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डाइजेस्टिव एंजाइम में गड़बड़ी से बार-बार बीमार पड़ते हैं आप

डॉ रमन कुमार अध्यक्ष, एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियंस ऑफ इंडिया, दिल्ली हमारे शरीर में कई अंग मिल कर काम करते हैं तब जाकर पाचन प्रक्रिया पूरी होती है. जिन खाद्य पदार्थों का हम सेवन करते हैं, उन्हें सरल रूपों, जैसे- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, मिनरल्स और विटामिनों में तोड़ा जाता है, ताकि इनका अवशोषण ठीक प्रकार […]

डॉ रमन कुमार
अध्यक्ष, एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियंस ऑफ इंडिया, दिल्ली
हमारे शरीर में कई अंग मिल कर काम करते हैं तब जाकर पाचन प्रक्रिया पूरी होती है. जिन खाद्य पदार्थों का हम सेवन करते हैं, उन्हें सरल रूपों, जैसे- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, मिनरल्स और विटामिनों में तोड़ा जाता है, ताकि इनका अवशोषण ठीक प्रकार से हो पाये और शरीर के विकास व मरम्मत के लिए जरूरी ऊर्जा मिल सके.
डाइजेस्टिव या पाचक एंजाइम इस प्रक्रिया में जरूरी हैं, क्योंकि ये वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स को और अधिक छोटे अणुओं में तोड़ने में सहायता करते हैं. पाचक एंजाइमों के ठीक से काम न करने पर पाचन तंत्र कमजोर पड़ जाता है, जिससे इम्यून सिस्टम गड़बड़ा जाता है और शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जो बार-बार बीमार पड़ने का कारण बनती है.
क्या करते हैं डाइजेस्टिव एंजाइम : ये एंजाइमों का समूह है, जो खाद्य पदार्थों में मौजूद अणुओं को तोड़ते हैं, ताकि शरीर के लिए उन्हें अवशोषित करना आसान हो. जब हम भोजन करते हैं, तो हमारा पाचन तंत्र भोजन में उपस्थित पोषक तत्वों का अवशोषण करता है.
पाचक एंजाइम भोजन को उसके पोषक तत्वों में तोड़ने का काम करते हैं, जैसे प्रोटीन को एमीनो एसिड्स में, वसा को फैटी एसिड्स में और कार्बोहाइड्रेट को सामान्य शूगर में, ताकि हमारा शरीर इन्हें अवशोषित कर सके. ये एंजाइम मुख्यत: छोटी आंत और अग्नाशय द्वारा उत्पन्न होते हैं. थोड़ी मात्रा में इन एंजाइमों का निर्माण लार ग्रंथियों और पेट में भी होता है. अगर शरीर में पर्याप्त मात्रा में पाचक एंजाइम नहीं होंगे, तो भोजन पोषक तत्वों में टूट नहीं पायेगा, जिसका अर्थ है कि पोषक भोजन का सेवन करने पर भी हमारा शरीर इसके सभी अच्छे पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पा रहा है.
ऐसे नष्ट हो जाते हैं पाचक एंजाइम : 118-129 डिग्री पर भोजन पकाने से लगभग सारे एंजाइम नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग की कई विधियां इन्हें नष्ट कर देती हैं.
इसका सीधा अर्थ है कि जो पका हुआ भोजन हम खाते हैं, उनमें कोई पाचक एंजाइम नहीं होते. जो लोग जंक फूड्स खाते हैं या भोजन को ठीक से नहीं चबाते, उनकी लार में एमाइलेज का स्तर संतुलित और पोषक भोजन करने वालों की तुलना में 40 प्रतिशत तक कम होता है, जिसके कारण प्री-डाइजेशन या तो कम होता है या बिल्कुल नहीं हो पाता. इसलिए जरूरी है कि संतुलित भोजन खाएं, जिसमें पके हुए भोजन के साथ ही कच्ची सब्जियां और फल उचित मात्रा में हों.
कितने कारगर हैं सप्लीमेंट्स : जब अग्नाशय किसी कारणवश ठीक से कार्य नहीं करता, जैसे कोई बीमारी या चोट लगने पर, तब सप्लीमेंट्स की जरूरत होती है. किसी और स्थिति में सप्लीमेंट्स लेने से कोई फायदा नहीं होता. जैसे सामान्यत: हमें एक लाख लाइपैज की जरूरत होती है, मगर सप्लीमेंट्स में इसकी मात्रा 5000-35000 ही होती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बगैर इनका सेवन न करें. इन्हें खाने के पहले या तुरंत बाद में लेना चाहिए.
पहचानें गड़बड़ी के ये संकेत
वैसे तो मल की जांच के बाद ही पता चलता है कि आपका पाचन तंत्र कितनी मात्रा में पाचक एंजाइमों का निर्माण कर रहा है और ये कितनी बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं. लेकिन हमारा शरीर कई संकेत भी देता है, जो बताते हैं कि आप पाचक एंजाइमों से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं, जैसे –
खाना खाने के बाद गैस बनना और पेट फूलना.
ऐसा महसूस होना कि खाना पेट में ही भरा है.
थोड़ा-सा भोजन करने पर ही पेट भरा हुआ लगना.
मल का पानी पर तैरना, मल त्याग में अनपचा भोजन का दिखना.
पाचक एंजाइम को ऐसे करें बूस्ट
ऐसा भोजन लें, जिसमें कच्ची सब्जियां और फल उचित मात्रा में हों.
भोजन को चबाकर खाएं, ताकि लार में पाचक एंजाइम पूरी क्षमता से काम कर सकें.
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. नियमित एक्सरसाइज और योग करना मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखता है और पाचक एंजाइमों का निर्माण बेहतर होता है.
ओवर इटिंग न करें. अत्यधिक खाने से चबाने में पाचक एंजाइमों की कमी होती है.
मेडिटेशन करें, क्योंकि शोध के अनुसार, तनाव से पाचक एंजाइमों का स्तर कम होता है.
एक अनुमान के अनुसार हमारे शरीर में लगभग 50-70 हजार विभिन्न प्रकार के एंजाइम होते हैं, जो शरीर के प्रत्येक मेटाबॉलिक कार्य को नियंत्रित करते हैं.

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