प्रह्लाद कक्कड़ एड गुरु
एक ब्रांड के रूप में आज के दौर में महात्मा गांधी एक यूथ आइकॉन हैं. देश के युवाओं को गांधीजी इसलिए आकर्षित करते हैं, क्योंकि वे क्रांतिकारी थे. और क्रांतिकारिता युवाओं के खून में होती है. अगर युवा उन्हें पसंद न करें, उनके बारे में पढ़ें-लिखें नहीं, उन पर फिल्में न बनायें, तो गांधी की प्रासंगिकता एक ब्रांड का रूप नहीं ले सकती. हमारे बूढ़े-बुजुर्ग तो गांधीजी के विचारों पर कब्जा करके बैठे हुए हैं, कि बापू जी के बारे में ये न कहो, वो न कहो. लेकिन, वह भारत का युवा ही है, जो उनके विचारों काे नये-नये तरीके से हमेशा नये-नये आयाम देता रहा है.
यह युवा एक साथ चेग्वेरा को भी पसंद करता है और गांधीजी को भी, क्योंकि चेग्वेरा बंदूक लेकर क्रांति करने निकला था और गांधीजी लाठी लेकर. इन दोनों क्रांतिकारियों का मकसद एक था और इसलिए क्रांति के स्तर पर चेग्वेरा और गांधी में कोई अंतर नहीं है. यही वजह है कि आज का युवा एक तरफ चेग्वेरा की तस्वीर वाली टीशर्ट पहने घूमता है, तो दूसरी तरफ गांधीजी की तरह अहिंसक आंदोलनों में अपनी भूमिका भी निभाता है. यही चीज गांधीजी को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करती है.