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कौन हैं स्वपन दासगुप्ता, जिन्हें भाजपा ने तारकेश्वर से बनाया उम्मीदवार, राज्यसभा से क्यों देना पड़ा इस्तीफा

West Bengal Vidhan Sabha Chunav 2021: तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने स्वपन दासगुप्ता (Swapan Dasgupta) पर संविधान की 10वीं अनुसूची के उल्लंघन का आरोप लगाया था.

कोलकाता/नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद राज्यसभा के मनोनीत सदस्य स्वपन दासगुप्ता ने मंगलवार को उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने स्वपन दासगुप्ता पर संविधान की 10वीं अनुसूची के उल्लंघन का आरोप लगाया था.

श्री दासगुप्ता अप्रैल, 2016 में राज्यसभा के सदस्य बने थे. उन्हें पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तारकेश्वर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. दासगुप्ता ने ट्वीट कर कहा, ‘बंगाल को बेहतर बनाने की लड़ाई में अपने आप को समर्पित करने के लिए मैंने आज राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. मैं भाजपा उम्मीदवार के रूप में तारकेश्वर विधानसभा सीट से अगले कुछ दिनों के अंदर नामांकन दाखिल करने की उम्मीद करता हूं.’

सूत्रों ने बताया कि स्वपन दासगुप्ता ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से आग्रह किया है कि उनका इस्तीफा बुधवार से प्रभावी माना जाये. इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर श्री दासगुप्ता ने कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि नामांकन पत्र (पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए) दाखिल करने से पहले जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, वे उठाये जायेंगे.’

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24 अप्रैल 2022 तक था स्वपन दासगुप्ता का कार्यकाल

राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 24 अप्रैल 2022 तक था. तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर राज्यसभा का मनोनीत सदस्य रहते हुए दासगुप्ता को विधानसभा चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बनाये जाने पर सवाल उठाये थे. उन्होंने ट्वीट में कहा था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, अगर कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के छह महीने के बाद किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होता है, तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.

सुश्री मोइत्रा ने कहा, ‘दासगुप्ता ने अप्रैल 2016 को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली थी. असंबद्ध रहे. अब भाजपा में शामिल होने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि आज भी राज्यसभा की वेबसाइट पर दासगुप्ता को मनोनीत सदस्य बताया जा रहा है.

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क्या कहता है संविधान

महुआ मोइत्रा ने कहा कि दासगुप्ता को या तो राज्यसभा से इस्तीफा देना चाहिए या उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि उनके पास कोई ‘सेफ्टी नेट’ नहीं है. संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, अनुच्छेद 99 या 188 के प्रावधानों (जो भी लागू हों) को पूरा करने के बाद मनोनीत सदस्य अपने शपथ ग्रहण के बाद से छह महीने का समय समाप्त होने के पहले किसी राजनीतिक दल से जुड़ सकता है.

नियम में आगे कहा गया है कि अनुच्छेद 99 या 188 के प्रावधानों (जो भी लागू हों) को पूरा करने के बाद सदन के लिए मनोनीत सदस्य अपने शपथ ग्रहण के बाद से छह महीने का समय समाप्त होने के बाद किसी राजनीतिक दल से जुड़ता है, तो वह सदन की सदस्यता के अयोग्य होगा.

Posted By : Mithilesh Jha

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