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पूर्वी यूपी में पछुवा हवाओं ने बढ़ाई ठंड, Gorakhpur में हल्की वर्षा

गोरखपुर और उसके आसपास के कई जिलों में हुई हल्की वर्षा और उसके साथ चली पछुआ हवा ने ठंड बढ़ा दी है. हुई हल्की बारिश ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है.

गोरखपुर : गोरखपुर सहित पूरे पूर्वांचल में ठंड के साथ-साथ कोहरे ने अपना असर दिखना शुरू कर दिया है साथ में तापमान में गिरावट भी शुरू हो गई है. गोरखपुर में गुरुवार को हुई बूंदाबांदी और तेज पछुवा हवाओं का साथ पा कर ठंड ने अपना असर दिखना शुरू कर दिया है.शहर की नमी तो बढ़ी ही है साथ में ठंड का एहसास भी बढ़ गया है.मौसम विज्ञानी कैलाश पांडे की माने तो मौसम के इस बदलाव से कोहरे का प्रकोप बढ़ेगा ही तापमान के गिरने का सिलसिला भी जारी रहेगा. पिछली दो दिनों में गोरखपुर ही नहीं आसपास के जिलों का मौसम भी प्रभावित हुआ है.बादलों के बने रहने के चलते तापमान में ज्यादा गिरावट तो नहीं हुई लेकिन ऐसा जारी रहने की पृष्ठभूमि जरूर तैयार हुई है. मौसम विज्ञानी की माने तो अगले दो-तीन दिन में कोहरा बढ़ेगा.छीटपुट बादलों के कारण सूर्य का तापमान भी नियंत्रित रहेगा.मौसम में आए अचानक बदलाव की वजह मौसम विज्ञानी छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में बने हवा के कम दबाव के क्षेत्र को बता रहे हैं.मौसम विज्ञानी के अनुसार अगले दो से तीन दिन इसी वजह से कोहरा बढ़ेगा.इसके चलते अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया जाएगा.सुबह से दोपहर तक चलने वाली पूर्वा हवा से वातावरण की नमी बड़ी है तो दोपहर बाद तेज रफ्तार से चलने वाली पछुआ हवाओं से ठंड. पछुवा हवा यह ठंड पश्चिमोत्तर की पहाड़ों से लेकर आएगी.क्योंकि पहाड़ों पर बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो गया है.मौसम विज्ञानी के अनुसार अगले दो-तीन दिन गोरखपुर की आद्रता का प्रतिशत 65 से 98% के बीच रह सकता है.

हल्की वर्षा फसलों के लिए होगा फायदेमंद.

बारिश के चलते वायुमंडल साफ हो गया है.ऐसे में हवा के पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचाने की राह आसान हो गई है.ठंड बढ़ने से लोगों ने गर्म कपड़े निकाल लिए हैं. बुजुर्ग और बच्चे घरों से कम निकल रहे हैं. गोरखपुर जिले सहित बगल के कई जिलों में हुए हल्की वर्षा से फसलों को काफी फायदा होगा.जिन किसानों ने समय से गेहूं सहित दलहन व तिलहन फसलों की बुवाई की है.उनके लिए हुई वर्षा संजीवनी का काम करेगी.कृषि वैज्ञानिक डॉ एस के तोमर के अनुसार यदि वर्षा अधिक होती तो दलहन की फसलों को नुकसान पहुंच सकता है.सरसों की खेत में पानी जमा होने से पत्तियां पीली हो सकती है. इसलिए किसान अपने खेतों में पानी नहीं जमा होने दें. लेकिन हल्की वर्षा फसलों के लिए काफी फायदेमंद है. उन्होंने बताया कि किसान आलू पर मिट्टी चढ़ा चुके हैं इसलिए यह वर्षा फसल के लिए लाभकारी होगी. यद्यपि वर्ष के बाद लगातार शीतलहर पड़ने से आलू को झुलसा रोग प्रभावित कर सकता है.उन्होंने बताया कि आलू की फसल को शीतलहर में सुरक्षित कर रखने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें.कृषि रक्षा अधिकारी डॉक्टर आरडी वर्मा ने बताया कि अगर सरसों की पत्तियां पानी लगने से पीली हो रही है तो किसान तत्काल 75% मैकोजेब पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

रिपोर्ट : कुमार प्रदीप

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