उत्तर प्रदेश में चुनावी साल में लखीमपुर खीरी की घटना के बाद गठबंधन को लेकर सियासत तेज हो गई है. इसी बीच जयंत चौधरी ने पश्चिमी यूपी में आशीर्वाद पथ यात्रा की शुरुआत की है. जयंत चौधरी के इस यात्रा को चुनावी शंखनाद के रूप में देखा जा रहा है. वहीं आगामी चुनाव में रालोद की भूमिका को लेकर जयंत चौधरी ने चुप्पी साध ली.
गुरूवार को हापुड़ नूरपुर से यात्रा की शुरुआत करते हुए जयंत चौधरी ने लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर योगी और मोदी सरकार को घेरा. इस दौरान सपा से गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल पर जयंत चौधरी ने कहा कि 2022 में चुनाव है और गठबंधन पर भी 2022 में ही बात करेंगे. वहीं चौधरी के इस बयान को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई है.
अखिलेश कह चुके हैं गठबंधन की बात- बताते चलें कि अखिलेश यादव पहले भी रालोद से गठबंधन की बात कह चुके हैं. अखिलेश यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि यूपी में छोटी-छोटी पार्टियों से गठबंधन किया जाएगाय उन्होंने आगे कहा था कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान हमारा रालोद से गठबंधन था और हम यह आगे जारी रखेंगे.
कहीं ये तो वजह नहीं!- राजनीतिक गलियारों की चर्चा के मुताबिक रालोद आगामी चुनाव में पश्चिमी यूपी में अधिक सीटें चाह रही है. वहीं सपा सुप्रीमो रालोद को अधिक सीटें देने के मूड में नहीं है. बताया जा रहा है कि रालोद को दूसरा डर गठबंधन से कांग्रेस का बाहर होना भी है. रालोद को लग रहा है कि जिस तरह किसान मुद्दे पर प्रियंका गांधी ने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला, उससे आने वाले चुनाव में किसानों का झुकाव कांग्रेस की ओर भी हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस पश्चिमी यूपी में रालोद को नुकसान पहुंचा सकती है.
किसान आंदोलन में पश्चिमी यूपी का दबदबा- बता दें कि देश भर में चल रहे किसान आंदोलन में पश्चिमी यूपी और पंजाब का दबदबा सबसे अधिक है. रालोद की जमीनी पकड़ इसी इलाके में सबसे अधिक है. ऐसे में माना जा रहा है कि रालोद किसान आंदोलन के जरिए अपना कुनबा बढ़ाने की रणनीति भी बना रही है.