केंद्र की मोदी सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं. इन चार सालों में किये गये कामों के आधार पर सरकार जहां अपनी उपलब्धि गिना रही है, वहीं विपक्ष सरकार द्वारा जनता से किये गये किसी भी वादे को पूरा नहीं करने की बात कह रहा है. मोदी सरकार के चार साल के कामकाज के दौरान नीतिगत स्तर पर नोटबंदी और जीएसटी जैसे निर्णायक फैसले लिये गये.
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के बीच विवाद और न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए गठित नेशनल ज्यूडिशियल एकाउंटिबिलिटी कमीशन को असंवैधानिक करार देने का मामला सुर्खियों में रहा. इन सभी मुद्दों पर केंद्रीय कानून एवं आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद से प्रभात खबर के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह की बातचीत.
Q मोदी सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं. सरकार के काम-काज का आकलन आप किस तरह से करते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अगुआई में भारत दुनिया की बड़ी ताकत बना है और देश की दुनिया में पहचान बनी है. मोदी जी वैश्विक नेता के तौर पर उभरे हैं. यही कारण है कि आतंकवाद के मुद्दे पर सभी देश भारत के साथ खड़े हैं. यही नहीं, तथाकथित इस्लामिक देश सऊदी अरब, इराक, इरान, जार्डन जैसे देशों ने भी भारत का समर्थन किया है. भारत में पूंजीनिवेश बढ़ा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(आइएमएफ) और विश्व बैंक ने भी कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी. बीते चार सालों में सरकार के ऊपर एक भी धब्बा नहीं लगा. बिचौलिये सरकारी दफ्तरों से गायब हैं. निर्णय प्रामाणिकता से लिये जा रहे हैं तथा देश में एक स्वच्छ और पारदर्शी शासन है.
Q आप सब कुछ अच्छा बता रहे हैं, लेकिन डिजिटल इंडिया और डिजिटल गवर्नेंस की ही बात करें, तो लोग इससे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं…
प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार गरीबों और उनके विकास के लिए काम करेगी. सरकार टेक्नोलॉजी के माध्यम से किस तरह विकास का काम कर रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 130 करोड़ की आबादी में 121 करोड़ मोबाइल फोन हैं, 121 करोड़ ‘आधार’ और लगभग 50 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं. यूपीए के आधार और एनडीए के आधार के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि हमारी सरकार ने आधार को कानूनी दर्जा दिया.
सरकार ने 90 हजार करोड़ रुपये डीबीटी के जरिये बचाये. यही ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘डिजिटल गवर्नेंस’ हैं. मुद्रा योजना में 12 करोड़ लोगों को लगभग 5.5 करोड़ रुपये दिये गये, 18 करोड़ लोगों को जीवन सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, उज्ज्वला योजना यह सब गरीबों के विकास के लिए ही तो कर रही है और यह सब डिजिटल इंडिया के कारण संभव हो सका है. यूपीए सरकार के दौरान देश में सिर्फ 83 हजार कॉमन सर्विस सेंटर थे, जो आज बढ़कर तीन लाख हो गये है. लगभग दो लाख ग्राम पंचायतों में इसकी सुविधा है. अब पटना के लोग एम्स में अपना रजिस्ट्रेशन डिजिटल के माध्यम से कर रहे हैं. डिजिटल माध्यम से डिजिटल सेवा गरीबों को उपलब्ध हो, इस पर मोदी सरकार ईमानदारी से काम कर रही है.
Q लेकिन छोटे शहरों में डिजिटल रोजगार के अवसर बहुत ही सीमित हैं, सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा रही है?
2014 में जब बेंगलुरु एक मीटिंग में गये थे, तो बिहार, यूपी, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि के बच्चे बाहर खड़े थे और उनलोगों ने कहा कि अाप कुछ वैसा कीजिए, जिससे हमलोग गांव लौट सकें. हमारी सरकार ने छोटे शहरों में बीपीओ खोलने की योजना बनायी. देश के 27 राज्यों के 89 स्थानों पर बीपीओ शुरू हो गया है. नागालैंड, इंफाल, गुवाहाटी, पटना, मुजफ्फरपुर, कानपुर, उन्नाव, बरेली, औरंगाबाद, भिवंडी में यह शुरू हो गया है और जल्द ही यह गाजीपुर, देवरिया, गया, जहानाबाद में खुल जायेंगे. क्या कोई कल्पना कर सकता है कि ऐसे स्थानों पर भी डिजिटल रोजगार के अवसर मिल पायेंगे? इस तरह से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हम समावेशी भारत का निर्माण कर रहे हैं.
Q आइटी हार्डवेयर मैन्युफेक्चरिंग में हम काफी पीछे हैं, इस दिशा में आपका मंत्रालय क्या कर रहा है?
ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हम सॉफ्टवेयर में भी और हार्डवेयर में भी अच्छा कर रहे हैं. आज देश में 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र के लोगों की है. युवा तकनीक पसंद करता है. अब तो बूढे- बच्चे भी इसका प्रयोग कर रहे हैं. यह देश के भविष्य के लिए सुखद है. ऐसा नहीं है कि चार साल में देश में सबकुछ अच्छा हो गया, लेकिन हम ठीक रास्ते पर चल रहे हैं.
Q इंडिया के लिए साइबर वर्ल्ड सिक्योर करना एक बड़ी चुनौती रहा है, लेकिन अब क्लाउड कंप्युटिंग, ई-कॉमर्स, डिजिटल पेमेंट की वजह से साइबर सिक्यूरिटी को और भी बड़ा खतरा है. सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा रही है?
हम साइबर खतरे की चिंताओं को समझते हैं और कदम भी उठा रहे हैं. इसके लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था मजबूत की जा रही है. देश में आज नेशनल हाइवे और इंफॉर्मेशन हाइवे काफी मायने रखते हैं. नेशनल हाइवे पर अगर दुर्घटना होती है, तो हम इसे बनाना बंद नहीं कर सकते. दुर्घटना से बचने के लिए उपाय किये जाते हैं. ऐसी ही सावधानी इंफॉर्मेशन हाइवे पर भी बरतनी पड़ती है. मोबाइल को किसी दूसरे को नहीं देने, पासवर्ड शेयर नहीं करने और पैसे के लालच में फ्राॅड करने वाले को अपना डिटेल नहीं देकर गड़बड़ी से बचा जा सकता है. भारत का डिजिटल वर्ल्ड दुनिया में प्रशंसा का विषय बन रहा है, क्योंकि इसके जरिये हम एक ईमानदार और उत्तरदायी शासन ला रहे हैं.
Q सरकार डेटा प्राइवेसी को रोकने के लिए क्या कर रही है?
हम नया कानून बना रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी हुई है. जल्द ही उसकी रिपोर्ट आ जायेगी. जो भी सुझाव मिलेगा, उस पर सरकार विचार करेगी.
Q इंडिया ग्लोबल आउटसोर्सिंग मामले में लीडिंग पाेजिशन में था, लेकिन अब अमेरिकी सरकार के एंटी आउटसोर्सिंग पॉलिसी से खतरे में है. ऊपर से फिलिपींस, चीन, कोस्टा-रिका के तरफ से कंपीटीशन बढ़ा है. इन सब से निबटने के लिए सरकार ने अबतक क्या कदम उठाये हैं और आगे का क्या प्लान है?
देखिए, बीते चार साल में देश में 120 मोबाइल कंपनियां आयी हैं. अन्य भी आ रही हैं. फेसबुक, ट्वीटर का सबसे बड़ा केंद्र कौन है? भारत है. भारत का डिजिटल मार्केट सबसे बड़ा है. हमें पूरा विश्वास है कि हम भारत की डिजिटल इकोनॉमी को आने वाले पांच-सात सालों में लगभग एक लाख करोड़ से ऊपर ले जायेंगे और उससे 50 से 70 लाख लोगों को नौकरी मिलेगी.
Q आज देश में नौकरियां सीमित हाेती जा रही है. बच्चे बेरोजगार घूम रहे हैं. खासकर आइटी के क्षेत्र में. इन सबको आप कैसे समायोजित करेंगे?
हमारे प्रयास से कॉमन सर्विस सेंटर से 10 लाख लोगों को, मोबाइल मैन्युफेक्चरिंग में 4.50 लाख लोगों को नौकरी मिली और बाकी कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक, एलइडी बल्व आदि जाे बन रहे हैं, उन सभी को मिला दिया जाए, तो यह संख्या 5.50 लाख से अधिक है. शुद्ध आइटी क्षेत्र में लगभग 40 लाख लोग प्रत्यक्ष काम करते हैं और एक करोड़ 25 या 30 लाख लोग अप्रत्यक्ष तौर पर. इसमें एक तिहाई महिलाएं हैं. पिछले तीन साल में, नास्कॉम के अनुसार, छह लाख लोगों को आइटी में नौकरी मिली है. 2016-17 में यह संख्या एक लाख थी.
यदि 12 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना के तहत कर्ज मिला है और इनमें से आधे लोगों ने भी अपने बिजनेस में एक व्यक्ति को जोड़ा, तो 5 से 6 करोड़ तो यही हो गया. सड़कों का निर्माण हो रहा है, वहां भी रोजगार के अवसर मिले हैं. इंप्लायमेंट प्रोविडेंट फंड में एक करोड़ लोग नये रजिस्टर हुए हैं. जीएसटी में एक करोड़ से ज्यादा ट्रेडर आये हैं. इनकम टैैक्स रिटर्न जमा करने वालों की संख्या बढ गयी है. ई-वीसा से भारत में पर्यटकों की संख्या में 25 गुणा की वृद्धि हुई है, इन सब कामों से रोजगार का ही तो सृजन हो रहा है.
Q देश में करोड़ाें मामले पहले से ही लंबित हैं और इस सरकार के आने के बाद भी इस पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. इसके समाधान की दिशा में क्या करने जा रहे हैं? साथ ही न्यायपालिका को लेकर कांग्रेस का जो आरोप रहा है, उस पर क्या कहेंगे?
मैं पहले बता दूं कि न्यायपालिका का हम पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन हारी हुई कांग्रेस न्यायपालिका के गलियारे से प्रायोजित केस के द्वारा देश को प्रभावित करने की कोशिश करती है, तो वह हमें स्वीकार नहीं होगा. लोया केस को लेकर जानबूझकर देश को गुमराह किया गया. कांग्रेस राम मंदिर की सुनवाई 2019 के बाद कराने की मांग करती है, जबकि लोया मामले की जल्द. कभी न्यायाधीश के ऊपर महाभियोग लाती है, तो कभी उसी न्यायाधीश के पास सुनवाई के लिए भी पहुंच जाती है. कांग्रेस की रणनीति कहीं-न-कहीं सुप्रीम कोर्ट पर दबाव डालने की थी, जिसमें वह सफल नहीं हो पायी.
जहां तक लंबित मामलों की बात है, तो 10 साल पुराने मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निबटाने के लिए कोर्ट को पत्र लिखा है. इसके लिए ई-कोर्ट, न्यायाधीशों की नियुक्ति, फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने के अलावा कई कदम उठाये गये हैं. ई-कोर्ट की संख्या 13 हजार से 16 हजार और फास्ट ट्रैक कोर्ट 350 से 750 हो गये. 2016 में 126 हाइकोर्ट जज बनाये गये, जो 30 साल में सबसे अधिक हैं. पिछले साल 117 और इस साल अब तक 28 नियुक्त हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में 18 नियुक्तियां हो चुकी हैं. 330 से अधिक एडिशनल जजों को नियुक्त करने का काम पूरा हो चुका है. 1995 से चल रहे ज्यूडिशियल स्पांसर सेंट्रल स्कीम के तहत केंद्र अब तक छह हजार करोड़ रुपये दे चुका है. हम अपना काम कर रहे हैं, लेकिन न्यायपालिका में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
Q आप न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता की बात करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के नेशनल ज्यूडिशिएल एकाउंटबिलिटी कानून को खारिज कर दिया है. ऐसे में नियुक्ति में पारदर्शिता के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
हमने उस निर्णय को मान लिया है. उसके कारणों पर हमारी आपत्ति थी, लेकिन एक बात हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि कानून मंत्री के रूप में मैं पोस्ट ऑफिस नहीं हूं. उचित लोगों की नियुक्ति हो, अच्छे लोगों की नियुक्ति हो, जो पहली बार वकील बने हैं, उनको भी जज बनने का अवसर मिले, महिलाओं, अल्पसंख्यक, पिछड़े, अनुसूचित जाति- जनजाति को भी मौका मिले इस पर सरकार का विशेष फोकस है.
Q आप सरकार की जो योजनाएं बता रहे हैं, उनमें सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, जो सरकार के लिए गेमचेंजर हो, साथ ही कोई वैसा काम जो आपकी सरकार या आपका मंत्रालय करना चाह रहा हो, लेकिन उसे अब तक पूरा नहीं किया जा सका हो?
किसानों के लिए सरकार ने 11 लाख करोड़ रुपये कर्ज और 50 हजार करोड़ रुपये ड्रीप एरिगेशन के लिए दिये हैं. यूरिया की कालाबाजारी रोकने, स्वायल हेल्थ कार्ड, व्हाइट रिवोल्यूशन, ग्रीन रिवोल्यूशन, ये सब क्या है? ये किसानों की आमदनी को बढ़ाने का प्रयास है. प्रधानमंत्री की सोच काे देखते हुए बिजली रहित 18 हजार गांव में इसे पहुंचा दिया गया है. माेदी जी मिशन मोड में काम करते हैं. पाकिस्तान ने गड़बड़ी की, तो हमने सर्जिकल स्ट्राइक भी किया. डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया के जरिये भारत को एक मजबूत देश बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है, लेकिन यह तभी सफल होगा, जब इरादा स्पष्ट होगा, नियत साफ होगी और नेता की दृष्टि प्रभावी होगी. इस दिशा में हम सभी मिलकर काम कर रहे हैं.
Q सरकार पर दलित और अल्पसंख्यक विरोधी होने के आरोप लगाये जाते हैं. इसमें कितनी सच्चाई है?
मैं यह पूछना चाहता हूं कि सरकार की जो भी योजना चल रही है, उसका फायदा सबको मिलता है या फिर किसी एक समुदाय या खास वर्ग को? सड़कों का फायदा सबको मिलता है या नहीं? कॉमन सर्विस सेंटर चलाने वाले सभी वर्ग के हैं या नहीं? जहां तक दलित की बात है, तो यह बिल्कुल बेबुनियाद बात है. सबसे अधिक दलित सांसद-विधायक भाजपा के है. अनुसूचित जनजाति के सबसे अधिक विधायक भाजपा के है. हमें जब अवसर मिला, तो देश के सर्वोच्च पद एक योग्य नेता को, जो उस समाज से है, बैठाने का काम किया. यह सब किसी और ने नहीं, भाजपा ने ही किया है.
Q कांग्रेस का आरोप है कि आप जितने भी दावे कर रहे हैं, वे खोखले हैं. सरकार अपने वायदे पर खरी नहीं उतरी है.
कांग्रेस तो हमेशा आलोचना करती है, क्योंकि सरकार की उपलब्धि में उन्हें अपनी नाकामी नजर आती है.