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मकर संक्रांति पर क्यों खाया जाता है दही-चूड़ा और गुड़, जानें इस दिन खिचड़ी खाने का महत्व

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के दिन चावल का दान करना बहुत शुभ होता है और चावल खाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है. यूपी-बिहार में इस दिन दही, चूड़ा, गुड़ और खिचड़ी खाया जाता है. आइए जानते है इन सब चीजों का महत्व

Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक प्रमुख पर्व है. भारत के विभिन्न इलाकों में इस त्योहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है. मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी, इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं, जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. मकर संक्रांति पर्व सूर्य गोचर पर आधारित पंचांग की गणना से मनाया जाता है. मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है. शरद ऋतु क्षीण होने लगती है और बसंत का आगमन शुरू हो जाता है. यूपी बिहार में इस दिन दही-चूड़ा खाने का विधान है.

मकर संक्रांति पर खाते हैं दही-चूड़ा

मकर संक्रांति के दिन चावल का दान करना बहुत शुभ होता है और चावल खाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है. यूपी-बिहार में इस दिन दही चूड़ा खाया जाता है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा खाने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है. गुड़ का संबन्‍ध सूर्य देव और गुरु से है. मकर संक्रांति के दिन गुड़ खाने और दान करने से देव गुरु और सूर्य से जुड़ी तमाम समस्‍याएं दूर होती हैं. वहीं मकर संक्रांति के दिन उत्तर प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों में ‘खिचड़ी पर्व’ भी कहा जाता है. क्योंकि खिचड़ी को हिंदू भगवान गोरखनाथ का पसंदीदा व्यंजन माना जाता है, इस दिन आने वाले वर्ष में अच्छी फसल के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए दूर-दूर से लोग गोरखनाथ मंदिर में आते हैं. वहां भक्तों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी परोसी जाती है.

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फसलों की कटाई का त्योहार है मकर संक्रांति

नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है. पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह वक्त नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं. खेतों में गेहूं और धान की लहलहाती फसल किसानों की मेहनत का परिणाम होती है, लेकिन यह सब ईश्वर और प्रकृति के आशीर्वाद से संभव होता है. पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को ‘लोहड़ी’ के नाम से मनाया जाता है. तमिलनाडु में मकर संक्रांति ‘पोंगल’ के तौर पर मनाई जाती है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में ‘खिचड़ी’ के नाम से मकर संक्रांति मनाई जाती है. मकर संक्रांति पर कहीं खिचड़ी बनाई जाती है तो कहीं दही चूड़ा और तिल के लड्डू बनाए जाते हैं.

मकर संक्रांति पर परंपराएं

हिंदू धर्म में मीठे पकवानों के बगैर हर त्योहार अधूरा सा है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है. तिल और गुड़ के सेवन से ठंड के मौसम में शरीर को गर्मी मिलती है और यह स्वास्थ के लिए लाभदायक है. ऐसी मान्यता है कि, मकर संक्रांति के मौके पर मीठे पकवानों को खाने और खिलाने से रिश्तों में आई कड़वाहट दूरी होती है और हर हम एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं. मीठा खाने से वाणी और व्यवहार में मधुरता आती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है. मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य देव के पुत्र शनि के घर पहुंचने पर तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है.

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