17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सीमित शिक्षक बल को बढ़ाने की जरूरत

मैरी रजनी टोप्पो ट्रेनी काउंसेलर, एनसीईआरटी, नयी दिल्ली mrajnee@gmail.com हाल ही में नीति आयोग ने शिक्षकों को युक्ति-संपन्न बनाने तथा विद्यार्थियों के शिक्षण परिणाम के संवर्धन हेतु झारखंड में एक शैक्षणिक पहल ‘ज्ञानसेतु’ लागू करने का प्रस्ताव किया है. सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) लागू करने के संबंध में, राज्यस्तरीय भागीदारी की निगरानी हेतु, समय-समय […]

मैरी रजनी टोप्पो
ट्रेनी काउंसेलर, एनसीईआरटी, नयी दिल्ली
mrajnee@gmail.com
हाल ही में नीति आयोग ने शिक्षकों को युक्ति-संपन्न बनाने तथा विद्यार्थियों के शिक्षण परिणाम के संवर्धन हेतु झारखंड में एक शैक्षणिक पहल ‘ज्ञानसेतु’ लागू करने का प्रस्ताव किया है. सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) लागू करने के संबंध में, राज्यस्तरीय भागीदारी की निगरानी हेतु, समय-समय पर अनेक निगरानी औजार तैयार किये गये तथा आंकड़े विश्लेषित किये जाते रहे हैं.
एनसीईआरटी की गुणवत्ता निगरानी रिपोर्ट सूचित करती है कि सीसीई को अमल में लाने को लेकर एससीईआरटी झारखंड द्वारा सूचनाएं साझा नहीं की गयीं. एनसीईआरटी झारखंड, एनसीईआरटी को कोई भी निगरानी प्रारूप भेजने में नाकाम रहा. तथा इसे लेकर यह भी स्पष्ट नहीं किया कि वह शिक्षण परिणाम की प्रस्तावना को अपनायेगा या अपने उसे अनुकूल बनायेगा.
अब सभी सरकारी स्कूल केंद्र की पहल के संचालन की तैयारी कर रहे हैं. शिक्षकों ने ज्ञान सेतु के तहत प्रशिक्षण लिया तथा विद्यार्थी उनकी योग्यता स्तर के लिहाज से विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किये गये हैं. इस पहल ने न सिर्फ शिक्षकों का कागजी काम बढ़ा दिया है, बल्कि सभी भागीदारों पर समान ध्यान देते हुए, सभी श्रेणियों के विद्यार्थियों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा के प्रसार का भार भी बढ़ा दिया है.
झारखंड के पास एक सीमित शिक्षक बल है और उस पर एक अन्य पहल को लागू करने का बहुत भार डालना, शिक्षण की गुणवत्ता को पुनः हाशिये पर डाल देगा. राज्य की उपलब्ध सभी संसाधनों को ध्यान में रखते हुए, राज्य शिक्षा परिषद् को केंद्र की पहल को अमल में लाने को लेकर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि उसे इसे अपनाना है अथवा शिक्षण परिणाम को सुधारने हेतु अपनी खुद की किसी पहल की रूपरेखा बनानी है.
झारखंड को अपनी शक्ति तथा शिक्षण संसाधनों, शिक्षक-प्रशिक्षण, निगरानी, फीडबैक, तथा पहले से संचालित कार्यक्रमों के उचित अमलीकरण पर विचार करना चाहिए न कि किसी अन्य पहल पर. झारखंड राज्य की माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा की नींव -प्राथमिक शिक्षा को सकारात्मक दिशा देने हेतु गंभीरता से विचार किया जाो.
शिक्षा का अधिकार विधेयक (2009) छह से 14 वर्ष के आयु वर्ग के देश के सभी विद्यार्थियों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है. अनिरोधक नीति लागू करने के साथ यह भयमुक्त तथा धमकीरहित शिक्षण परिवेश मुहैया कराने के लिए सतत और व्यापक मूल्यांकन का एक सशक्त औजार भी है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि अनिरोधक नीति ने विद्यार्थियों के सीखने की क्षमताओं को प्रभावित किया है और विद्याथिर्यों को कक्षा नौ में भारी असफलता का सामना करना पड़ा है.
एनसीईआरटी द्वारा संचालित राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस)से पता चला कि अनिरोधक नीति लागू होने के बाद से छात्रों के सीखने की क्षमता उत्तरोत्तर बदतर हुई है. अगर विभिन्न विषयों में विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता में सुधार पर जोर है, तो अनिरोधक नीति को अलग करने के लिए एक संशोधन करना होगा. शिक्षण नतीजे (एलओ) शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंग थे, लेकिन साल 2009 में ये ठीक से परिभाषित नहीं किये गये.
सभी राज्यों के संबंधित भागीदारों से परस्पर विचार-विमर्श करने के बाद स्कूली शिक्षण की सबसे बड़ी संस्था एनसीईआरटी एक शिक्षण दस्तावेज के साथ सामने आयी, जहां कक्षा के हिसाब से योग्यता स्तर की विस्तृत व्याख्या थी. मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 18 मार्च, 2017 को इसके शुभारंभ के साथ इसे सभी स्कूलों में लागू करने का आग्रह किया था.
शिक्षण परिणाम अब एक मूल्यांकन मानक बन चुका है, जो किसी खास कक्षा के विद्यार्थी की सीखने की क्षमता के अपेक्षित स्तर का संकेत करता है. एक मानक के तौर पर तो यह स्थापित है, लेकिन इसे अपनाने को लेकर राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं है. राज्य अपनी सांस्कृतिक और क्षेत्रीय आवश्यकताओं तथा चुनौतियों के लिहाज से अपने शिक्षण परिणाम की रूपरेखा तय करने को स्वतंत्र हैं.
साल 2016 की एनएएस रिपोर्ट बताती है कि झारखंड शिक्षण परिणाम के लिहाज से राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे है, छात्रों की भाषा और गणित का योग्यता स्तर बहुत निराशाजनक है. हालांकि, कक्षा के लिहाज से बेहतर शिक्षण परिणाम के लिए कई राज्यों में कुछ पहल की जा रही, जैसे गुजरात में गुणोत्सव, मध्य प्रदेश में प्रतिभापर्व, राजस्थान में संबलन, ओड़िशा में समीक्षा.
प्रयास किये जा रहे हैं कि कक्षा चार के छात्र कक्षा तीन के गणित के सवाल हल कर सके. अपना नाम लिख सकें, शब्दों को पहचान सकें तथा छोटे वाक्यों को पढ़ने में सक्षम हो सकें तथा विशिष्ट कक्षा के अनुरूप शिक्षण योग्यता विकसित कर सकें.
(अनुवादः कुमार विजय)
शिक्षा व्यवस्था का हाल
माध्यमिक शिक्षा में बेहतर नहीं झारखंड की स्थिति
सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स स्टडीज, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की हाल में आयी एक रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक स्कूल में प्रवेश के मामले में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद माध्यमिक शिक्षा तक विद्यार्थियों की पहुंच में झारखंड की स्थिति बेहद खराब है. इतना ही नहीं, यहां विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात भी अच्छा नहीं है. इस राज्य में बिहार और उत्तर प्रदेश के समान ही विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात 70:1 है, जबकि यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन का राष्ट्रीय अनुपात एलिमेंटर स्कूल के लिए 24:1 व सेकेंडरी स्कूल के लिए 27:1 है. इस लिहाज से यह बेहद चिंताजनक स्थिति है.
साक्षरता
66 . 41 प्रतिशत साक्षरता झारखंड की, जिसमें 76.84 प्रतिशत पुरुष और 52.04 प्रतिशत महिलायें साक्षर हैं. जनगणना 2011 के अनुसार.
59 प्रतिशत कुल महिला साक्षरता है यहां, जिनमें 79 प्रतिशत शहरी व 51.5 प्रतिशत ग्रामीण महिलायें साक्षर हैं. जबकि 79.7 प्रतिशत कुल पुरुष साक्षर हैं इस राज्य में, जिनमें 88.3 प्रतिशत शहरी व 75.9 प्रतिशत ग्रामीण पुरुष शामिल हैं 15 से 49 आयु वर्ग के, एनएफएचएस यानी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक.
स्कूलों की संख्या
40, 437 सरकारी स्कूल हैं राज्य में, जिनमें 25,791 प्राथमिक, 12,674 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक दोनों, 42 प्राथमिक के साथ उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक, 58, उच्च प्राथमिक, 369 उच्च प्राथमिक के साथ माध्यमिक व उच्च माध्यमिक और 130 उच्च माध्यमिक व माध्यमिक स्कूल हैं इस राज्य में. यहां निजी स्कूलों की संख्या 2,587 है.
14, 702 नियमित शिक्षकों की संख्या है माध्यमिक स्कूलों में, जबकि 1,892 अनुबंधित शिक्षक हैं इन स्कूलों में.
6, 446 नियमित शिक्षक और 708 अनुबंधित शिक्षक हैं उच्च माध्यमिक स्कूलों में.
स्रोत : राज्य सरकार, सेकेंडरी एजुकेशन,
डीआईएसई 2015-16 व अन्य

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें