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Year Ender 2022 : रेत समाधि को बुकर और मैनेजर पांडेय को खोने सहित साहित्य जगत की ये रहीं प्रमुख सुर्खियां

साल 2022 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार लेखिका एनी एरनॉक्स को दिया गया . फ्रांस की लेखिका एन एरनॉक्स को उनके साहस और नैतिक सटीकता के साथ सामाजिक प्रतिबंधों को उजागर करने के लिए विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार दिया गया है.

जब भी एक साल खत्म होने वाला होता है और हम नये साल के स्वागत की तैयारियों में जुटे होते हैं, शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो एक बार बैठकर यह नहीं सोचता होगा कि उसके खाते में इस साल क्या उपलब्धियां आयीं और उसने क्या खोया. इस नजरिये से अगर हम साहित्य जगत को देखें तो हम पायेंगे कि यह साल कई मायनों में खास रहा. हिंदी साहित्य जगत की अगर हम बात करें तो यह साल काफी उपलब्धियों भरा रहा क्योंकि पहली बार किसी हिंदी उपन्यास के अनुवाद को बुकर पुरस्कार मिला. ऐसे ही कुछ अन्य उपलब्धियों और उन घटनाओं की चर्चा करेंगे, जिनकी साहित्य जगत में चर्चा हुई.

रेत समाधि को मिला बुकर पुरस्कार

हिंदी साहित्य जगत की वरिष्ठ लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को वर्ष 2022 का प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार दिया गया है. इस किताब का अंग्रेजी में अनुवाद डेजी राॅकवेल ने किया है. इस किताब की नायिका एक 80 साल की महिला है. इस किताब को हिंदी में राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. इस किताब के बारे में यह कहा जाता है कि इस किताब में अनोखे ढंग से चीजों का वर्णन किया गया है. कहानी का चित्रण भी बहुत अलग अंदाज में किया गया है जो नवीनता लिये हुए है.

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बद्रीनारायण को मिला साहित्य अकादमी पुरस्कार

बद्रीनारायण हिंदी भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं . उन्हें उनके कविता संग्रह तुमड़ी के शब्द के लिए इस वर्ष का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिये जाने की घोषणा हुई. बद्रीनारायण का जन्म बिहार के भोजपुर जिले में 1965 में हुआ था. उन्हें भारत भूषण पुरस्कार, केदार सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान सहित राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार भी मिल चुका है.

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उपन्यासकार रणेंद्र को प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान

देश के शीर्ष कथाकार व उपन्यासकार रणेंद्र को 14वां प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान दिये जाने की घोषणा हुई . कथाकार रणेंद्र ने अपनी रचनाओं ‘छप्पन छुरी बहत्तर पेंच’, ‘भूत बेचवा’, ‘बाबा, कौवे और काली रात’ ‘ग्लोबल गाँव के देवता’, ‘गायब होता देश’ और ‘गूँगी रुलाई का कोरस’ जैसे उपन्यासों से एक अनूठी पहचान बनायी है. उनकी कहानियां और उपन्यास आदिवासी-मूलवासी जीवन के यथार्थ से हमारा सामना कराने और उस समाज के संकटों और सवालों को विमर्श के दायरे में लाने के लिए जाने जाते हैं.

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कथाकार जयनंदन को श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान

उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने वर्ष 2022 के ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य’ सम्मान के लिए कथाकार जयनंदन चयन किया है. जयनंदन का चयन चित्रा मुद्गल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय चयन समिति ने किया है. जयनंदन को पुरस्कार स्वरूप एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चेक प्रदान किया जायेगा. 31 जनवरी, 2023 को पुरस्कार प्रदान किया जायेगा.

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फ्रेंच लेखिका एनी एरनॉक्स को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

साल 2022 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार लेखिका एनी एरनॉक्स को दिया गया . फ्रांस की लेखिका एन एरनॉक्स को उनके साहस और नैतिक सटीकता के साथ सामाजिक प्रतिबंधों को उजागर करने के लिए विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार दिया गया है. एनी एरनॉक्स का जन्म वर्ष 1940 में हुआ और नॉमण्डी के छोटे शहर यवेटोट में उनका लालन-पालन किया गया. एरनॉक्स के माता-पिता एक किराने की दुकान और कैफे चलाते थे. वे बचपन से ही काफी महत्वाकांक्षी लड़की थीं. उन्होंने अपने लेखन में विभिन्न तरीकों से लिंग, भाषा और वर्गों के आधार पर फैली असमानता का जिक्र किया. लेखन के क्षेत्र में उनका सफर काफी लंबा और कठिन रहा है. एनी एरनॉक्स ने फ्रेंच सहित अंग्रेजी में कई उपन्यास, नाटक और लेख लिखे हैं.

