टिप्पणी : 2019 के मिशन को पूरा करने के लिए एक साथ दो ट्रैक पर भाजपा
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर स्पष्ट बहुमत के लिए भाजपा एक साथ दो ट्रैक – हिंदुत्व व विकास को लेकर चल रही है. योगी आदित्यनाथ को यूपी का सीएम बनाना इसी की एक कड़ी है. बहस के क्रम में आज पढ़िए अंतिम किस्त.
राजदीप सरदेसाई
वरिष्ठ पत्रकार
भाजपा एक तरफ विकास की बात करती है और दूसरी तरफ वह हिंदुत्व को भी साथ लेकर चलती है, जैसे एक ट्रैक की दो पटरियां होती हैं. इस आलोक में देखें, तो योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने के पीछे एक रणनीति दिख रही है.
स्पष्ट तौर पर भाजपा की रणनीति है कि एक तरफ विकास की बात भी करो और हिंदुत्व के तहत सारे हिंदुओं को एक साथ जोड़ो. यानी विकास लॉगिन है और हिंदुत्व उसका पासवर्ड है. इसी के तहत भाजपा शासन करेगी, ताकि उसे ज्यादा-से-ज्यादा वोटों को हासिल करने में मदद मिल सके. यानी जो वोटर विकास चाहता है, वह भी भाजपा के साथ आये और जो वोटर हिंदुत्व से प्रभावित है, वह भी भाजपा के साथ आये.
कुल मिला कर यही कि किस तरह ध्रुवीकरण की बिसात बिछायी जाये, ताकि हिंदू वोट एकजुट हो जाये. इसीलिए एक तरफ विकास की बात हो रही है, तो दूसरी तरफ हिंदू धर्म और हिंदुत्व की बात हो रही है. वहीं एक तीसरी बात भी है, वह है राष्ट्रवाद की बात. इस तरह से ‘संपूर्ण हिंदू वोटबैंक’ की अवधारणा को चरितार्थ करने की कोशिश लगातार चल रही है और योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की सत्ता सौंपना उसका एक प्रमुख सोपान है.
दरअसल, भाजपा देश की 85 प्रतिशत आबादी को जिस तरह से अपने वोट बैंक के लक्ष्य के रूप में देख रही है, इसमें उसे जरूर फायदा मिलेगा. फिलहाल भाजपा का लक्ष्य 2019 ही है और वह यह विश्वास के साथ चाहती है कि अगले लोकसभा चुनाव में उसे एक बार फिर स्पष्ट बहुमत मिले.
इस लक्ष्य में यह भी है कि उन राज्यों में, जहां भाजपा कमजोर है, वहां भी उसे बढ़त हासिल हो. ओडिशा, केरल, पूर्वाेत्तर में किस तरह भाजपा मजबूत हो सकेगी, इसकी रणनीति पर भाजपा काम कर रही है. साथ ही, जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उनमें आगामी लोकसभा चुनाव में ज्यादा-से-ज्यादा सीटें हासिल हों. इस पूरे लक्ष्य को हासिल करने के लिए उनके पास दो ट्रैक तैयार हैं- हिंदुत्व और विकास. दिल्ली यानी केंद्र में भाजपा कहती फिरेगी कि तेजी से ‘सबका साथ सबका विकास’ हो रहा है, लेकिन वहीं देशभर में जमीनी स्तर पर हिंदुत्व की राजनीति करती रहेगी. इस रणनीति की शुरुआत योगी आदित्यनाथ से हो चुकी है.
योगी आदित्यनाथ को यह निर्देश दिया गया है कि वे यूपी की जनता को एक साफ-सुथरी और सख्त प्रशासन वाली सरकार दें और बार-बार दोहराये जानेवाले विकास के नारे पर कितना काम हो रहा है, इसको लोगों के सामने रखते रहें. लेकिन, इसके साथ ही योगी जी हिंदू और राममंदिर की भी बात करें, ताकि हिंदू लोगों को लगे कि उन्हें न्याय मिल रहा है.
इस तरह से योगी जी की छवि और विकास दोनों चल निकलेंगे. एंटी-रोमियो स्क्वॉड का गठन कर और बूचड़खानों को बंद कर इसकी शुरुआत हो चुकी है. एक तरफ यह सब भी किया जाये और दूसरी तरफ केंद्र की तमाम योजनाओं को भी जनता के सामने रखा जाये, इसी के रास्ते पर चल कर ही आगामी लोकसभा चुनाव (2019) को जीता जा सकता है, जिसमें भाजपा को 350 सीटें एक बार फिर आयें.