होली का त्योहार हर किसी को अंदर से उत्साहित कर देता है. खासकर तब जब होली के रंग में संगीत का धुन घुले तो हर कोई झूम उठता है. होली से पहले ही फगवा गीत और ढोलक पर बजने वाली धुन होली की तैयारियों का ही अंग माना जाता है. ऐसे में होली के वक्त ध्रुपद गायकी का भी खुब चलन होना है. आप भी सुनिए होली के रंग ध्रुपद गायकी के संग.
झारखंड की राजधानी रांची के पंडित शैलेंद्र कुमार पाठक गया घराने के प्रसिद्ध गायक हैं. ध्रुपद गायन के लिए पंडित जी विदेश भी जा चुके हैं. संगीत इन्हें विरासत में ही मिली है. इन्होंने 5 वर्ष की उम्र से ध्रुपद गायन की शिक्षा ली है. पेशे से शिक्षक पंडित शैलेंद्र को संगीत विरासत में मिला है. ये बच्चों को घर पर भी संगीत की शिक्षा देते हैं.