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हिंदी का बाल साहित्य पुरस्कार पाने वाली पहली महिला बनीं क्षमा शर्मा

इस वर्ष हिंदी भाषा के ‘बाल साहित्य पुरस्कार’ के लिए ‘क्षमा शर्मा की चुनिंदा बाल कहानियां’ कहानी संग्रह को साहित्य अकादमी द्वारा चुना गया है. दिलचस्प है कि पहली बार किसी महिला साहित्यकार की रचना को यह पुरस्कार दिया जा रहा है. तीन दशक से ज्यादा समय तक बाल पत्रिका नंदन से जुड़ी रहीं क्षमा शर्मा लेखन की दुनिया में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं. क्षमा शर्मा को विभिन्न मुद्दों पर अपनी लेखनी के लिए इससे पहले भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार समेत कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं. बाल साहित्य व महिला मुद्दों पर लेखन के जरिये ख्याति पाने वाली जानीमानी लेखिका व पत्रकार क्षमा शर्मा का जन्म वर्ष 1955 के अक्तूबर माह में आगरा में हुआ था. वर्तमान में वह दिल्ली के मयूर विहार में रहती हैं.

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हिंदी साहित्य के मशहूर आलोचक प्रोफेसर मैनेजर पांडेय का निधन

प्रसिद्ध आलोचक प्रोफेसर मैनेजर पांडेय का छह नवंबर 2022 को निधन हो गया है. मैनेजर पांडेय जेएनएयू से लंबे समय तकजुड़े रहे थे. 81 वर्ष के मैनेजर पांडेय बिहार के गोपालगंज के निवासी थे. मैनेजर पांडेय का जन्म 23 सितंबर, 1941 को बिहार के गोपालगंज जिले के लोहटी में हुआ था. वे हिंदी में मार्क्सवादी आलोचना के प्रमुख हस्‍ताक्षरों में से एक थे. गंभीर और विचारोत्तेजक आलोचनात्मक लेखन उनकी पहचान थी.

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सिटी ऑफ जॉय के लेखक डोमिनिक लैपिएरे का निधन

सिटी ऑफ जॉय एंड फ्रीडम एट मिडनाइट के लेखक डोमिनिक लैपिएरे का 4 दिसंबर को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया. फ्रांसीसी लेखक डोमिनिक लैपिएरे के उपन्यासों की लाखों प्रतियां बिकीं हैं. उनकी पत्नी डोमिनिक कोंचोन-लैपिएरे ने रविवार को फ्रांसीसी अखबार वर-मतिन को बताया कि 91 साल की उम्र में डॉमिनिक लैपिएरे ने अंतिम सांस ली. 30 जुलाई, 1931 को चेटेलिलोन में जन्मे, लैपिएरे की अमेरिकी लेखक लैरी कोलिन्स के सहयोग से लिखी गई छह पुस्तकों की लगभग 50 मिलियन प्रतियां बिकी हैं इसमें सबसे प्रसिद्ध इज पेरिस बर्निंग है. उन्हें साल 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था.

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फॉर्ब्स इंडिया की सूची में जसिंता केरकेट्टा शामिल

फॉर्ब्स इंडिया ने भारत की सेल्फ मेड वुमन 2022 की सूची में झारखंड की युवा कवयित्री और स्वतंत्र पत्रकार जसिंता केरकेट्टा को टाॅप महिलाओं की सूची में शामिल किया है. जसिंता की कविताएं इन दिनों ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं. जसिंता केरकेट्टा देश की जानी-पहचानी कवयित्री और स्वतंत्र पत्रकार हैं, जिन्होंने लगातार महिला अधिकारों की बात की. जिन्होंने आदिवासी समाज पर हो रहे अत्याचारों की बेबाकी से चर्चा की, साथ ही अपने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों का भी खुल कर विरोध किया है

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