साहित्य अकादमी ने शुक्रवार को बाल साहित्य पुरस्कार 2023 और साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2023 की घोषणा की. पश्चिम बंगाल के संताली लेखक बापी टुडू को युवा पुरस्कार के लिए चुना गया है. उन्हें उनकी रचना ‘दुसी’ के लिए यह पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. वर्ष 1998 में जन्मे बापी की पुस्तक ‘दुसी’ लघु कथाओं की पुस्तक है. अपनी पहली ही पुस्तक को साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार मिलने से बापी बेहद उत्साहित हैं.
कहानियों के जरिये सामाजिक बुराई पर प्रहार करते हैं बापी टुडू
बापी की रचनाएं सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करती हैं. समाज सुधार का संदेश देती हैं. प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) को दिये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बापी टुडू ने कहा कि समाज पर केंद्रित रचना के साथ-साथ वह रोमांटिक कहानियां भी लिखते हैं. यह भी लघु कथाएं ही हैं. बांग्ला पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं छपती हैं.
डॉ सोहित कुमार ने बापी का बढ़ाया हौसला
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर के ग्वालतोड़ थाना क्षेत्र में स्थित कदमडीहा गांव में जन्मे और पले-बढ़े बापी टुडू को डॉ सोहित कुमार भौमिक ने अपनी रचना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया. डॉ सोहित पत्र-पत्रिकाओं और किताबों का संपादन किया करते थे. उस वक्त बापी एमए की पढ़ाई कर रहे थे. डॉ सोहित ने उनकी एक लघु कथा अपनी पत्रिका में प्रकाशित की थी. उन्होंने बापी की लेखनी की तारीफ की और कहा कि लिखना जारी रखो. अच्छा लिखते हो.
100 किताब छपवाने पर खर्च हुए 14,300 रुपये
इससे बापी टुडू का हौसला बढ़ा और उन्होंने अपनी लेखनी जारी रखी. काफी हिम्मत जुटाकर एक किताब छपवायी. 100 प्रतियां छपवाने में 14,300 रुपये खर्च आये. बापी टुडू कहते हैं कि कोई भी अच्छा लेखक बन सकता है. अगर उसकी लिखने की इच्छा है, तो उसे लिखना चाहिए. लिखकर उसे छपवाना भी चाहिए. निश्चित तौर पर उन्हें भी पुरस्कार मिल सकता है.
लेक्चरर बनना चाहते हैं किसान परिवार में जन्मे बापी
बापी टुडू के माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं थे. उनके पिता विश्वनाथ टुडू साक्षर हैं. लेकिन, मां सोमबारी टुडू को बिल्कुल पढ़ना-लिखना नहीं आता. परिवार में उनके अलावा दो बहनें हैं. एक बड़ी और एक छोटी. बड़ी की शादी हो चुकी है. दोनों बहनें मैट्रिक तक पढ़ीं हैं. बापी ने मास्टर्स के बाद नेट भी क्वालिफाई किया है. वह प्रोफेसर बनना चाहते हैं. वह कहते हैं कि विश्वविद्यालय में पढ़ाने की मेरी बहुत इच्छा है. इसके लिए मैं भरपूर मेहनत कर रहा हूं.
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किसान परिवार में जन्मे बापी टुडू पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर में रहते हैं. इस युवा लेखक ने अपने ही जिले के ग्वालतोड़ स्थित हायर सेकेंड्री स्कूल से इंटर की पढ़ाई की. विद्यासागर विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले ग्वालतोड़ स्थित संताल विद्रोह सारधा शतवार्षिकी महाविद्यालय से बीए ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की. वर्ष 2021 में उन्होंने संताली भाषा में एमए की परीक्षा पास की. इस परीक्षा में वह विद्यासागर यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे. लगातार पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं छपती रहती हैं. कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हुए हैं.
ट्यूशन पढ़ाकर और टाइपिंग करके पैसे कमाते हैं बापी
जब वह मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे थे, तब उनको दो साल के लिए 48 हजार रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी. ट्यूशन पढ़ाकर और टाइपिंग करके दो पैसे की कमाई कर लेते हैं. उनका कहना है कि पहली बार जब उनकी किताब प्रकाशित हुई, तो बंगाल के साथ-साथ ओडिशा और झारखंड के लोगों ने भी इसकी सराहना की.
100 कविताएं लिख चुके हैं बापी टुडू
चारों ओर से जब किताब की प्रशंसा होने लगी, तब बापी को लगा कि सचमुच उन्होंने कुछ अच्छा लिखा है. उनका कहना है कि अब जिम्मेदारी बढ़ गयी है. बेहतर रचना करने की. छोटे बच्चों के लिए 100 कविताएं लिख चुके हैं. कुछ पैसे जमा हो जायें, तो उसे भी प्रकाशित करवायेंगे.
‘दुसी’ का अर्थ क्या है
बापी टुडू को जिस रचना के लिए युवा पुरस्कार मिला है, उस पुस्तक का नाम है- ‘दुसी’. ‘दुसी’ का अर्थ होता है इसका दोषी कौन है. 79 पेज की इस किताब में 7 कहानियों का संग्रह है. बापी को सर्वसम्मति से इस पुरस्कार के लिए चुना गया.
कालीराम मुर्मू की कविता व कहानी संग्रह दोनों थी होड़ में
साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार की होड़ में संताली के 8 लेखक थे. ये सभी वर्ष 1991 से 1998 के बीच जन्मे हैं. सबसे युवा रचनाकार बापी टुडू की शॉर्ट स्टोरीज को पुरस्कार के लिए चुना गया. इस पुरस्कार के लिए जो लोग दौड़ में थे, उनमें अनिता ‘अन्नू’ (अनीता हांसदा), बापी टुडू, बीरेंद्रनाथ किस्कू, बैद्यनाथ मुर्मू, दसरथ हेम्ब्रम, कालीराम मुर्मू, कालीराम मुर्मू और सोनाली हांसदा शामिल हैं.
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अनिता की ‘अराक टिकली’ (लघु कथा), बापी टुडू की ‘दुसी’ (लघु कथा), बीरेंद्रनाथ किस्कू की ‘जाहेर’ (कविता), बैद्यनाथ मुर्मू की ‘अजय गाड़ा’ (कविता), दसरथ हेम्ब्रम की ‘अंतर जोलोन’ (कविता), कालीराम मुर्मू की ‘अराग कासी बाहा’ (लघु कथाएं), कालीराम मुर्मू की ‘पोरायनी माये’ (कविता) और सोनाली हांसदा की ‘कुकमू’ (कविता) को पुरस्कार के लिए नामित किया गया था.