World Blood Donor Day 2021 (सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार, चितरपुर, रामगढ़) : झारखंड के रामगढ़ सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहा है. इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. ब्लड बैंक में 200 यूनिट ब्लड की क्षमता है, लेकिन यहां महज 14 यूनिट ब्लड ही बचा हुआ है. कोरोना संक्रमण के कारण लोग ब्लड डोनेट के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. जिस कारण जरूरतमंद लोगों को समय पर ब्लड नहीं मिल पा रहा है. जिससे जरूरतमंद मरीज परेशान हो रहे हैं. खास कर थैलेसीमिया से पीड़ित रामगढ़ जिले के 40 से अधिक बच्चों को काफी परेशानी हो रही है. इन्हें निरंतर खून की आवश्यकता पड़ती है.
जानकारी के अनुसार, रामगढ़ सदर अस्पताल में 24 अप्रैल 2020 को ब्लड बैंक का उद्घाटन किया गया था. इसके बाद जरूरतमंद लोगों को आस जगी थी कि यहां आसानी से लोगों को खून मिल पायेगा. लेकिन, डोनर देने के बाद ही खून उपलब्ध हो पा रहा है.
बता दें कि हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस यानी वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है. इसका उद्देश्य रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक करना है, ताकि बड़ी संख्या में लोग रक्तदान के क्षेत्र में आगे आये और रक्तदान करें. साथ ही उनलोगों का धन्यवाद भी करना चाहिए जो स्वेच्छा से रक्तदान कर दूसरों का जीवन बचाने का तोहफा देते हैं. रक्त एक बेशकीमती संसाधन है क्योंकि कृत्रिम तरीके से सिंथेटिक ब्लड नहीं बनाया जा सकता. इसे सिर्फ डोनेट करके ही जरूरतमंद मरीजों के शरीर तक पहुंचाया जा सकता है. इसलिए ब्लड डोनेशन बहुत जरूरी है.
Also Read: Coronavirus in Jharkhand Update News : झारखंड में कोरोना संक्रमण के बीच राहत की खबर, शनिवार को एक भी मरीज की नहीं हुई मौत, 4 हजार के करीब एक्टिव केसरामगढ़ सिविल सर्जन डॉ गीता सिन्हा मानकी ने कहा कि रक्तदान से जरूरतमंदों की जान बचायी जा सकती है. रक्तदान से शरीर में नयी ऊर्जा आती है. उन्होंने कहा कि रक्तदान को लेकर कई भ्रांतियां पाली गयी है, लेकिन सभी स्वस्थ लोगों को रक्तदान अवश्य करनी चाहिए. इससे रक्त की कमी दूर होगी. उन्होंने कहा कि रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित किया जायेगा. साथ ही इसके लिए कई जगहों में शिविर लगाया जायेगा.
मुस्कुराहटें संस्था के अध्यक्ष विवेकानंद वर्मा (28 वर्ष) अबतक 18 बार रक्तदान कर चुके हैं. संस्था द्वारा रक्तदान करने के लिए बेहतर पहल भी किये जा रहे हैं. संस्था के सदस्य और इनसे जुड़े लोग 370 बार जरूरतमंदों को खून दे चुके हैं. इस संदर्भ में श्री वर्मा ने कहा कि मानव शरीर ही रक्त का एकमात्र कारखाना है. जहां 18 से 65 वर्ष के लोग रक्तदान कर सकते हैं. युवाओं को जागरूक कर शंकाओं को दूर करते हुए संस्था अपने खर्च पर युवाओं से रक्तदान करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी युवाओं को प्रण लेना चाहिए कि वर्ष में कम से कम दो बार रक्तदान जरूर करें, ताकि इससे जुड़े दलालों के प्रभाव को शून्य किया जा सके.
रजरप्पा कोयलांचल क्षेत्र में कई ऐसे युवा हैं, जो कई वर्षों से लगातार रक्तदान करते आ रहे हैं और जरूरतमंदों की जान बचा रहे हैं. चितरपुर निवासी सह समाजसेवी डब्लू साहु (32 वर्ष) अबतक 13 बार रक्तदान कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि रक्त की कमी के कारण कई लोगों की जिंदगी चली जाती है. अगर लोग जागरूक होकर रक्तदान करें, तो बहुमूल्य जिंदगी बचायी जा सकती है. सुकरीगढ़ा निवासी विनय मुन्ना (33 वर्ष) 2007 से अबतक 25 बार रक्तदान कर लोगों की जीवन बचा चुके हैं. उन्होंने कहा कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है.
वहीं, चितरपुर निवासी शिव कुमार अबतक 12 बार रक्तदान कर चुके हैं. इनका भी कहना है कि रक्तदान कर जीवन बचाना है और लोगों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करना है. इसके अलावे लिटिल ड्रॉप्स संस्था के सचिव पतरातू निवासी जीवन कुमार (45 वर्ष) अबतक 30 बार रक्तदान कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि रक्त का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. इसलिए मनुष्य को तीन से छह माह के अंतराल में स्वेच्छा रक्तदान करना चाहिए. हमारी संस्था पिछले 12 वर्षों से लोगों की सेवा करते आ रही है.
एक व्यक्ति के रक्तदान से तीन जिंदगी बचायी जा सकती है. जब कोई व्यक्ति रक्तदान करता है, तो खून में शामिल अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स जैसे रेड ब्लड सेल्स, प्लेटलेट्स व प्लाज्मा का उपयोग अलग-अलग बीमारियों और परेशानियों से ग्रसित लोगों के इलाज में किया जाता है. रक्तदान को लेकर लोगों के मन में कुछ भ्रांतियां भी है. उन्हें दूर करना सबसे ज्यादा जरूरी है. 18 से 65 वर्ष आयु के कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है. एक बार रक्तदान करने के बाद पुरुष डोनर्स को कम से कम तीन महीने और महिला डोनर्स को चार महीने बाद ही दोबारा रक्तदान करना चाहिए.
Posted By : Samir Ranjan.