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सोशल मीडिया के जरिये इन तरीकों से कर सकते हैं प्रोडक्ट की मार्केटिंग
ऋचा आनंद बिजनेस रिसर्च व एजुकेशन की जानकार अपने ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आजकल ज्यादातर कंपनियां सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं. क्या इस संदर्भ में किसी स्टार्टअप की शुरुआत की जा सकती है? संबंधित जानकारी प्रदान करें. यह सही है कि सोशल मीडिया विज्ञापन का बड़ा प्लेटफार्म बन गया है. ऐसे […]
ऋचा आनंद
बिजनेस रिसर्च व एजुकेशन की जानकार
अपने ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आजकल ज्यादातर कंपनियां सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं. क्या इस संदर्भ में किसी स्टार्टअप की शुरुआत की जा सकती है? संबंधित जानकारी प्रदान करें.
यह सही है कि सोशल मीडिया विज्ञापन का बड़ा प्लेटफार्म बन गया है. ऐसे में इससे जुड़े कारोबार में काफी संभावनाएं बन जाती हैं. छोटे और मध्यम वर्ग के कारोबारियों के पास विज्ञापन के लिए बड़ी पूंजी नहीं होती और इसलिए वे सोशल मीडिया पर ही ज्यादा फोकस करते हैं. इस कारोबार की वृद्धि के लिए आपको अच्छे से रिसर्च करना होगा, क्योंकि सोशल मीडिया में भी कई विकल्प बन गये हैं और हर प्रोडक्ट के लिए सारे विकल्प कारगर नहीं भी हो सकते हैं. कुछ ध्यान देने वाले पहलू इस प्रकार हैं :
(क) प्रोडक्ट का टारगेट उपभोक्ता कौन है और उनका पसंदीदा सोशल मीडिया प्लेटफार्म कौन सा हो सकता है, उनका इन प्लेटफार्म पर बिताया समय कितना है और कब है. यह पता रहने से आप अपने विज्ञापन का प्लेसमेंट सटीक और समय अनुसार कर पायेंगे.
(ख) संबंधित सोशल मीडिया पर स्वतंत्र या नियंत्रित रूप से विज्ञापन चलाने की विधि क्या है और खर्च कितना आता है. इसके अलावा कुछ प्लेटफार्म विज्ञापन के विषयों को भी संचालित और विनियमित करते हैं, जिसकी जानकारी लाभकारी रहेगी.
(ग) कुछ ब्रांड अपने प्रचार के लिए इंडोर्समेंट का जरिया भी चुन रहे है. इस तरीके में, ब्रांड अपने प्रोडक्ट चुने हुए लोगों को इस्तेमाल करने और उसका वीडियो बना कर यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेफॉर्म पर अपलोड करने के पैसे देते हैं.
इसके बाद कारोबार के तौर पर आपकी जिम्मेवारी होती है इन वीडियो को ज्यादा-से-ज्यादा दर्शक दिलाना और शेयर करवाना. यह तरीका युवा वर्ग में ज्यादा प्रभावी है और प्रचार की लागत भी कम आती है.
जितना ये ब्रांड आपके विज्ञापन की स्टोरी पर भरोसा करेंगे, उतना ही आपका स्टार्टअप आगे बढ़ेगा, क्योंकि यहां आप बी-टू-बी बिजनेस में हैं, जहां आप अपने काम का सीधा विज्ञापन कम ही कर सकते हैं.
ऑर्गेनिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स : अवसर और चुनौतियां
ऑर्गेनिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ रही है. क्या कम लागत में इसका निर्माण उद्योग शुरू किया जा सकता है? कृपया उचित मार्गदर्शन करें.
देश में ब्यूटी प्रोडक्ट्स और कॉस्मेटिक्स का चलन जोरों पर है. लाइफस्टाइल में बदलाव, पर्चेसिंग पावर में वृद्धि और अच्छा दिखने की ललक से आर्गेनिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स लोगों में प्रचलित हो रहे हैं. कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स ड्रग्स और कॉस्मेटिक एक्ट 1940 से संचालित होते हैं. इसी के प्रावधानों के तहत आपको अपने प्रोडक्ट्स को पंजीकृत कराना होता है. मान्यता प्राप्त टीम उत्पादन की विधि का निरीक्षण करती है और नतीजे के मुताबिक पंजीकरण की मंजूरी देती है. आपको फार्मेसी में डिप्लोमा कर्मचारी रखने होंगे, जिनकी देख-रेख में उत्पादन होगा.
आॅर्गेनिक प्रोडक्ट्स को कम लागत में बनाने में आनेवाली मुश्किलें इस प्रकार हैं :
(क) मैटेरियल की कमी : आॅर्गेनिक मैटेरियल के सोर्स कम होते हैं और इस कारण इनका आउटपुट भी कम होता है. इससे प्रोडक्ट बनाने की लागत बढ़ जाती है.
(ख) रिसर्च और क्वालिटी में खर्च : सरकार नकली आॅर्गेनिक प्रोडक्ट्स को लेकर सजग हो गयी है, इसलिए आपको क्वालिटी कंट्रोल तकनीक भी रखनी होगी.
(ग) आॅर्गेनिक प्रोडक्ट्स का उत्पादन छोटे और खास तरीके से ही हो सकता है, जिस कारण इसकी लागत बढ़ जाती है. इसलिए प्रोडक्ट और ब्रांड की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए लागत में कमी लाना मुश्किल होगा.
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