JEE Advanced 2023 Topper Mohammad Sahil Akhtar: कई भारतीय छात्रों की तरह आईआईटी का सपना संजोए कोलकाता के मोहम्मद साहिल अख्तर ने 10वीं कक्षा से ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की तैयारी शुरू कर दी थी. इसकी तैयारी के लिए उन्होंने स्कूल से लेकर कोचिंग क्लास तक के चक्कर लगाए और आखिर उन्हें सफलता मिल ही गई. उन्हें जेईई-एडवांस्ड 2023 के लिए ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 99वीं रैंक मिली थी. टॉप 100 जेईई-एडवांस्ड रैंकर्स में से एक 17 वर्षीय मोहम्मद साहिल अख्तर ने जेईई प्रवेश प्रक्रिया से बाहर होने का फैसला किया है, इसके बजाय वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) का रुख करेंगे. उन्होंने इसका कारण एमआईटी में अधिक रिसर्च के अवसर और एक फ्लेक्सिबल करिकुलम का होना है.
साहिल कहते हैं, “मुझे तकनीकी नौकरी से ज्यादा रिसर्च आकर्षित करता है. भारत में, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) एक विकल्प था. लेकिन एमआईटी अधिक फ्लेक्सिबल करिकुलम प्रदान करता है. भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के विपरीत, मुझे पहले वर्ष में ही अपने अंतिम प्रमुख विषय पर निर्णय नहीं लेना पड़ता है. अभी भी बहुत कुछ है जो मैंने नहीं देखा है,” साहिल कंप्यूटर साइंस और फिजिक्स में दोहरी पढ़ाई करना चाह रहे हैं, उन्हें एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोनॉमी फिजिक्स और डेटा साइंस में भी रुचि है.
उन्होंने कहा कि आईआईटी ब्रांड को काफी लोग पसंद करते हैं. इतना ही नहीं अलग डिसीजन के लिए अपने माता-पिता को यह समझाना भी मुश्किल होता है हालांकि, उन्होंने कहा कि वे रिसर्च में उनकी रुचि तब देख सकते हैं जब वह 2022 में एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोनॉमी फिजिक्स (आईओएए) पर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड में स्वर्ण पदक विजेता बने. उन्होंने कहा कि हालांकि सबसे ज्यादा पसंदीदता और चुना जाने वाला कोर्स सीएसआई को लेकर आईआईटी में शामिल होना है. मेरे माता पिता ने मुझे आईआईटी बॉम्बई पर अपना ध्यान केंद्रित करने को कहा था उनका कहना था कि मन लगा कर पढ़ाई करो आईआईटी बॉम्बे में सेलेक्शन की कोशिश करो.
जॉर्जिया में आयोजित आईओएए ओलंपियाड में ही उन्हें अपने सामने उपलब्ध विभिन्न विकल्पों का एहसास हुआ, जो उनकी रुचियों के अनुकूल थे. अमेरिका की टीम में 10 सदस्य थे जिनमें से अधिकांश एमआईटी में शामिल होने जा रहे थे. उन्होंने कुछ जानकारी साझा की. मेरे टीम के भी कुछ लोग ऑक्सफोर्ड विश्वविधालय में आवेदन दे रहे थे और उन्होंने मुझसे विदेश में इन विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्रणाली के बारे में बात की. मुझे दिलचस्पी हुई और मैंने विदेश में संस्थानों में आवेदन करने की अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी. इसके बाद मैंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और एमआईटी में आवेदन किया और मुझे मार्च में अपना एमआईटी स्वीकृति पत्र प्राप्त हुआ.
साहिल ने कहा, “प्रवेश के लिए किसी प्रवेश परीक्षा या रैंक पर कोई निर्भरता नहीं थी. मैं स्टैंडर्ड एडमिशन टेस्ट (SAT) के लिए उपस्थित हुआ. लेकिन सैट स्कोर से अधिक, एमआईटी में प्रवेश संस्थान की प्रवेश समिति द्वारा मेरे आवेदन के मूल्यांकन पर आधारित था, जिसमें मेरे ओवर ऑल शैक्षणिक रिकॉर्ड, शिक्षाविदों के साथ-साथ पाठ्येतर गतिविधियों में उपलब्धियां, निबंध और मेरे स्कूल के शिक्षकों के सिफारिश पत्र शामिल थे, ” साहिल ने कहा जिनकी पढ़ाई कोलकाता के रूबी पार्क में दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) से पूरी हुई है. साहिल ने अप्रैल में जेईई की परीक्षा दी थी.
वे कहते हैं “जेईई की ओर मेरी यात्रा एक भारतीय परिवार की सामान्य मानसिकता का परिणाम थी. यदि आप पढ़ाई में अच्छे हैं और गणित में अच्छा कर रहे हैं, तो जेईई सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है. साहिल के बड़े भाई, जो वर्तमान में आईआईटी दिल्ली में इंजीनियरिंग फिजिक्स के अंतिम वर्ष के छात्र हैं, ने उन्हें जबरदस्त मानसिक सहायता प्रदान की थी. उन्होंने कहा, “शिक्षा से अधिक, यह मुझे इस बात पर मार्गदर्शन देने के बारे में था कि कहां अधिक ध्यान केंद्रित करना है और तैयारी कैसे करनी है,” उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने भाई की सलाह को गंभीरता से लिया, क्योंकि वह जेईई एडवांस के लिए उपस्थित हुए थे और आईआईटी प्रणाली को अंदर से जानते थे.
साहिल ने हाल ही में अपने जैसे उम्मीदवारों को उम्मीदों और सलाह के सागर में मदद करने के लिए एक यूट्यूब चैनल शुरू किया है. उन्होंने कहा, “मैंने अपने जैसे युवाओं को जेईई पर सलाह, अन्य उपलब्ध विकल्पों की खोज और विदेशी विश्वविद्यालयों में आवेदन की प्रक्रिया जैसे विषयों पर मदद करने के लिए हाल ही में एक यूट्यूब चैनल शुरू किया है.” साहिल ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे वीडियो उनके लिए कैसे फायदेमंद रहे हैं. उनके अनुसार, जब सुझाव और मार्गदर्शन किसी भरोसेमंद व्यक्ति से आता है, तो “उनकी सलाह में यथार्थवाद का स्पर्श होता है,” .
एमआईटी में, साहिल ने कहा कि वह भाषा विज्ञान और दर्शन में अपनी रुचि तलाशने की उम्मीद करते हैं. उन्हें एक छात्रवृत्ति मिली है, जिससे “आईआईटी में हम कितना खर्च करेंगे” की लागत सामने आ गई है.