UP Chunav 2022: यूपी में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. अब जबकि मतदान के लिए एक महीने का समय बचा है, सभी राजनीतिक दलों ने जी जान से चुनाव की तैयारियों में जुट गये हैं. वहीं इस बार प्रचार की दृष्टि से विधानसभा चुनाव की तस्वीर बिल्कुल बदली हुई है. चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक रैलियों पर रोक लगा रखी है और यह माना जा रहा है कि कोरोना पीक पर होने के कारण रोक आगे बढ़ सकती है. ऐसे में वर्चुअल रैलियां होंगी, जिनको लेकर कुछ राजनीतिक पार्टियां मुखर हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ वर्चुअल जंग की भी तैयारी है. इस जंग में डाटा की खपत भी जोरों पर है.
कोरोना काल में हो रहे चुनाव में प्रचार के लिए रैलियों पर रोक लगाने के कारण डिजिटल मीडिया पर लोड बढ़ गया है. पार्टी प्रचार करने के लिए इंटरनेट मीडिया को माध्यम बना रहे हैं. इसका परिणाम यह हुआ कि मोबाइल कंपनियों के इंटरनेट डेटा की खपत बढ़ गयी है. बीएसएनएल का रोजाना 38% अधिक डेटा खपत हो रहा है.
इस तरह बढ़ी डेटा की खपत
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नवंबर- 185 टेरा बाइट
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दिसंबर- 230 टेरा बाइट
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11 जनवरी तक- 92 टेरा बाइट
चुनाव आयोग ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वर्चुअल तरीके से चुनाव प्रचार पर जोर रहेगा. आयोग के रुख की वजह से पार्टियों में खलबली मची है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), कांग्रेस इसका विरोध कर रही है. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि सरकार अपने तंत्र का दुरुपयोग कर सकती है. वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने चुनाव आयोग से वर्चुअल तरीके चुनाव लड़ने के लिए कुछ फंड्स देने की मांग भी की थी. चुनाव में वर्चुअल माध्यम से प्रचार की घोषणा फ़िलहाल भाजपा को सबसे ज्यादा रास आ रही है. क्योंकि पिछले कुछ समय से पार्टी इसकी तैयारी कर रही है. पार्टी की तीन वर्चुअल रैलियां कोविड की दूसरी लहर के दौरान ही हो चुकी हैं, जिसे जेपी नड्डा, स्मृति ईरानी और नरेंद्र सिंह तोमर ने सम्बोधित किया था.