वेब सीरीज- तैश
प्लेटफार्म- ज़ी फाइव
निर्देशक- बिजॉय नाम्बियार
कलाकार- हर्षवर्धन राणे, पुलकित सम्राट,जिम सरभ, संजीदा शेख, कृति खरबंदा और अन्य
रेटिंग तीन
निर्देशक बिजॉय नाम्बियार अपनी फिल्मों की कहानी को अलहदा ढंग से कहने के लिए जाने जाते हैं खासकर जिस तरह से उन्होंने अपनी फिल्म शैतान फ़िल्म को प्रस्तुत किया. वह उस थ्रिलर फिल्म को ना सिर्फ अलहदा बल्कि बेहतरीन भी बना गया. तैश में भी शैतान की तरह इंटेंस ड्रामा और ढेर सारे ट्विस्ट टर्न हैं. तैश से भी उसी तरह की शुरुआत में उम्मीद जगती तो है लेकिन वेब सीरीज का जब अंत होता तो वह एक औसत बदले की कहानी वाली सीरीज बनकर रह जाती है.
फ़िल्म की कहानी लंदन के दो परिवारों के बीच है. बरार परिवार और कालरा परिवार।बरार परिवार का क्राइम की दुनिया में बोलबाला है तो कालरा परिवार का बिजनेस है. कालरा परिवार के यहां शादी है. हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि कालरा परिवार का एक मेहमान सनी( पुलकित सम्राट) वजह से बरार परिवार के मुखिया कुल्जिन्दर ( अभिमन्यु सिंह) मौत के मुंह में पहुँच जाता है.
इसके बाद दोनों परिवार के बीच हिंसा का दौर शुरू हो जाता है. जिसमें कई जानें चली जाती हैं।.तैश यानी क्रोध आपकी ज़िंदगी को किस तरह से बर्बाद कर सकता है. यह सीरीज दबी जुबान में यह भी कह जाती है. कहानी अतीत और वर्तमान के बीच कही गयी है. जहां रिश्तों की परतें खुलने के साथ साथ कुल्जिन्दर के अधमरा होने की असल वजह से जुड़ा अतीत भी सामने आता है.
सीरीज की शुरुआत होटल के वाशरूम में एक खूनी घटना से शुरू होती है. जिससे सवाल उठते हैं कि ये क्यों हुआ।इसके पीछे की वजह क्या है।इसका अंजाम क्या होगा. बदले की कहानी शुरुआत में उम्मीद जो जगाती है अंत तक पहुँचते पहुंचते तक वह एक आम बदले की कहानी वाली सीरीज बन जाती है. सीरीज कई सारे सवालों को भी अधूरे में छोड़ जाती है. ये भी अखरता है.कहानी बार बार अतीत और वर्तमान में आती जाती रहती है. निर्देशक ने इसे खूबसूरती से प्रस्तुत किया है. हां शुरुआत के दो एपिसोड में किरदारों को स्थापित करने में ज़्यादा समय ले लिया गया है.
अभिनय की बात करें तो यह इस सीरीज की अच्छा पहलू है. इस सीरीज के मुख्य पात्र जिम सरभ, हर्षवर्द्धन और पुलकित सम्राट हैं. इन तीनों ने अपनी भूमिका को बखूबी जिया है. अभिनेत्रियों में संजीदा शेख का अभिनय निखरकर आया है. कृति के लिए करने को कुछ खास नहीं था।बाकी के किरदारों का काम अच्छा है.
सीरीज की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. आउटडोर लोकेशन्स को खूबसूरती से फिल्माया गया है. कहानी में ज़रूरत से ज़्यादा पंजाबी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. जो दर्शकों को अखर सकता है. कुलमिलाकर तैश अपनी प्रस्तुति और कलाकारों के अभिनय की वजह से एक बार देखी जा सकती है.
Posted By: Divya Keshri