16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सपा और बीजेपी में प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती

समीरात्मज मिश्र लखनऊ से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 15 फ़रवरी को जिन 67 सीटों पर मतदान हो रहा है उनमें से 34 सीटें इस समय समाजवादी पार्टी के पास हैं और तीन कांग्रेस के पास हैं. पिछली बार 18 सीटों के साथ बहुजन समाज पार्टी […]

Undefined
सपा और बीजेपी में प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती 5

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 15 फ़रवरी को जिन 67 सीटों पर मतदान हो रहा है उनमें से 34 सीटें इस समय समाजवादी पार्टी के पास हैं और तीन कांग्रेस के पास हैं.

पिछली बार 18 सीटों के साथ बहुजन समाज पार्टी दूसरे नंबर पर थी. इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं और इस मुक़ाबले को बीजेपी ने त्रिकोणीय बना दिया है.

यूपी चुनाव में इसलिए दांव पर है मोदी की साख

हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र से महज 10 सीटें ही मिल सकी थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव में उसने बदायूं को छोड़कर इलाक़े की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों में ही अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है.

ELECTION SPECIAL: यूपी चुनाव में बसपा बड़ी ताकत

Undefined
सपा और बीजेपी में प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती 6

वरिष्ठ पत्रकार श्रवण शुक्ल कहते हैं, "आमतौर पर दलित, पिछड़े और सवर्ण मतदाताओं में विभाजन की स्थिति चुनावों में बनती थी, लेकिन इस बार मुस्लिम मतदाताओं में भी वर्ग के अनुसार विभाजन हो रहा है.”

यूपी के चुनावी घमासान के लिए राजनीतिक दलों का वार रूम

उन्होंने कहा, ”पिछड़े वर्गों से ताल्लुक रखने वाले मुसलमानों और उच्च वर्ग के मुसलमानों से हुई बातचीत के आधार पर ये कहा जा सकता है कि कई सीटों पर ये दोनों एक ही पार्टी या उम्मीदवार को वोट नहीं डाल रहे हैं. ऐसे में मतों के इस विभाजन का फ़ायदा किसे मिलेगा, ये कहना बड़ा मुश्किल है."

इस चरण के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ ज़िलों के अलावा रूहेलखंड की कई सीटें भी आती हैं. कई ऐसे इलाक़े हैं जहां स्थानीय स्तर पर कुछ उद्योग चला करते थे, लेकिन पिछले कई सालों से उनकी हालत ख़राब बताई जा रही है. मसलन बरेली में ज़री का काम होता है तो मुरादाबाद पीतल के सामान के लिए मशहूर है.

Undefined
सपा और बीजेपी में प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती 7

स्थानीय स्तर पर ये सभी चुनावी मुद्दे हैं लेकिन जानकारों के मुताबिक मतदाता पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है. दूसरे चरण के चुनाव में कई दिग्गजों की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. इनमें रामपुर से सपा नेता आज़म ख़ान और स्वार सीट से चुनाव लड़ रहे उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म भी शामिल हैं.

इसके अलावा तिलहर से कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद, बीजेपी के विधायक दल के नेता सुरेश खन्ना और मौजूदा सरकार में मंत्री कमाल अख़्तर प्रमुख नेता हैं.

श्रवण शुक्ल कहते हैं कि कई नेताओं का तो राजनीतिक करियर दांव पर लगा हुआ है, "अजित सिंह जाटों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. इस बार वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर कई दूसरी सीटों पर भी अपने उम्मीदवार लड़ा रहे हैं. इसके अलावा आज़म ख़ान और उनके बेटे की भी चुनावी मैदान में क़िस्मत और राजनीतिक भविष्य दोनों का फ़ैसला होना है."

Undefined
सपा और बीजेपी में प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती 8

जहां तक बीजेपी का सवाल है तो उसके पास विधायक भले ही कम हैं लेकिन सांसदों की इस इलाके से कोई कमी नहीं है. पार्टी ने भी पीलीभीत की सांसद मेनका गांधी, बरेली के सांसद संतोष गंगवार और शाहजहांपुर से सांसद कृष्णाराज को मंत्री बनाकर इलाक़े को ख़ासी तवज्जो दी है. ज़ाहिर है, चुनाव में इन नेताओं का भी इम्तिहान होगा ही.

दूसरे चरण में सबसे ज़्यादा चार लाख सत्तर हज़ार मतदाता मुरादाबाद नगर सीट पर हैं. इसी सीट पर सबसे ज़्यादा महिला मतदाता भी हैं. जबकि सबसे कम दो लाख बयासी हज़ार मतदाता बिजनौर ज़िले की धामपुर सीट पर हैं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें