12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sarva Pitru Amavasya 2023: आज सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण, जानें श्राद्ध को लेकर क्या है विधान और उपाय

Sarva Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या के कारण इस बार 14 अक्तूबर को शनिश्चरी अमावस्या का महत्व बेहद ज्यादा है. शास्त्रों के मुताबिक इस दान दान-पुण्य करने का कई गुना पुण्य मिलता है और अगर किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या का प्रकोप हैं तो उससे राहत मिलती है.

Sarva Pitru Amavasya 2023: शास्त्रों के मुताबिक अश्विन माह में आने वाली अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है. इस दिन के बाद पितृपक्ष का समापन होता और फिर अगले दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है. उदयातिथि के अनुसार अमावस्या की तिथि 14 अक्तूबर को है. इस दिन शनिवार होने से ये शनिश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी. ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों को श्राद्ध व तर्पण के साथ विदाई दी जाएगी. उत्तर प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज के गंगा के घाट से लेकर अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों में पितृ विसर्जन के सभी अनुष्ठान पूर्ण होंगे. पिशाचमोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि भी दी जाएगी. शनिवार को पितृ विसर्जन पर भगवान विष्णु के हंसस्वरूप की पूजा के साथ ही पितरों के आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाएगा. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूर्यग्रहण के भारत में दिखाई नहीं देने के कारण श्रद्धालुओं को तर्पण करने के लिए पूरा समय मिलेगा. ऐसे में पितरों का तर्पण करने वाले लोगों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, वह सूर्य ग्रहण को लेकर मन में कोई शंका नहीं रखें. विधि विधान और श्रद्धाभाव से पितरों का तर्पण करें. काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि उदया तिथि के मुताबिक, इस बार सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्तूबर को है. अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्तूबर को रात 9:50 बजे हो गया है. इसका समापन 14 अक्तूबर को रात 11:24 बजे होगा.

अमावस्या का श्राद्ध इ​सलिए होता है अहम

शास्त्रों के मुताबिक जो व्यक्ति पितृपक्ष के 15 दिनों तक तर्पण, श्राद्ध नहीं कर पाते या जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद नहीं हो, उन सभी पितरों के श्राद्ध, तर्पण, दान आदि इसी अमावस्या को किए जाते हैं. सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना उत्तम माना जाता है.

श्राद्ध के मुहूर्त

  • कुतुप मुहूर्त – पूर्वाह्न 11.44 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक

  • रौहिण मुहूर्त – दिन में 12.30 बजे से दोपहर 1.16 बजे तक

  • अपराह्न काल – दिन में 1.16 बजे से दोपहर 3.35 बजे तक

Also Read: Aaj Ka Rashifal 14 अक्तूबर शनिवार 2023: मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, धनु, कुंभ राशि वालों पर मेहरबान रहेगी किस्मत
अमावस्या के श्राद्ध में इन बातों का रखें ध्यान

अमावस्या के श्राद्ध पर भोजन में खीर पूड़ी का होना आवश्यक है. भोजन कराने और श्राद्ध करने का समय दोपहर होना चाहिए. ब्राह्मण को भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें. भोजन कराने के बाद में घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें. शास्त्रों के मुताबिक पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवता और पितरों का वास होता है. मान्यता है अमावस्या तिथि पर पीपल की पूजा करने पर पितृदेव प्रसन्न होते हैं. तांबे के लोटे में जल, काला तिल और दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्पित करें. उसके बाद ऊं सर्व पितृ देवताभ्यो नमः मंत्र का जाप करें.

भूलकर भी नहीं करें ये काम

  • सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण होने के चलते गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से बचें. श्मशान घाट या सूनसान जंगल में न जाएं.

  • सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण की वजह से तुलसी की पूजा न करें और ना ही तुलसी के पत्ते तोड़ें.

  • सूर्य ग्रहण में सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ के कार्यों को वर्जित माना गया है.

सूर्य ग्रहण के बाद करें ये उपाय

सूर्य ग्रहण के बाद गाय को हरा चारा भी खिलाएं. इसके साथ ही किसी असहाय व्यक्ति को अन्न दान करें. ग्रहण के दौरान घर में सभी पानी के बर्तन में, दूध और दही में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डाल दें. फिर ग्रहण समाप्त होने के बाद दूब को निकालकर फेंक दें.

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति कमजोर है तो उसे सही करने के लिए सूर्य ग्रहण के समापन के बाद गेहूं, लाल चंदन, गुड़ और लाल फूल का दान करें. इससे उसको लाभ होगा. ये उपाय करियर में उच्च पद की प्राप्ति के लिए भी बेहद मददगार है. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण पृथ्वी और चंद्रमा के चक्कर लगाने के कारण होता है. सूर्य अपनी जगह पर स्थिर है. पृथ्वी इसका चक्कर लगा रही होती है. वहीं चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य दोनों का चक्कर लगाता है. जब कभी चंद्रमा एक ऐसी स्थिति में हो कि वह चक्कर लगाते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाए और उसकी परछाई धरती पर पड़ने लगे तो यह सूर्य ग्रहण कहलाता है. वहीं चंद्रमा और सूर्य के बीच जब पृथ्वी आ जाए तो यह चंद्र ग्रहण कहलाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें