सीट बंटवारे की खबरों के बीच जिसका इंतजार था वो फैसला सामने आ गया. महागठबंधन के सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर मुहर लग गई. इसके तहत राजद 144 और कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जबकि, लेफ्ट पार्टियों के हिस्से में 29 सीटें गई हैं. आज हम बात करते हैं बिहार में सिमटती गई देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की. बिहार की राजनीति में कांग्रेस ने अपना उत्थान और पतन दोनों देखा. राममंदिर आंदोलन और मंडल कमीशन की रिपोर्ट के बाद बिहार में ऐसे हालात बदले कि कभी सत्ता की रिमोट कंट्रोल को हाथों में रखने का दावा करने वाली कांग्रेस हाशिए पर चली गई. इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने खुद के लिए ज्यादा सीटें हासिल करने में सफलता हासिल की है. 2015 में 41 सीटों पर लड़कर 27 सीटें जीत लेने से उसके हौसले बुलंद रहे. अब, नजर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव पर है.
बिहार चुनाव 2020: 1990 के बाद सिमटती चली गई कांग्रेस, महागठबंधन के साथ कितना करेगी कमाल?
सीट बंटवारे की सुगबुगाहट के बीच जिसका इंतजार था वो फैसला सामने आ गया है. महागठबंधन के सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर मुहर लग चुकी है. सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत राजद 144 और कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जबकि, लेफ्ट पार्टियों के हिस्से में 29 सीटें गई हैं. आज हम बात करते हैं बिहार में सिमटती गई देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की. बिहार की राजनीति में कांग्रेस ने अपना उत्थान भी देखा और पतन भी.
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