Karnataka Hijab row, Varanasi News: हिजाब विवाद पर सियासत गरमा गई है. विपक्ष के सियासी दिग्गजों के बीच ही अलग-अलग सुर उभर रहे हैं. वहीं हिजाब प्रकरण के धार्मिक और सियासी मुद्दा बन जाने से वाराणसी की मुस्लिम महिलाएं और युवतियां चिंतित हैं. जानें किसने क्या कहा…
नजमा परवीन, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय अवाम पार्टी ने हिजाब प्रकरण पर कहा कि अगर इन्हें हिजाब वाली जिंदगी की असलियत समझनी है तो चली जाएं तालिबान, वहां जाकर इन्हें समझ आएगा कि हिजाब वाली जिंदगी कैसी होती है. जिस मुस्लिम बेटी ने कहा कि हिजाब पहनना उनका अधिकार है तो बिल्कुल वो पहनें हिजाब, मगर वे किसी शिक्षण संस्थान में जाकर हिजाब पहनकर वहां के नियम कायदे कानून तोड़ेंगी, तो ये गलत है. उन्हें बरगलाया जा रहा है.
नजमा परवीन ने कहा कि मुस्लिम बेटियों को भी आगे बढ़ने, शिक्षा पाने का पूरा अधिकार है. जो मौलाना इन बेटियों को भड़का रहे हैं, इन पर 5 लाख इनाम दे रहे हैं तो क्या इससे इनकी जिंदगी का गुजर बसर हो पायेगा. मेरा उन मुस्लिम बेटियों से यही अपील है कि वे धर्म के आड़ में बहकना छोड़कर अपनी शिक्षा पर ध्यान दें और इस तरह के कार्यो से अपने कदम पीछे खींच लें.
नजम परवीन ने कहा कि जिस मुस्लिम बेटी ने हिजाब को लेकर कहा कि हिजाब लगाना उसका अधिकार है, उस बेटी से यही पूछना चाहूंगी कि उस प्रकरण के एक दिन पहले की उसकी फोटो में वो जीन्स टॉप पहनकर घूम रही है. क्या वहां हिजाब लगाना उसका अधिकार नहीं है. बस स्कूल में हिजाब लगाना जरूरी है. इसलिए इस तरह के कार्यो की हम बनारस की मुस्लिम बेटियां निंदा करती हैं.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि हिजाब विवाद कट्टरपंथी मौलानाओं की सोच के साथ चलता है. मुस्लिम औरतों को ये यौन शोषण की एक मशीन समझते हैं. इसलिए वे इन्हें हिजाब में रखना चाहते हैं. 1236 में इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत की गद्दी सम्भलने वाली रजिया सुल्ताना जो कि पूरी दुनिया की मुसलमान लड़कियों के लिए एक आदर्श है, वे हिजाब नहीं पहनती थीं. काले कोट और मर्दाना टोपी लगाती थी, जिसकी वजह से मौलाना उनके विरोधी हो गए थे. मौलानाओं ने उसके दुश्मनों से गठबंधन कर के उसकी हत्या तक करा दी. इनका इतिहास यही रहा है.
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि स्कूलों को माता सरस्वती का मंदिर कहा जाता है. इन्होंने अभी तक मन्दिर को तुड़वाने का कार्य किया. अब इनकी मंशा स्कूली मन्दिर को हिजाब की आड़ में तोड़ने की है. ये भारत में शरिया कानून लाना चाहते हैं. दारुल हब से दारुल इस्लाम बनाने की. ये हिजाब पहनकर, मस्जिद, पुलिस थाने, ईसाईयों के स्कूलों या अन्य जगहों पर क्यों नहीं जाते. सिर्फ स्कूल में ही क्यों, इनको जवाब कर्नाटक की बेटियों ने दे दिया है. इनको जवाब सरकार और कानून नहीं, आम जनता देगी. जिस तरह से हिन्दू बेटियों ने भगवा शाल और साफा पहनकर इनको जवाब दिया है, उसी तरह से इनको करारा जवाब मिलना चाहिए.
