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दवाएं देना तो दूर, खरीद भी नहीं रही सरकार

अस्पतालों में दवाएं नहीं रांची : राज्य सरकार गत दो वर्षो से दवाएं खरीद ही नहीं सकी है. मरीजों के बीच इसका वितरण करना तो बाद की बात है. कुछ अपवाद छोड़ कर राज्य के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में एंटी बायोटिक, पेन किलर व दूसरी जेनरल मेडिसिन की भी भारी कमी है. संताल परगना के […]

अस्पतालों में दवाएं नहीं
रांची : राज्य सरकार गत दो वर्षो से दवाएं खरीद ही नहीं सकी है. मरीजों के बीच इसका वितरण करना तो बाद की बात है. कुछ अपवाद छोड़ कर राज्य के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में एंटी बायोटिक, पेन किलर व दूसरी जेनरल मेडिसिन की भी भारी कमी है. संताल परगना के विभिन्न जिलों के सिविल सजर्नों ने बताया कि सब सेंटर से लेकर सीएचसी तक में दवाओं की खरीद के लिए पर्याप्त राशि नहीं है. यहां तक कि सदर अस्पताल में भी जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है.
राज्य भर के अस्पतालों में कुत्ता व सांप काटने पर उसके इलाज के लिए दवा नहीं थी. बाद में कुछ जिलों में इसकी खरीद हुई. इधर राज्य के अकेले इंफेक्सियस डिजीज हॉस्पिटल (आइडीएच), रांची में भी टेटनस सहित अन्य जरूरी दवाएं भी खत्म हो गयी हैं.
बच्चों का विटामिन-ए नहीं
दवाओं की कमी का असर बच्चों पर भी पड़ रहा है. राज्य भर के करीब 38 लाख बच्चों को गत दो वर्ष से विटामिन-ए की खुराक नहीं दी गयी है. इससे उनकी सेहत पर असर पड़ सकता है. विभिन्न जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व स्वास्थ्य उप केंद्रों में विटामिन-ए सीरप उपलब्ध नहीं है.
इसकी केंद्रीकृत खरीद झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सोसाइटी के तहत होनी है. विटामिन-ए की खुराक का तीसरा डोज फरवरी-12 में दिया गया था. इस तरह दो वर्ष से विटामिन-ए उपलब्ध नहीं रहने का खामियाजा राज्य के 37.89 लाख बच्चों को भुगतना पड़ सकता है. ये बच्चे नौ माह से लेकर पांच वर्ष तक की उम्र के हैं. विटामिन-ए की खरीद की फाइल विभाग में लंबित है.

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