यक्रम विभाग के प्रदर्शनकारी छात्र सोमनाथ सौ को विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति का कोपभाजन बनना पड़ा. विश्व भारती के छात्र और वामपंथी एसएफआई के सदस्य सोमनाथ सौ को विश्व भारती अधिकारियों ने बुधवार को निलंबित कर दिया.यह नोटिस विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर द्वारा जारी किया गया है.
छात्र को इससे पहले भी कई बार सस्पेंड किया जा चुका है. हाल ही में सोमनाथ ने जमीन विवाद पर अमर्त्य सेन के साथ खड़े होकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. छात्र के खिलाफ जांच कमेटी गठित की गई थी. इस बार फिर सोशल मीडिया पर कई पोस्ट से संबंधित आचरण उल्लंघन का हवाला देते हुए तीसरे सेमेस्टर के छात्र को निलंबित कर दिया गया. तीसरे सेमेस्टर को स्थगित करने का मतलब लगभग एक साल बर्बाद करना है.
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विश्व भारती सूत्रों के मुताबिक, छात्र को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है. प्रदर्शनकारी छात्र के निलंबित से विश्व भारती में जटिलताएं पैदा होने की आशंका है. सोमनाथ के फेसबुक पर अमर्त्य सेन के समर्थन में फेसबुक पोस्ट से लेकर विभिन्न विवादास्पद विषयों पर लिखते भी थे. छात्र को अनुशासनहीनता को लेकर सख्त निर्देश दिया गया था. विश्व भारती का दावा वास्तव में क्या है ? प्राधिकरण के दावे के मुताबिक, छात्र-अनुशासन समिति की बैठक के निर्णय के अनुसार, छात्र ने सोशल मीडिया पर कई विवादास्पद पोस्ट करके आचरण का उल्लंघन किया है.
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विश्व भारती अथवा कुलपति के खिलाफ ‘विरोध’ करने वालों पर गाज गिरती रही है. न केवल छात्र, बल्कि कई प्रोफेसर भी विश्वविद्यालय अधिकारियों के नियंत्रण में हैं. उधर, बर्खास्तगी का नोटिस पाने वाले छात्र सोमनाथ सौ ने शिकायत की कि कुलपति की अवमानना करने की उन्हें यह ‘सजा’ मिल रही है. हालांकि, वे इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे. जरूरत पड़ी तो वे कानून का रास्ता अपनाने से भी नहीं हिचकिचाएंगे.नाम न छापने की शर्त पर विश्व भारती के छात्रों के एक समूह के शब्दों में, “कुलपति पांच साल से तानाशाही चला रहे हैं. उनके खिलाफ कोई भी शब्द बोलने पर निलंबन या कारण बताओ नोटिस दिया जाता है.प्रोफेसरों को भी नहीं छोड़ा गया है. छात्र ने कहा यदि आवश्यक हुआ तो कानून का सहारा लिया जाएगा.
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