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ताकि अकेला महसूस न करें हमारे बुजुर्ग

बुजुर्गों की जिंदगी आसान बनाता स्टार्टअप ‘सीनियरवर्ल्ड डॉट कॉम’ हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगभग 12 करोड़ है़ यह संख्या यूके और कनाडा की संयुक्त आबादी से ज्यादा है़ यही नहीं, आंकड़े बताते हैं कि बुजुर्ग जनसंख्या की वृद्धि दर देश की जनसंख्या से दोगुनी है. इस आधार पर देश में बुजुर्गों की […]

बुजुर्गों की जिंदगी आसान बनाता स्टार्टअप ‘सीनियरवर्ल्ड डॉट कॉम’
हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगभग 12 करोड़ है़ यह संख्या यूके और कनाडा की संयुक्त आबादी से ज्यादा है़ यही नहीं, आंकड़े बताते हैं कि बुजुर्ग जनसंख्या की वृद्धि दर देश की जनसंख्या से दोगुनी है. इस आधार पर देश में बुजुर्गों की संख्या वर्ष 2026 तक 17 करोड़ हो जाने का अनुमान है़ फिर भी यह वर्ग उपेक्षित है़ बाजार भी इन पर ध्यान नहीं दे रहा़ ऐसे में सीनियरवर्ल्ड डॉट कॉम के प्रयासों को सफलता के साथ-साथ सराहना भी मिल रही है.
राहुल गुप्ता 50 वर्ष के हुए, तो भविष्य के साथ-साथ उन कठिनाइयों का भी ख्याल आया, जिनसे आमतौर पर हर बुजुर्ग दो-चार होते हैं. कुछ साल पहले तक निजी क्षेत्र की टेलीकॉम कंपनी में काम काम करनेवाले राहुल के मन में नौकरी छोड़ कर अपनी कंपनी शुरू करने का विचार आया़ बुजुर्गों की बेहतरी के लिए मौजूद सीमित उत्पाद और सेवाओं को देखते हुए उन्होंने इसी क्षेत्र में उद्यम शुरू करने की ठानी, ताकि समाज के वरिष्ठ नागरिकों की दिनचर्या सुचारु रूप से चले़ इस काम में उन्होंने अपने सहकर्मी रहे एमपी दीपू को साथ लिया़
चार्टर्ड एकाउंटेंट राहुल गुप्ता ने अक्तूबर में दीपू के साथ सीनियरवर्ल्ड की स्थापना की़ यह स्टार्टअप बुजुर्गों की तमाम जरूरतों को पूरा करने पर बल देता है़ हाल ही में इस कंपनी ने इजीफोन लांच किया है़ इसे बुजुर्गों को ध्यान में रख कर बनाया गया है.
इसकी योजना वरिष्ठ नागरिकों की सहूलियत के लिए जरूरी कपड़े, बाथरूम मैट्स और अन्य ऐसे उत्पाद तैयार करना है, जिससे बुजुर्गों को दिनचर्या में किसी की मदद की जरूरत न पड़े. राहुल ने अपने परिवार और आस-पास के बुजुर्गों की परेशानियों को करीब से समझा था़ उन्होंने सोचा कि क्यों न बुजुर्गों के लिए कुछ ऐसा काम करें, जिससे वे दिन भर व्यस्त रहें, खाली समय सही काम में बितायें. उनके जीवन में अकेलापन रहे ही नहीं.
राहुल बताते हैं कि बुजुर्गों को आज हर कोई भूल चुका है़ इस वर्ग पर किसी का ध्यान नहीं है़ न बाजार का, न समाज का और काफी हद तक सरकार का भी नहीं. कोई भी कंपनी अपने उत्पाद व सेवाएं इस वर्ग को ध्यान में रख कर नहीं बना रही. एक इनसान अपने कर्तव्य निभाने के लिए अपनी जवानी भाग-दौड़ में बिता देता है़ उम्र की ढलान पर पहुंच कर वह अलग-थलग पड़ जाता है.
कोई उस पर ध्यान नहीं देता़ ऐसे ही लोगों की मदद के लिए, उन्हें व्यस्त रखने के लिए और उनके जीवन का अकेलापन दूर करने की दिशा में सीनियरवर्ल्ड काम कर रही है़ राहुल को इस काम में युवाओं का भी बहुत सहयोग मिल रहा है़
सीनियर वर्ल्ड कंपनी की वेबसाइट पर एक सेक्शन हॉबी का भी है़ यह सेक्शन विशेष तौर पर उन लोगों के लिए है, जो जवानी के दिनों में व्यस्तता के चलते अपने शौक पूरे नहीं कर सके़ इस सेक्शन में जाकर वे अपने शहर में होनेवाले कई ऐसी वर्कशॉप व क्लासेज के बारे में जानकारी ले सकते हैं और उन्हें ज्वाइन कर सकते हैं.
इसके अलावा वेबसाइट में एक सेक्शन ब्लॉग का भी है, जहां पर विभिन्न प्रेरणादायी कहानियां मौजूद हैं, जिन्हें पढ़ कर हमारे वरिष्ठ नागरिक प्रेरित हो सकें और जिंदगी को सकारात्मक रूप से जी सकें. साथ ही समाज को भी अपनी ओर से कुछ दे सकें. भविष्य में सीनियरवर्ल्ड कंपनी अपनी योजनाओं को विस्तार देने की तैयारी कर रही है़ राहुल बताते हैं कि उनकी 12 लोगों की टीम लगातार नये व क्रिएटिव कामों को आकार देने में लगी है, ताकि हमारे बुजुर्ग खुद को अकेला महसूस न करें.

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