Gorakhpur: गोरखपुर पहुंचे भीम आर्मी के संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने रामचरितमानस के मुद्दे पर कहा कि रामचरितमानस में जो छंद दलितों के विरोध में हैं, उन्हें निकाल देना चाहिए. उन्होंने कहा कि दलितों के लिए एक विशेष वर्ग ने जो व्यवस्था तैयार की और जो सड़ी गली व्यवस्था है उसे बदलना होगा. वहीं उन्होंने आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के ताजा बयान पर तंज किया कि कहीं कल वे खुद को शूद्र ना बताने लग जाएं.
चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का पूरी तरीके से समर्थन किया. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी ने इलेक्शन से पहले दलित वोट को रिझाने के लिए फ्री राशन देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने रोजगार तो लोगों को नहीं दिया, केवल दलितों को ठगने का काम किया है.
चंद्रशेखर ने कहा कि बीजेपी दलितों के वोट को लूटने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार पिछड़ों और दलितों के साथ है, तो पिछड़ों को 27 प्रतिशत के अतिरिक्त 15 प्रतिशत रिजर्वेशन देने का काम करें.
उन्होंने कहा कि देखिए मोहन भागवत ने जो कहा है, हमें समझना चाहिए, ऐसा तो नहीं है कि मोहन भागवत ने अपनी जिम्मेदारी किसी और के ऊपर उतारने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि जो जाति व्यवस्था बनाई, वह ब्राह्मणों ने बनाई. जाति का ऊंच-नीच अगर वह लोग ब्राह्मणों पर छोड़ रहे हैं, तो इतने लंबे समय तक उनकी सरकार थी, इसे बदलने के लिए उन्होंने क्या प्रयास किया. चंद्रशेखर ने इस इस मामले को राजनीतिक स्टंट बताने को लेकर पूछे सवाल पर कहा कि इस बारे में संघ प्रमुख मोहन भागवत से बात करनी चाहिए. रामचरितमानस के विवाद पर जिन लोगों ने अपनी राय रखी, उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए.
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि मोहन भागवत और बीजेपी एक ही हैं. वह किन लोगों के लिए काम कर रहे हैं, किन लोगों के लिए वोट बटोर रहे हैं, आप और हम जानते हैं. उन्होंने कहा कि जो एक लाइन खींची है शूद्रों के लिए, कल मोहन भागवत यह ना कहने लगें कि हम भी शूद्र हैं. चंद्रशेखर ने कहा कि मोहन भागवत को ऐसा स्टेटमेंट देने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि अब दलित जागरुक हो चुका है, शिक्षित हो चुका है और सवाल करना सीख चुका है. इसलिए आज से पहले संघ के किसी प्रमुख ने कभी यह बयान नहीं दिया था कि जातियां ब्राह्मण ने बनाई है.
चंद्रशेखर आजाद से जब यह सवाल पूछा गया कि ताड़ना शब्द पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है, उस पर उन्होंने कहा कि ताड़ना शब्द का मतलब पीटना, घसीटना और मारना ही होता है. लेकिन, कुछ बुद्धिजीवी ताड़ना शब्द को शिक्षा बता रहे हैं. चंद्रशेखर ने कहा कि आज दलित पिछडे़ वर्ग में चेतना जाग्रत हुई है. उनकी तरक्की संविधान में जो अवसर मिले हैं, उनसे हुई है. इसलिए आज वे अपने बुनियादी मुद्दों अपने अधिकार, मान-सम्मान के विषय पर खडे़ होना चाहते हैं.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप ,गोरखपुर