नाजनीन अंसारी, मुस्लिम फाउंडेशन महिला सदर ने बताया कि वर्तमान समय महिलाओं का चल रहा है. पूरी दुनिया कह रही है कि महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए. ऐसे में मुस्लिम बेटियों को बुर्के में फंसाकर साजिश रची जा रही है. जहां बहुविवाह, हलाला, तीन तलाक, विवाह अधिनियम इन सारी चीजों पर बात होनी चाहिए, वहां इस तरह के मुद्दे उत्पन्न कर मुस्लिम समाज के लोग बेटियों को गर्त में ढकेलने की साजिश कर रहे हैं. इस तरह के हिजाब प्रकरण का हमलोग विरोध करते हैं क्योंकि किसी भी स्कूल में हम जाते हैं, वहां एक अनुशासन होता है. यदि हम उसका पालन नहीं करते हैं तो वहां जाने का हमारा कोई मतलब नहीं है.
नाजनीन अंसारी ने कहा कि हम जबर्दस्ती कहे कि हम नकाब लगाकर बैठेंगे स्कूल में तो यह उस स्कूल को तोड़ने की साज़िश है. ये चीन के खिलाफ क्यों नहीं बोलते हैं क्योंकि उससे ये लोग डरते हैं. ये लोग सिर्फ भारत, हिंदुत्व को बदनाम करने के लिए ये सब करते हैं. आप इन मुस्लिम बेटियों को नारे लगाने के लिए 5 लाख रुपये दे रहे हैं तो उन मुस्लिम महिलाओं को रुपये दीजिये, जिनको तीन तलाक देकर रातों रात घर के बाहर निकाल दिया जाता है. ये लोग सिर्फ धर्म की आड़ में राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करने के लिए ये सब करते हैं.
अर्चना भारतवंशी, महासचिव, विशाल भारत संस्थान ने हिजाब को लेकर कहा कि जिस तरह की मांगें मुस्लिम समुदाय की बेटियां कर रही है, वे बिल्कुल भी जायज नहीं है. ये मुस्लिम कौम की बेटियों को पीछे ढकेलने की साजिश हो रही है, जो मुल्ला और मौलवियों द्वारा की जा रही है. इसकी हम लोग घोर निंदा करते हैं और उस समाज की बेटियों से अपील करते हैं कि आपके खिलाफ षड्यंत्र रचा जा रहा है. आप जागिये. हिन्दू समाज में भी सती प्रथा थीं. जो प्रथाएं गलत थी, उसको समय के साथ त्याग दिया गया. ये कोई जरूरी नहीं है कि आपकी जो प्रथाएं चल रही हैं, आप उसे आगे तक समाज में लेकर जाए. अगर वो प्रथा गलत है तो आप उसे त्यागिये.
अर्चना भारतवंशी ने कहा कि पुलिसिंग में जाने पर क्या आप नकाब लगाकर जाएंगी. अगर आप चांद पर अपना पहला कदम रखेंगी तो क्या नकाब लगाकर रखेंगी. आप कोई भी कार्य करने जाती हैं तो क्या नकाब लगाकर करती हैं. अगर आप वोट डालने जाएंगी तो नकाब लगाकर जाएंगी? तो जो चीज गलत है, उसका विरोध करिये और हर स्कूल में यूनिफॉर्म होना चाहिए. नहीं तो कल के दिन को बाकी लोग डिमांड करने लगेंगे कि हम भगवा गमछा लेकर स्कूल जाएंगे. हम चुनरी ओढ़कर स्कूल जाएंगे तो किसकी किसकी मांगे मानी जायेंगी.
अर्चना भारतवंशी ने कहा कि इस वक्त चुनाव को लेकर जो लोग गलत बातें और अफवाह फैला रहे हैं, उससे सबको जागरूक होना चाहिए और कर्नाटक की जिस मुस्लिम बेटी ने हिजाब का समर्थन किया है, उसकी व्यक्तिगत जिंदगी को आप देखेंगे तो वो जीन्स पहनती हैं. बिना हिजाब के आराम से पब्लिक प्लेस पर घूमती हैं. मुस्लिम लड़कियों को बहकाने के लिए उसको मौलवी द्वारा प्लांट किया गया है. इस षड्यंत्र को मुस्लिम बेटियों को समझना चाहिए और आगे बढ़कर उस मुस्लिम बेटी की निंदा करनी चाहिए.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी