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पाकिस्तान से राष्ट्र-राज्य का दर्जा भी छीन ले भारत
प्रो मनन द्विवेदी अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार यह कार्रवाई मोदी सरकार की बड़ी सफलता है. हालांकि इस कार्रवाई को बहुत पहले ही अंजाम दे दिया जाना चाहिए था. फिर भी, देर आये-दुरुस्त आये. पूरा देश नैतिक, सैद्धांतिक और भावनात्मक, तीनों स्तर पर इस कार्रवाई का समर्थन कर रहा है. मीडिया में ऐसी भ्रामक खबरें फैलायी […]
प्रो मनन द्विवेदी
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार
यह कार्रवाई मोदी सरकार की बड़ी सफलता है. हालांकि इस कार्रवाई को बहुत पहले ही अंजाम दे दिया जाना चाहिए था. फिर भी, देर आये-दुरुस्त आये. पूरा देश नैतिक, सैद्धांतिक और भावनात्मक, तीनों स्तर पर इस कार्रवाई का समर्थन कर रहा है. मीडिया में ऐसी भ्रामक खबरें फैलायी जा रही हैं कि केवल बालाकोट आतंकी कैंप पर कार्रवाई की गयी है. लेकिन, ऐसा नहीं है. भारतीय वायु ने बहुत सारे आतंकी कैंप बम गिराकर खत्म कर दिये हैं, जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर को नेस्तनाबूत कर दिया गया है.
देश को इस समय प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की ‘टिट फॉर टैट’ की कड़ी नीति की ही आवश्यकता है. पिछले पंद्रह वर्षों से मैं यही कह रहा हूं कि चाहे युद्ध हो या न हो, भारत को संयुक्त राष्ट्र की मदद से पाकिस्तान की राष्ट्र-राज्य के रूप में वैश्विक मान्यता को ही खत्म कर देने के प्रयास करने चाहिए. भारत को खुद इसकी सार्वजनिक घोषणा की तैयारी करनी चाहिए कि वेस्टफेलियन कॉन्ट्रैक्ट (1648) के अनुसार वह पाकिस्तान को राष्ट्र-राज्य का दर्जा ही नहीं देता.
क्योंकि पाकिस्तान पर सिर्फ आतंकियों और सेना का ही कब्जा है और सरकार की पाकिस्तान में कोई भूमिका नहीं है. भारत ने जिस स्तर के डिप्लोमेटिक लॉबी में घुसकर खुद को न्यूक्लियर सपोर्ट ग्रुप का हिस्सा बनाया था, उसी स्तर की एकतरफा लॉबी का इस्तेमाल करके पाकिस्तान से राष्ट्र-राज्य का दर्जा ही छीन लेने की कोशिश करनी चाहिए.
अमेरिका पहले से ही हमारे साथ है. भारत को इस बात का फायदा उठाना चाहिए. इससे चीन भी मूक बना रहेगा. पाकिस्तान ज्यादा से ज्यादा सॉफ्ट टारगेट पर ही हमला करेगा. पाकिस्तान के पास न गति है, न ही इतना सामर्थ्य है कि वह खुलकर सामने आये और भारत से युद्ध करे.
पाकिस्तान के आर्मी चीफ झूठे बयान देते फिर रहे हैं कि कोई नुकसान नहीं हुआ है. जैसा सर्जिकल स्ट्राइक के समय हुआ, वैसा ही इस बार भी देखने में आ रहा है. जबकि सही खबर ठीक इसकी उलटी है. मुझे लगता है कि पाकिस्तान युद्ध नहीं छेड़ेगा, क्योंकि उसके ऊपर अमेरिका का दबाव भी है. डोनाल्ड ट्रंप एक बार बाजवा को फोन करेंगे और पाकिस्तान को उनके आगे झुकना होगा.
वैसे, भारतीय सेना किसी भी पाकिस्तानी सैन्य चुनौती को पार पाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. हां, कश्मीर के जिन इलाकों में हिमस्खलन जोरों पर हैं, वहां थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है. इसके अलावा, भारत को अपनी वायु सुरक्षा चौकन्नी रखनी होगी. पाकिस्तान अगर हमला करता है, तो देश के नागरिकों को अपना फर्ज निभाना चाहिए.
उस स्थिति में यह फर्ज नैतिक या भावनात्मक ही नहीं, आर्थिक भी हो सकता है, जिसे हमें निभाना चाहिए. दुनिया का इतिहास उठाकर देख लिया जाये, तो यह सामने आता है कि जब भी युद्ध की स्थिति होती है, जनता भी बड़ी जिम्मेदारी निभाती है. अमेरिका में जब भी युद्ध हुए हैं, वहां के लोग अपनी असहमतियों, मतभेदों को भूलकर साथ खड़े होते हैं.
यही अपेक्षा हमारे जनमानस से भी सेना को रहेगी. यह बहुत जरूरी है कि हम सब ऐसे वक्त में एकजुट हों और पूरे देश में युद्ध को लेकर एकमत हों. युद्ध के लिए जितनी महत्वपूर्ण सेना की तैयारी है, उतना ही देश की जनता का भी तैयार रहना जरूरी है. देश की सेना को जनता के नैतिक समर्थन की बहुत जरूरत होती है. आखिर कब तक हम अपने जवानों को खोते रहेंगे और मातम मनायेंगे. यही वक्त है, जब हम पाकिस्तान को उसकी भाषा में मुंहतोड़ जवाब दें और सैन्य कार्रवाई करते रहें.
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