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KGMU: छाती में एक छेद से आहार नली के कैंसर का सफल ऑपरेशन, स्टेज थ्री में थी बीमारी

अयोध्या के एक मंदिर के 60 वर्षीय पुजारी को कुछ समय से ठोस आहार लेने में हल्की दिक्कत होती थी. कुछ दिनों बाद जब तरल आहार लेने में भी कठिनाई होने लगी तब चिकित्सकीय जांच के बाद पता लगा की इनको आहार नली का कैंसर है. बीमारी स्टेज थ्री में थी.

Lucknow News: राजधानी में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के चिकित्सकों ने छाती में केवल एक छेद के जरिए आहार नली के कैंसर का सफल ऑपरेशन किया है. पहले ऐसे ऑपरेशन के लिए एक से अधिक छेद बनाने पड़ते थे. इस ऑपरेशन में खाने के रास्ते को दूरबीन द्वारा छाती में ही जोड़ दिया गया. ऑपरेशन के बाद अब मरीज पूरी तरह मुंह के जरिए भोजन करने लगा है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है.

कीमोथेरेपी-रेडियोथेरेपी से गांठ की गई छोटी

अयोध्या के एक मंदिर के 60 वर्षीय पुजारी को कुछ समय से ठोस आहार लेने में हल्की दिक्कत होती थी. कुछ दिनों बाद जब तरल आहार लेने में भी कठिनाई होने लगी तब चिकित्सकीय जांच के बाद पता लगा की इनको आहार नली का कैंसर है. बीमारी स्टेज थ्री में थी. इसलिए कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी द्वारा पहले गांठ को छोटा किया गया. इसके बाद मरीज को अक्टूबर माह में ऑपरेशन के लिए केजीएमयू में ऑन्कोलॉजी विभाग में रेफर किया गया.

बेहद जटिल था ऑपरेशन

इस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिव राजन ने मरीज की सभी रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें बताया कि इसका ऑपरेशन दूरबीन द्वारा संभव है. डॉ. राजन जटिल ऑपरेशन पहले भी कर चुके हैं. विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार तथा पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अरुण चतुर्वेदी के साथ ऑपरेशन की जटिलताओं की चर्चा करने के बाद डॉ. शिव राजन ने इस ऑपरेशन का निर्णय किया.

गैस का नहीं किया गया इस्तेमाल

इस ऑपरेशन में छाती को 15 से 20 सेमी के चीरे से खोला जाता है या दूरबीन के द्वारा छाती में 4 से 5 छेद किए जाते हैं, जिसमें छाती में गैस भरी जाती है और आहार नली निकालने के लिए किसी एक छेद को लगभग 5 सेमी बड़ा किया जाता है. लेकिन, डॉक्टर शिव राजन ने केवल 4 सेमी के एक ही छेद से दूरबीन द्वारा इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर दिया. इसमें ना ही गैस का प्रयोग किया एवं ना ही छेद को बड़ा किया गया. इस ऑपरेशन में छह घंटे लगे और पेट से खाने के रास्ते की ट्यूब बना कर दूरबीन द्वारा ही छाती में जोड़ा गया.

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ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ

ऑपरेशन के बाद अब मरीज मुंह से खाने लगा है. दसवें दिन उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. वहीं दूरबीन द्वारा छाती में एक छेद कर के गर्दन में खाने के रास्ते को जोड़कर ऑपरेशन भी पहली बार डॉ. शिव राजन ने 2014 में केजीएमयू में किया था. इस जटिल सफल सर्जरी को लेकर केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने डॉ. शिवराजन और टीम को बधाई दी है.

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