13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सक्सेस रेट 2%, फिर भी खिंचे आते हैं छात्र

हकीकत : तीन हजार करोड़ से ज्यादा का है कोटा का कोचिंग कारोबार कोटा से अजय कुमार कोटा में इन दिनों एडमिशन का सीजन है. हर ओर छात्र ही छात्र नजर आ रहे हैं. अधिकतर बिहार-झारखंड के. स्टेशन से लेकर बस स्टॉप तक. यहां सुबह से ही छात्रों का पहुंचना शुरू हो जाता है. साथ […]

हकीकत : तीन हजार करोड़ से ज्यादा का है
कोटा का कोचिंग कारोबार
कोटा से अजय कुमार
कोटा में इन दिनों एडमिशन का सीजन है. हर ओर छात्र ही छात्र नजर आ रहे हैं. अधिकतर बिहार-झारखंड के. स्टेशन से लेकर बस स्टॉप तक. यहां सुबह से ही छात्रों का पहुंचना शुरू हो जाता है. साथ होते हैं उनके पैरेंट्स. हर कदम नये कोटा की ओर भागता है.
रेल के हिसाब से देश के सभी हिस्सों से जुड़ा शहर है यह. मुंबई हो या दिल्ली. लखनऊ हो या रांची. पटना हो या अहमदाबाद. ट्रेनों में भर-भर कर छात्र यहां पहुंच रहे हैं. रोडवेज की बसों में भी वही नजारा. मुंह अंधेरे जयपुर से कोटा में बसों का आना शुरू हो जाता है. लगभग सभी कोचिंग में नये सत्र के क्लासेज शुरू हो चुके हैं. हिसाब जोड़िए तो पता चलेगा कि कोटा में कोचिंग से जुड़ा सालाना कारोबार करीब तीन हजार करोड़ रुपये के पार चला गया है.
पिछले वित्तीय वर्ष (2015-16) में कोचिंग संस्थानों ने सर्विस टैक्स के रूप में 12.5 फीसदी के हिसाब से 170 करोड़ रुपये जमा किये थे. इस तरह संस्थानों के फीस की रकम 21 सौ करोड़ के पार हो जाती है. अगर इस साल के सर्विस टैक्स, 14.5 फीसदी को 170 करोड़ में औसतन दस फीसदी की वृद्धि कर दी जाये तो राशि 27 सौ करोड़ से भी ज्यादा हो जायेगी. इसके अलावा एक छात्र सालाना एक से डेढ़ लाख रुपये खर्च करता है.
इसमें एडमिशन पर खर्च की हुई राशि शामिल नहीं है. साल भर में स्टेशनरी पर पचास हजार रुपये से कम खर्च नहीं होता. हॉस्टल पर औसतन एक छात्र का खर्च एक लाख हो जाता है. यहां साढ़े चार हजार से लेकर 20000 रुपये की फीस वाले तक के हॉस्टल है. कई ऐसे भी बच्चे हैं, जिनके एक दो फैमिली मेंबर भी साथ होते हैं. होटल का कारोबार भी इन्हीं छात्रों के बल पर उठ खड़ा हुआ है.
फी जमा कराओ, दाखिला लो
इंजीनियरिंग के एक छात्र के लिए फी 1.18 लाख रुपये हैं. छूट वगैरह देकर एक लाख दस हजार रुपये में एडमिशन होता है. कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने 80 हजार से लेकर एक लाख रुपये के भीतर एडमिशन पा लिया. सामने ही बैंकों के काउंटर हैं. वहां लंबी कतारे हैं. मेडिकल के लिए तत्काल एडमिशन लेने पर पांच हजार का रिबेट चल रहा है. मई के अंतिम सप्ताह में तो यहां काउंटरों पर लंबी लाइन लग गयी, क्योंकि, एक जून से सर्विस टैक्स बढ़ कर 15 फीसदी होना था. अभिभावकों को बताया गया कि आपका पांच-सात हजार रुपया बच जायेगा.
िनजी अनुभव : सुना है कि यहां पढ़ाई अच्छी है
बिहारशरीफ से शाफ अहमद अपने चाचा के साथ यहां पहुंचे हैं. उन्होंने दसवीं की परीक्षा पास की है. उन्हें इंजीनियरिंग में एडमिशन चाहिए. उनकी बहन यहां रह कर मेडिकल की कोचिंग कर चुकी हैं. शाफ के अंकल को लगता है कि लोकल लेवल पर पढ़ाई ऐसी नहीं है, जिससे एडवांस निकाला जा सके.
छपरा के राजेश सिंह कोटा में रहकर पढ़े. उन्हें एनआइटी मिला. अब हैदराबाद की एक कंपनी में काम कर रहे हैं. वह अपने भाई के साथ यहां आये हैं. उनके भाई ने 12 वीं के बाद पटना में कोचिंग की. अब कोटा में एडमिशन ले रहे हैं. इसी तरह झारखंड के चतरा से विजय शर्मा मेडिकल के लिए आये हैं. वह कहते हैं: हमने सुना है कि यहां पढ़ाई अच्छी है. टीचर भी प्रतिबद्ध होकर पढ़ाते हैं.
कोटा में पढ़ने वाले ब्रांड अंबेस्डर
सासाराम के सुशील अग्रवाल का अनुभव दिलचस्प है. उनके बच्चे ने टेन सीजीपीए लाया है. उनके मुताबिक दो साल पहले से उन्होंने अपने बच्चे को लेकर सोचना शुरू कर दिया था. दसवीं के बाद चाहते थे कि बोकारो या बनारस में एडमिशन लिया जाये. पर इसी बीच उनके शहर के दो-तीन लड़कों ने आइआइटी निकाल लिया. उन लड़कों से सुशील अग्रवाल ने संपर्क किया.
उनसे सलाह ली. वे कहते हैं, सबने कहा कि दसवीं के बाद सीधे कोटा भेज दीजिए. वहां की फैकल्टी अच्छी है. इधर-उधर एक-दो साल बरबाद करने से कोई फायदा नहीं. इस सलाह के बाद वह सीधे कोटा आ गये. उन्होंने इंजीनियरिंग के लिए अपने बच्चे को यहां के एक कोचिंग में डाला है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें