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ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू करने से बेहतर है अच्छा उत्पाद तैयार करना

हमारे नये व्यवसायी या स्टार्टअप के लोग यह समझते हैं कि नयी वेबसाइट खोल देने से वे अच्छा व्यापार कर पायेंगे. लेकिन उनका ऐसा सोचना गलत है. हमारे व्यापारियों को ऑनलाइन व्यापार को ऑफलाइन व्यापार के तरीके से ही समझना पड़ेगा. अगर आपको अपना व्यापार खड़ा करना है, तो आप फ्लिपकार्ट या अमेजन नहीं बनें, […]

हमारे नये व्यवसायी या स्टार्टअप के लोग यह समझते हैं कि नयी वेबसाइट खोल देने से वे अच्छा व्यापार कर पायेंगे. लेकिन उनका ऐसा सोचना गलत है. हमारे व्यापारियों को ऑनलाइन व्यापार को ऑफलाइन व्यापार के तरीके से ही समझना पड़ेगा. अगर आपको अपना व्यापार खड़ा करना है, तो आप फ्लिपकार्ट या अमेजन नहीं बनें, तो ज्यादा अच्छा है. आप उस पर अपना माल बेचनेवाले बड़े व्यापारी बन जायेंगे, तो ज्यादा बेहतर है. इसके कारण और उपाय समेत इससे जुड़ी व्यापक चीजों के बारे में बता रहे हैं दिव्येंदु शेखर …

तकनीक और माल का फर्क : आप एक व्यापारी हैं, जिसके पास एक अच्छा उत्पाद है. मान लें कि वो एक अच्छा मोबाइल फोन है. आप की समझ अच्छा मोबाइल फोन बनाने में है, तो आप अपनी समझ का फायदा उठा कर अपना उत्पाद अच्छा बनायें. ऑनलाइन कंपनियां माल अच्छा बेचती हैं. उनको अपना काम करने दें. आप अच्छा उत्पाद बनायेंगे, तो वो बेच भी देंगे.

मार्केटिंग का खर्च : आप अगर अपना ऑनलाइन व्यवसाय शुरू करेंगे, तो आपको बड़ा खर्च मार्केटिंग में करना पड़ेगा. एक ग्राहक लाने में तकरीबन 500 से 2,000 रुपये खर्च होते हैं.

अगर आप एक मोबाइल फोन बेचते हैं, जिसमें आपको करीब 300 रुपये का मुनाफा होता है, तो आप कुल मिला कर 1,500 रुपये का घाटा उठायेंगे. इसके लिए आपको ब्रांड में खर्च करना पड़ेगा, जो सैकड़ों करोड़ों रुपये का खर्च है. इसलिए अगर आप छोटा व्यवसाय करना चाहते हैं, तो आपको अपनी वेबसाइट नहीं खोलनी चाहिए.

सीमित जानकारी : आप एक नया काम शुरू कर रहे हैं. आपके पास सीमित जानकारी है और शायद आपकी जानकारी आपके अपने व्यवसाय के बारे में ही है. आपको नयी जानकारी, जो डिजिटल मार्केटिंग या तकनीक के बारे में होगी, उसे जुटाने में काफी समय लगेगा. इसीलिए पहले आप किसी साइट जैसे फ्लिपकार्ट या अमेजन से जुड़ कर वहां ऑनलाइन बेचने की जानकारी लें, फिर यह काम खुद करें.

खर्च : आपको ऑनलाइन व्यापार जरूर करना चाहिए, लेकिन इसलिए क्योंकि इसमें आपका खर्च कम है. एक नयी दुकान डालने में आपको किराये के साथ तनख्वाह भी देनी पड़ती है. लेकिन बड़े ऑनलाइन व्यापारियों जैसे- फ्लिपकार्ट और अमेजन से जुड़ कर आप पूरे भारत में अपना माल पहुंचा सकते हैं और इसमें आपको ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ेगा.

डिलीवरी की सुविधा : इ-कॉमर्स का काम केवल वेबसाइट खोल देने से नहीं हो जाता. आपको इसके साथ-साथ डिलीवरी और वेयरहाउस की सुविधा जुटाने में भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं. डिलीवरी की सुविधा का पूरा तामझाम खड़ा करना काफी खर्चीला काम है. साथ ही वेयरहाउस एक ऐसा खर्च है, जिसे अगर बचाया जा सके तो अच्छा है. इन पर आप जितना खर्च करेंगे, अगर आप अपनी पैकेजिंग और माल पर करें, तो आपका व्यापार कई गुना बड़ा हो जायेगा.

बाजार की समझ : भारत का इ-कॉमर्स बाजार धीरे-धीरे परिपक्व हो रहा है. बाजार की अच्छी समझ रखनेवाले कामयाब हो रहे हैं. डिजिटल मार्केटिंग और लोजिस्टिक्स का काम जाननेवाले भी सफल हो रहे हैं. आप यदि व्यापारी हैं, तो आपको यह सब सीखने में काफी समय और पैसा खर्च करना पड़ेगा. इस से अच्छा है कि आप यह समय और पैसा अपने उत्पाद की बेहतरी में लगायें और बड़े ब्रांड जैसे- फ्लिपकार्ट और अमेजन पर मार्केटिंग कर बेचें.

बाजार की लड़ाई : दुनियाभर में इ-कॉमर्स एक ऐसा बाजार है, जिसमें ज्यादातर देशों में एक ही बड़ी कंपनी चली है. जैसे- अमेरिका में अमेजन, चीन में अलीबाबा और दुबई में सूक. ये कंपनियां तब तक पैसे खर्च करती हैं, जब तक इनके विरोधी के पैसे खत्म न हो जाएं और वो बंद न हो जाएं. इस कारण से भारत में भी यह लड़ाई अभी चरम पर है. फ्लिपकार्ट और अमेजन हर साल हजारों करोड़ रुपये डिस्काउंट पर खर्च करती है. साथ ही हजारों नयी तकनीक में भी पैसा डालती हैं. यदि आप इतनी पूंजी नहीं जुटा सकते, इसलिए इससे दूर रहने में ही समझदारी होगी.

डाटा & फैक्ट्स

भारतीय स्टार्टअप स्पेस के लिए वित्तीय वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही उसकी पिछली तिमाही के मुकाबले बेहतर रही. दिसंबर में खत्म हुई तीसरी तिमाही के दौरान इस सेक्टर में एम एंड ए यानी मर्जर एंड एक्विजिशन यानी विलय और अधिग्रहण के कुल 65 मामले सामने आये. पहली तिमाही में इनकी संख्या महज 40 और दूसरी में 48 रही थी. तीसरी तिमाही के प्रमुख ट्रेंड इस प्रकार रहे :

– घरेलू बाजार में दिल्ली-एनसीआर उभरते हुए स्टार्टअप्स का हब बना रहा और इसमें बढ़ोतरी दर्शायी गयी है.

– स्टार्टअप के ग्रोथ में विलय और अधिग्रहण महत्वपूर्ण टूल के तौर पर उभर कर आया है.

– लोकल सर्विसेज, फिनटेक, हेल्थकेयर और रीयल इस्टेट सेक्टर में पांच-पांच स्टार्टअप्स का विलय और अधिग्रहण किया गया इस अवधि के दौरान, जो पहले स्थान पर रहे.

– दूसरे स्थान पर इ-कॉमर्स सेगमेंट रहा, जिसमें चार स्टार्टअप्स के साथ हुआ एम एंड ए.

– तीसरे स्थान पर रहा एनालिटिक्स एंड बीआइ, हाइटेक, फूड एंड बिवरेजेज, एसएएएस और ऑनलाइन रिक्रूटमेंट सेक्टर, जिसके तीन-तीन स्टार्टअप्स के साथ विलय और अधिग्रहण की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया इस अवधि के दौरान.

