बिहार के चुनावी अखाड़े में लाख टके का सवाल है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम किसे नुकसान पहुंचाएगी. दरअसल, ओवैसी का प्रभाव सीमांचल के चार जिलों में दिखता है. किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया की 40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर किंगमेकर की स्थिति में हैं. किशनगंज की 70 फीसदी आबादी अल्पसंख्यक है. ऐसे में मुस्लिम वोट पर नजर लगाए राजद और कांग्रेस की बेचैनी समझी जा सकती है. ओवेसी पर एनडीए की भी पैनी नजर है. राजद का आधार वोट मुस्किल और यादव समीकरण रहा है. इस बार राजद दायरा तोड़ने की कोशिश कर रहा है. पिछले कई चुनावों में अल्पसंख्यक मतदाताओं का झुकाव सीएम नीतीश कुमार के पक्ष में होता रहा है. इस बार के चुनाव को देखें तो जदयू ने 115 सीटों में 11 मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए चुनाव है. जबकि, ओवैसी ने पहले अकेले चुनाव में उतरने की घोषणा की. बाद में छह पार्टियों के साथ गठबंधन करके ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट बना लिया.
बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी किसका खेल बिगाड़ सकती है?
बिहार के चुनावी अखाड़े में लाख टके का सवाल है. Asadudding Owaisi की पार्टी AIMIM किसे नुकसान पहुंचाएगी? दरअसल, ओवैसी का प्रभाव सीमांचल के चार जिलों में दिखता है. किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया की 40 Vidhan Sabha Seats पर मुस्लिम वोटर किंगमेकर की स्थिति में हैं.
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