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वासंतिक नवरात्र सातवां दिन : कालरात्रि दुर्गा का ध्यान

करालरूपा कालाब्जसमानाकृति विग्रहा। कालरात्रिःशुभं दद्दाद् देवी चण्डाटटहासिनी।। जिनका रूप विकराल है, जिनकी आकृति और विग्रह कृष्ण कमल सदृश है तथा जो भयानक अट्टहास करनेवाली हैं, वे कालरात्रि देवी दुर्गा मंगल प्रदान करें. नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना-7 नौ कन्याओं के पूजन से जो फल की प्राप्ति होती है उसका वर्णन देवी भागवत के तृतीय […]

करालरूपा कालाब्जसमानाकृति विग्रहा।

कालरात्रिःशुभं दद्दाद् देवी चण्डाटटहासिनी।।

जिनका रूप विकराल है, जिनकी आकृति और विग्रह कृष्ण कमल सदृश है तथा जो भयानक अट्टहास करनेवाली हैं, वे कालरात्रि देवी दुर्गा मंगल प्रदान करें.

नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना-7

नौ कन्याओं के पूजन से जो फल की प्राप्ति होती है उसका वर्णन देवी भागवत के तृतीय स्कंध के अनुसार नवरात्र व्रत-अनुष्ठान में कुमारी नाम की कन्या की पूजन से दुख और दरिद्रता का नाश होता है तथा शत्रुओं का क्षय और धन, आयु और बल की वृद्धि होती है.

त्रिमूर्ति नाम की कन्या का पूजन करने से धर्म, अर्थ, काम की प्राप्ति होती है, धन-धान्य का आगमन होता है.

इसके साथ ही पुत्र-पौत्रादि की वृद्धि होती है. कल्याणी नाम की कन्या का पूजन से विद्या, विजय, पद और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है. असाध्य रोगों से छुटकारा पाने के लिए रोहिणी कन्या का पूजन करना चाहिए. शत्रुओं का नाश और उन पर विजय पाने के लिए कालिका नामक कन्या का पूजन करना चाहिए. धन और ऐश्वर्य की अभिलाषा रखनेवाले व्यक्ति को चण्डिका नामक कन्या की सम्यक रूप से अर्चना और पूजा करना चाहिए. सम्मोहन, दुख-दारिद्र्य के नाश के लिए व नाना प्रकार की विपत्तियों से मुक्त होने के लिए शांभवी कन्या का पूजन करना चाहिए. क्रूर शत्रु के विनाश और उग्र कर्म की साधना के लिए तथा परलोक में सुख पाने के लिए दुर्गा नामक कन्या की पूजा करना चाहिए. अपने मनोरथों की सिद्धि के लिए मनुष्य को सदैव सुभद्रा नाम की कन्या का पूजन करना चाहिए.

कुमारी पूजा में रोग से रहित रूपवान अंगों वाली, सौंदर्यमयी, व्रणरहित रूपवान अंगों वाली और एक वंश में अर्थात् अपने माता-पिता से उत्पन्न कन्या की ही विधिवत पूजा करना चाहिए. जो कन्या किसी अंग से हीन हो, कोढ़ और घावयुक्त हो, जिसके शरीर के किसी अंग से दुर्गंध आती हो और जो बहुत बड़े कुल में उत्पन्न हुई, ऐसी कन्या का पूजन में परित्याग कर देना चाहिए.

समस्त कार्यों की सिद्धि के लिए ब्राह्मण की कन्या, विजय प्राप्ति के लिए क्षत्रिय की कन्या और धन लाभ के लिए वैश्य की कन्या अथवा शुद्र की कन्या पूजन के योग्य मानी गयी है. नवरात्र विधि से भक्ति पूर्वक निरंतर पूजा की जानी चाहिए. यदि कोई व्यक्ति नवरात्र पर्यंत प्रतिदिन पूजा करने में असमर्थ है तो, उसे अष्टमी तिथि को विशेष रूप से कन्या की पूजा करनी चाहिए.

( क्रमशः)

प्रस्तुति

डॉ एन के बेरा

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