नयी तकनीक से क्या कर सकते हैं कारोबारी

इसका जवाब बहुत आसान है. आपको अपने उत्पाद की मार्केटिंग इन वेबसाइट पर अच्छे से करनी चाहिए. साथ ही पैकेजिंग पर ध्यान देना चाहिए. आप मजेंटा या कार्टरॉकेट की मदद से अपनी एक छोटी वेबसाइट थोड़ी बहुत मार्केटिंग के लिए खोल सकते हैं, जहां से लोग सीधे भी सामान थोड़े कम दाम पर खरीद सकते हैं, लेकिन आपका ज्यादातर धंधा फ्लिपकार्ट या अमेजन से ही आयेगा यह मान के चलें.

सोशल मीडिया पर मौजूदगी कम दर्शाएं

नये उद्यमी

उद्यमिता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और उसके प्रचार-प्रसार के प्रति ज्यादातर उद्यमी सजग रहते हैं. इस संबंध में वे अनेक गतिविधियों को अंजाम देते हैं. मौजूदा समय में उद्यमियों द्वारा ऐसी ही कुछ गतिविधियों को विशेषज्ञों ने उचित नहीं ठहराया है. जानते हैं इन चीजों के बारे में :

– सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रियता : ज्यादातर नये कारोबारी सोशल मीडिया से सक्रिय रूप से जुड़े रहते हैं. उन्हें लगता है कि मार्केटिंग का वह एक बड़ा प्लेटफॉर्म है. हालांकि, कुछ हद तक यह जायज भी है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले आपको लोगों के बीच भौतिक रूप से मौजूदगी दर्शानी होगी और उसके लिए आपको डोर-टू-डोर कैंपेन चलाना होगा. सोशल मीडिया के जरिये मार्केटिंग करना डोर-टू-डोर मार्केटिंग से बिलकुल भिन्न है. इसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं :

– आपको अपने ग्राहकों को समझना होता है और उस पर ही फोकस करना होता है.

– ग्राहकों से प्रत्यक्ष रूप से मिल कर उनकी रुचियों के बारे में जाना जा सकता है.

– इस दौरान आपको यह भी जानकारी मिल जायेगी कि सोशल मीडिया के जरिये किस तरह आप भविष्य में उनसे संपर्क कायम कर सकते हैं.

शुरुआती दौर में सोशल मीडिया पर समय बरबाद करने की बजाय आपको लोगों से भौतिक रूप से मिलना चाहिए. एक बार जब आप उनके संपर्क में आ जाते हैं, तब आप सोशल मीडिया के जरिये उन्हें जोड़े रख सकते हैं.

– रिश्तेदारों और दोस्तों से समर्थन की उम्मीद रखना : कारोबार शुरू करते समय आप कतई यह सोच कर न चलें कि आपके सभी रिश्तेदार और दोस्त आपका समर्थन करेंगे ही. आपके दोस्त और रिश्तेदार आपके ग्राहक नहीं होंगे, यह जरूरी नहीं. वे आपके साथ जुड़े हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे आपके लिए मार्केटिंग रिप्रेजेंटेटिव की भूमिका भी निभायेंगे. वे आपको सफल होते देखना जरूर चाहेंगे, लेकिन आपको यह समझना होगा कि वे आपके लिए मार्केटिंग नहीं कर पायेंगे.

– डिस्काउंट या फ्री गिफ्ट : बहुत से नये कारोबारी यह सोचते हैं कि शुरू में वे अपने प्रोडक्ट या सर्विस ग्राहकों को मुफ्त में मुहैया करायेंगे, तो लोग उनके साथ स्वयं जुड़ जायेंगे. लेकिन यह सोच गलत है. आपको यह समझना होगा कि इस तरह आप लोगों पर अपनी छाप नहीं छोड़ सकते हैं. इससे बाद में आपको ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ सकती है.

शुरू में आप भले ही कम दाम लें, लेकिन लागत से कम कतई नहीं लें. मुनाफा भले ही कम कमायें, पर मुफ्त में मुहैया कराने का लोगों में गलत संदेश जा सकता है.

स्टार्टअप क्लास

छोटे शहरों में व्यापक फैलाव की संभावना है म्यूचुअल फंड व इंशोरेंस के

– म्यूचुअल फंड और इंशोरेंस ब्रोकिंग का काम ऑनलाइन किया जा सकता है क्या? यदि हां, तो इसके लिए मुझे क्या करना होगा? – विनोद कुमार, रांची

जी हां. यह एक अच्छा उद्योग है. हालांकि, ऐसा करने के लिए आपको इरडा और सेबी, दोनों से लाइसेंस लेना होगा और दो इम्तेहान पास करने होंगे. लेकिन, इस उद्योग के छोटे शहरों में फैलने की व्यापक संभावना है. भारत में म्यूचुअल फंड और इंशोरेंस काफी कम लोग खरीदते हैं. इसका कारण जानकारी का अभाव और कुछ हद तक जीवन बीमा की खराब सुविधाएं हैं.

लेकिन, पिछली कुछ अवधि के दौरान विदेशी और भारतीय कंपनियों ने इस दशा में सुधार किया है. इस कारण बाजार में प्रतियोगिता बढ़ी है. हालांकि, अभी भी इसके ज्यादातर खरीदार बड़े महानगरों में ही हैं और बैंक या ब्रोकर से खरीदते हैं. सेबी अब ऑनलाइन फंड बेचने को बढ़ावा दे रहा है. इसके व्यापार के लिए आपको सेबी और इरडा से लाइसेंस लेना पड़ेगा और उनकी परीक्षा पास करनी पड़ेगी. उसके बाद आपको सारे फंड कंपनियों से निबंध कर उनके प्लान लिस्ट करने होंगे. मार्केटिंग लोकल लेवल पर करनी होगी. हालांकि, लोगों को खरीदने से पहले आपकी सलाह लेनी पड़ेगी, लेकिन आप उस सलाह को भी ऑनलाइन लिस्ट द्वारा दे कर फंड बेच सकते हैं.

डिजिटल मार्केटिंग कोर्स से बदल सकती है सूरत

– क्या मैं पटना में डिजिटल मार्केटिंग सिखाने का इंस्टीट्यूट खोल सकता हूं? इस इंस्टीट्यूट में पढ़ाने के लिए शिक्षक कहां मिलेंगे? – विनय कुमार, पटना

डिजिटल मार्केटिंग एक उभरता हुआ व्यवसाय है और यह लोगों के रोजगार की संभावना बढ़ाता है. हालांकि, अभी भी रोजगार के अवसर तलाश करने आपको अपने छात्रों को महानगरों में ही भेजना पड़ेगा, लेकिन अगर वो पहले से कोर्स कर चुके होंगे, तो उनको रोजगार ढूंढने में आसानी होगी. आपके दूसरे ग्राहक छोटे व्यापारी होंगे जो अपने व्यापार को ऑनलाइन ले जाना चाहते हैं. आप उनको भी ट्रेनिंग दे सकते हैं. हालांकि, उनकी जरूरतें थोड़ी ज्यादा होंगी, लेकिन आप कुछ और एक्सपर्ट को बुला कर ये काम कर सकते हैं. जहां तक शिक्षक ढूंढने का सवाल है, तो अच्छे शिक्षक आपको बड़े शहरों में मिलेंगे. शुरू में आप उनको एक-दो महीने के लिए बुला कर अपने शहर के कुछ अच्छे शिक्षकों को डिजिटल मार्केटिंग में ट्रेनिंग दिलवा सकते हैं, जो बाद में आपके इंस्टीट्यूट में पढ़ा सकते हैं.

इ-रिक्शा बन सकता है लोकल ट्रांसपोर्ट का बेहतर विकल्प

– मैं दरभंगा शहर में सस्ते लेकिन टिकाऊ पब्लिक ट्रांसपोर्ट का काम करना चाहता हूं. कृपया उचित सलाह दें. – तरुण कुमार

बड़े शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अर्थ बस, ट्रेन और मेट्रो रेल होता है. हालांकि, आखिरी गंतव्य तक पहुंचने के लिए उसके बाद भी आपको छोटी सवारी करनी पड़ती है. लेकिन छोटे शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ऑटो व रिक्शा भी शामिल होते हैं. लेकिन ये काफी नहीं होते, क्योंकि एक तो इनमें बैठने की क्षमता कम होती है और दूसरा ये अलग-अलग लोग खरीदते हैं, जिस कारण इनका संगठित व्यवसाय नहीं हो पाता. इस कारण आपके शहर में आपको कुछ बड़ा करने की जरूरत है. आप बैटरी चलित या साेलर एनर्जी चालित इ-रिक्शा के बारे में पता करें. दिल्ली में ये काफी प्रचलित है. चूंकि ये बैटरी चलित होते हैं, तो इनका रजिस्ट्रेशन भी नहीं करवाना पड़ता.

साथ ही सरकारी सब्सिडी के कारण ये अभी काफी सस्ते भी हैं. इसके सिस्टम में खराब होने के लिए बस मोटर और बैटरी होती है. आप कई रूटों पर एकसाथ इसकी शुरुआत कर सकते हैं. जब आप मुनाफा कमाने लगेंगे, तो आप धीरे-धीरे व्यवसाय बड़ा कर सकते हैं.

मोबाइल हेल्थ क्लिनिक और फार्मेसी में कर सकते हैं कमाई

– क्या बिहार में मोबाइल हेल्थ क्लिनिक और फार्मेसी काम कर पायेगी? मैं इस क्षेत्र में स्टार्टअप खोलना चाहता हूं. – विजय मिश्र, पुपरी

मोबाइल क्लिनिक और फार्मेसी का अर्थ होता है- चलता फिरता अस्पताल. आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में ये कुछ हद तक प्रचलित हैं. मैं आपको इसके अवसर और बाधाएं बता सकता हूं. मोबाइल क्लिनिक उन इलाकों में ज्यादा प्रचलित हैं, जहां अस्पताल लोगों से काफी दूर होते हैं और आबादी बड़ी होती है. इसका अर्थ है कि आपको ये काम ग्रामीण इलाकों में करना पड़ेगा. बिहार में इसके अवसर अच्छे हैं, क्योकि वहां गावों में अभी भी स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं पहुंची नहीं है. कई गांवों से तो नजदीकी अस्पताल 4-5 घंटे की दूरी पर होता है. आपको वहां अच्छा अवसर मिल जायेगा. दवाइयों की बिक्री के भी अच्छे अवसर मिलेंगे. साथ ही बीमा कंपनियां आपके साथ काम करना चाहेंगी. आपको इसमें सरकारी मदद भी मिल सकती है.

लेकिन इसमें चुनौतियां भी हैं- सबसे बड़ी चुनौती डॉक्टर जुटाने की है. आपको डॉक्टर को ज्यादा तनख्वाह देनी पड़ेगी, क्योंकि वो महीने में 20 दिन घूम-घूम कर काम करेंगे. साथ ही शुरुआत में आपको थोड़ी पूंजी जुटानी पड़ेगी, क्योंकि एक बस में उपकरण फिट करने में काफी खर्च आता है. दूसरी चुनौती होगी आप गंभीर बीमारी में कोई मदद नहीं कर पायेंगे, क्योंकि उसके लिए आपको अस्पताल में भर्ती की सुविधा देनी पड़ेगी.

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