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इनोवेशन : पिता को भीगते देख बनाया स्मार्ट छाता

किसान के बेटे की खोज की चर्चा पहुंची जापान तक विवेकानंद सिंह इनसान की लगन और मेहनत उसे सफलता के उस मुकाम तक ले जाती है, जहां तक जाने के लिए कई लोग बस सोचते ही रह जाते हैं. मध्य प्रदेश स्थित विदिशा जिले के एक छोटे-से गांव करमेड़ी के 15 वर्षीय छात्र रामकृष्ण अहिरवार […]

किसान के बेटे की खोज की चर्चा पहुंची जापान तक
विवेकानंद सिंह
इनसान की लगन और मेहनत उसे सफलता के उस मुकाम तक ले जाती है, जहां तक जाने के लिए कई लोग बस सोचते ही रह जाते हैं. मध्य प्रदेश स्थित विदिशा जिले के एक छोटे-से गांव करमेड़ी के 15 वर्षीय छात्र रामकृष्ण अहिरवार ने लगन और मेहनत से पिछले वर्ष एक स्मार्ट छाता बनाया.
उस छाते की वजह से रामकृष्ण को मई महीने में आयोजित होनेवाले सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम 2017 में भाग लेने के लिए जापान जाने का मौका मिला है. रामकृष्ण ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके द्वारा बनाये गये छाता की प्रदर्शनी एक दिन जापान में लगेगी.
दरअसल, घटना एक वर्ष पहले की है, जब रामकृष्ण ने अपने गरीब पिता नंदराम अहिरवार को अंधेरे में भीगते देखा, तो उसके मन में इस नयी खोज ने जन्म लिया. एक साल के अंदर उसने अपनी कल्पना को सच कर दिखाया. वर्ष 2016 की इंस्पायर अवार्ड योजना के तहत इस स्मार्ट छाता को राज्य और राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान प्रदर्शनी में खूब प्रशंसा मिली. इस तरह एक के बाद एक रास्ते खुलते चले गये और रामकृष्ण के स्मार्ट छाता की चर्चा देश की सरहदें पार कर गयीं. अपने गांव से दूर कुरवाई प्रखंड के एक छात्रावास में रह कर शासकीय आदर्श हाइ स्कूल में पढ़ाई कर रहा रामकृष्ण एक बार छुट्टियों के समय घर आया हुआ था. उस दौरान रामकृष्ण ने देखा कि रात में बारिश के समय उसके पिता एक हाथ में छाता और दूसरे हाथ में टॉर्च होने की वजह से वे भीग रहे हैं.
उस घटना ने रामकृष्ण को स्मार्ट छाता के बारे में सोचने को प्रेरित किया. गांव से लौट कर स्कूल आने के बाद वह स्मार्ट छाता के निर्माण में जुट गया.
स्कूल के विज्ञान शिक्षक ने बढ़ाया हौसला : रामकृष्ण छतरी को ऐसा स्वरूप देना चाह रहा था, जिसमें रात के समय लाइट के लिए अलग से टॉर्च की आवश्यकता न रहे. उसने अपना यह आइडिया आदर्श हाइ स्कूल, कुरवाई के विज्ञान शिक्षक बलिराम साहू से शेयर किया. शिक्षक ने रामकृष्ण की बातों को गंभीरता से लेते हुए उसकी काफी मदद की. फिर बलिराम साहू ने ही रामकृष्ण के छाते की बात स्कूल के प्रचार्य फिरदौज खान को भी बतायी. प्राचार्य ने जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में उसे भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया.
रोजमर्रे की चीजों की ली मदद : घर में रोज काम में आनेवाली चीजों की मदद से रामकृष्ण ने अपनी यह अनोखी छतरी बनायी. उसने टