14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

उचित नहीं है किसी से जबरन भारत माता की जय बुलवाना

पुरुषोत्तम अग्रवाल विश्लेषक भारत के किसी भी व्यक्ति को ‘भारत माता की जय’ कहने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला जा सकता. किसी से जबरन ‘भारत माता की जय’ बुलवाने का कोई मतलब ही नहीं है और न ही हमारा संविधान इस बात की इजाजत देता है कि कोई किसी को ऐसा […]

पुरुषोत्तम अग्रवाल
विश्लेषक
भारत के किसी भी व्यक्ति को ‘भारत माता की जय’ कहने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला जा सकता. किसी से जबरन ‘भारत माता की जय’ बुलवाने का कोई मतलब ही नहीं है और न ही हमारा संविधान इस बात की इजाजत देता है कि कोई किसी को ऐसा करने के लिए जबरदस्ती करे. एक नारे को अपरिहार्य बनाते हुए ‘भारत माता की जय’ बुलवाने के लिए किसी को विवश करने से समाज में एक परायेपन का भाव पैदा होता है और लोगों में परस्पर दूरी का वातावरण बनता है, जो एक समृद्ध लोकतंत्र की दृष्टि से कतई उचित नहीं है.
जो लोग ‘भारत माता की जय’ बोलते हैं, उनका स्वागत है, यह उनका अधिकार है कि वे बोलें, लेकिन जो इस नारे को नहीं बोलते उन्हें गाली देने या फिर बुरा कहने की कोई जरूरत ही नहीं है. जहां तक ‘भारत माता की अवधारणा’ की बात है, इसकी शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी. 19वीं सदी में उस समय जो भारत माता की तस्वीर थी, उसके इतिहास, कागजात आदि को देखते हैं, तो वह तस्वीर कुछ स्पष्ट नहीं दिखती है. आगे चल कर, बाद में ऐसी ही भारत माता की तस्वीर भगत सिंह और उनके साथियों के दिमाग में भी थी, जो पूरे देश को एकसूत्र में बांधती हो.
कुछ और आगे चल कर भारत माता की एक और तस्वीर आयी, जिसमें भारत माता अपने हाथ में भगवा ध्वज लिये हुए है और शेर पर सवारी कर रही है. और भी कई तस्वीरें होंगी, जिनके बारे में मैं नहीं जानता. इस तरह देखें, तो भारत माता की विभिन्न तस्वीरें हैं. ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि भारत माता की कौन सी तस्वीर सही मायने में भारत माता की तस्वीर है.
‘भारत माता’ की अवधारणा का सबसे अच्छा विश्लेषण देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया है. नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में लिखा है कि जब मैं मिटिंगों सम्मेलनों में जाता हूं, तो वहां लोग भारत माता की जय बोलते हैं. नेहरू लिखते हैं कि भारत माता की जय बोलनेवालों से जब मैं पूछता हूं कि कौन है ये भारत माता, तो लोग इसका जवाब अपने-अपने ढंग से बताते हैं. उनके अलग-अलग जवाबों से निष्कर्ष निकलता है कि इस देश का गरीब, उत्पीड़ित और हाशिये पर पड़ा इंसान ही असली भारत माता है.
उसी इंसान की जय ही भारत माता की जय है. आज जिस भारत माता की जय बोलने की बात की जा रही है, वह दरअसल गरीबी, अन्याय, शोषण, अत्याचार के मुद्दों पर से ध्यान हटाने की कुत्सित राजनीति है, जबकि इन मुद्दों पर काम करने की सख्त जरूरत है अपने देश में. इस नारे से और ऐसी राजनीति से इस देश को कोई लाभ नहीं होनेवाला है. किसी के द्वारा कोई यह लगाने या न लगाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन हां, अगर किसी नारे को बुलवाने को लेकर किसी से जबरदस्ती की जायेगी, तो यह देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें