13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिना पैरों के दौड़ने का जुनून

जज्बा : दिव्यांग शालिनी सरस्वती की जिद पर हर कोई हैरान बेंगलुरु की शालिनी सरस्वती दोनों हाथ और पैरों से अशक्त हैं. एक कुशल भरतनाट्यम नृत्यांगना रह चुकीं शालिनी को चार साल पहले एक बीमारी के चलते अपने दोनों हाथ-पांव गंवाने पड़े. लेकिन, इच्छाशक्ति नहीं गयी़ बिना पैरों के दौड़ने का जुनून उन पर ऐसा […]

जज्बा : दिव्यांग शालिनी सरस्वती की जिद पर हर कोई हैरान
बेंगलुरु की शालिनी सरस्वती दोनों हाथ और पैरों से अशक्त हैं. एक कुशल भरतनाट्यम नृत्यांगना रह चुकीं शालिनी को चार साल पहले एक बीमारी के चलते अपने दोनों हाथ-पांव गंवाने पड़े. लेकिन, इच्छाशक्ति नहीं गयी़
बिना पैरों के दौड़ने का जुनून उन पर ऐसा सवार हुआ कि उन्होंने 10 लाख रुपये का कार्बन फाइबर रनिंग ब्लेड्स लोन पर खरीदे़ हाल ही में उन्होंने TCS World 10K मैराथन में 10 किलोमीटर की दौड़ पूरी की़ शालिनी का लक्ष्य 2020 के पैरालिंपिक में भाग लेना है.
बेंगलुरु की रहनेवाली शालिनी सरस्वती के दोनों हाथ-पैर नहीं हैं, लेकिन वे मैराथन में भाग लेती हैं. उन्होंने पिछले दिनों ‘TCS World 10K’ मैराथन में 10 किलोमीटर की रेस पूरी की़ शालिनी जन्म से ही ऐसी नहीं थीं. बचपन से भरतनाट्यम नृत्य का शौक रखनेवाली शालिनी ने पढ़ाई के बाद कॉल सेंटर की नौकरी पकड़ी, फिर उसके बाद शादी की़ इस तरह जिंदगी में सब कुछ सामान्य ढंग से चल रहा था़ शालिनी प्रोफेशनली भी अच्छा कर रही थीं. वर्ष 2012 में वह अपने पति प्रशांत के साथ छुट्टी मनाने कंबोडिया गयी थीं. वहां पहुंच कर पता चला कि वह गर्भवती हैं.
पति-पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं था. भारत लौटने पर शालिनी को हल्का-सा बुखार हो गया. डॉक्टरों को यह डेंगू का संक्रमण लगा और उसका इलाज शुरू हुआ़ कुछ हफ्तों में शालिनी को पता चला कि उनके शरीर में रिकेटसियल एटमॉस नाम का बैक्टीरिया घर कर चुका है. इस बैक्टीरिया की वजह से उनका बच्चा गर्भ में ही मर गया. शालिनी को लगा कि यह बीमारी गर्भावस्था से जुड़ी हुई है, ठीक हो जायेगी. लेकिन खतरनाक गैंगरीन ने आक्रमण किया और धीरे-धीरे शालिनी के हाथ-पांव भी सड़ने लगे.
उन्हें आइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. वह चार दिन बेहोश रहीं. डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन शालिनी उठीं. ठीक अपने जन्मदिन के दिन. यानी पांच अप्रैल को. शालिनी ने अगले एक महीने तक अपने हाथ-पांव सड़ते हुए देखे. उनसे आती हुई बदबू झेली़ शालिनी का बायां हाथ 2013 में ही काट कर अलग कर दिया गया था. कुछ ही महीनों बाद एक दिन अस्पताल में दायां हाथ अपने आप कट कर गिर गया. शालिनी अपने ब्लॉग www.soulsurvivedintact.blogspot.in पर लिखती हैं, छह महीने के बाद एक दिन मेरा दायां हाथ अपने आप कट कर गिर गया. जब शरीर को किसी हिस्से की जरूरत नहीं होती, तो वह उसे छोड़ देता है.
मैं समझ गयी थी कि जिंदगी कुछ छोड़ कर आगे बढ़ने का संकेत दे रही है. शालिनी की कठिन परीक्षा जैसे अभी शुरू ही हुई थी. डॉक्टरों ने उनकी दोनों टांगें भी काटने का फैसला कर लिया. जिस दिन उनके दोनों पैर काटे जाने थे, उस दिन वह पैरों में चमकती लाल नेल पेंट लगा कर अस्प्ताल गयीं. इस बारे में उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा है, अगर मेरे कदम जा रहे हैं तो उन्हें खूबसूरती से विदा करूंगी.
शालिनी न सिर्फ इन भयावह हालात से स्वयं उबरीं, बल्कि हर किसी के लिए एक मिसाल बनकर उभरी हैं. उन्हें यह मालूम नहीं था कि उन्हें अपने बचे हुए शरीर के साथ क्या करना है.
फिर एक दोस्त ने उनके कोच बीपी अयप्पा से मुलाकात करायी. 2015 में शालिनी की ट्रेनिंग शुरू हुई. अब उन्होंने अपनी नौकरी भी फिर से पकड़ ली है. उन्होंने दौड़ने के लिए जर्मनी की एक कंपनी से दस लाख रुपये के कार्बन फाइबर-ब्लेड लोन पर लिये हैं और दौड़ना अब शालिनी का जुनून बन गया है़ वह रनिंग ब्लेड पर रोज घंटों पसीना बहाती हैं. शालिनी का अगला लक्ष्य 2020 के पैरालिंपिक में भाग लेना है.
शालिनी ने अपने ब्लॉग में लिखा है, इतना सब होने के बाद मैं कैसे उबर पायी? सचमुच मुझे नहीं पता.हर दिन का एक-एक पल मैंने जिया. छोटे-छोटे पड़ाव पार किये, प्रेरणा देने वाली खूब किताबें पढ़ीं, जिन पर मेरी जिंदगी टिकी थी. शास्त्रीय संगीत सीखा. इससे भी ज्यादा एक उम्मीद की रोशनी में जी रही थी, हर दिन लगता था कि आने वाला दिन इससे बेहतर होगा. मैं जानती थी कि आने वाला कल और खुबसूरत होता जायेगा, क्योंकि जब आप सबसे नीचे होते हैं तो हर रास्ता आपको ऊपर ही ले जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें