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चीन पर टिकी है पाकिस्तान की ताकत

निर्भरता : पाकिस्तान की 77 प्रतिशत हथियारों की जरूरतें पूरी करता है चीन पिछले वर्ष, यानी 2015 में चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बनकर उभरा. वर्ष 2011-15 के बीच अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्यात में उसकी भागीदारी 5.9 प्रतिशत रही, जो कि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी से भी ज्यादा है. वैश्विक तौर पर हथियारों […]

निर्भरता : पाकिस्तान की 77 प्रतिशत हथियारों की जरूरतें पूरी करता है चीन
पिछले वर्ष, यानी 2015 में चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बनकर उभरा. वर्ष 2011-15 के बीच अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्यात में उसकी भागीदारी 5.9 प्रतिशत रही, जो कि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी से भी ज्यादा है. वैश्विक तौर पर हथियारों की बिक्री पर निगाह रखनेवाले संस्थान स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआइपीआरआइ) की फरवरी 2016 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन इस मामले में अब भी अमेरिका और रूस से बहुत पीछे है, जिनकी हथियार बिक्री में भागीदारी क्रमशः 33 प्रतिशत और 25 प्रतिशत है और इन देशों का वैश्विक हथियार बाजार पर दबदबा अब भी कायम है.
लेकिन, एसआइपीआरआइ की रिपोर्ट में बीते 10 वर्षों के दौरान चीन के हथियार सौदों में जबरदस्त बदलाव देखने को मिला है. चीन का हथियार निर्यात 2006-10 से 2011-15 के बीच 88 फीसदी बढ़ा है और वह अब 37 देशों को हथियार निर्यात करने लगा है. इनमें विमानों से लेकर मिसाइल फ्रिगेट और जहाजरोधी मिसाइलें तक शामिल हैं.
पाकिस्तान को अपना छोटा देश बतानेवाला चीन उसके 77 प्रतिशत उसकी हथियारों की जरूरतें पूरी करता है.आज जब भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, तो कहीं न कहीं इस बात की भी संभावना है कि अगर जंग छिड़ी, तो भारत को अप्रत्‍यक्ष तौर पर चीन से भी लड़ाई लड़नी पड़ेगी. एसआइपीआरआइ आर्म्‍स ट्रांसफर्स डाटाबेस के मुताबिक, वर्ष 2005 तक पाकिस्‍तान अमेरिका से 34.9 प्रतिशत हथियार आयात करता था. 46.6 प्रतिशत हथियार दूसरे देशों से आते थे. सिर्फ 18.5 प्रतिशत हथियार ऐसे थे जो चीन से आयात होते थे. यह चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों का ही असर था कि लेकिन वर्ष 2015 में पाकिस्तानी सेना के पास 76.9 प्रतिशत हथियार ऐसे थे, जिन्‍हें चीन से आयात किया गया था. केवल नौ प्रतिशत हथियारों को अमेरिका से आयात किया गया. वहीं 14.1 प्रतिशत हथियार ऐसे थे जिन्‍हें दूसरे देशों से पाकिस्तान ने खरीदा था.
पाकिस्तान के पास जो चीन निर्मित खास हथियार हैं, उनमें टाइप 56 असॉल्‍ट राइफल, टाइप 81 असॉल्‍ट राइफल, जेएफ-17 थंडर जेट, अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्‍टम (अवॉक्‍स), डब्‍ल्यूजेड-10 अटैक हेलीकॉप्‍टर, एमबीटी-2000 अल खालिद बैटल टैंक, एचजे-8 एंटी टैंक मिसाइल आदि शामिल हैं.
विशेषज्ञ बताते हैं कि चीन से पाकिस्तान को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति को उस समय बल मिला, जब भारत से उसके संबंध तनावपूर्ण हुए, साथ ही अमेरिका के साथ भी संबंध लड़खड़ाये. यहां यह जानना जरूरी है कि पिछले महीने, पाकिस्तान के रक्षा उत्पादन मंत्रालय ने सामान्य तौर पर इस्तेमाल होनेवाले आठ डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की खरीद के लिए चीन के साथ एक अनुबंध की पुष्टि की है. इसमें 400 करोड़ डॉलर से 500 करोड़ डॉलर की लागत आयेगी. इसे चीन का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात सौदा माना जा रहा है. इन पनडुब्बियों का इस्तेमाल पाकिस्तान अपने परमाणु सामरिक क्षमता को बढ़ाने में कर सकता है. इसका इस्तेमाल परमाणु क्षमता वाली क्रूज मिसाइल हमले के लिए भी किया जा सकता है. माना जा रहा है कि भारत के पनडुब्बी चालित बैलिस्टिक मिसाइलों से होड़ लेने की दिशा में पाकिस्तान ने ये हथियार जुटाये हैं.

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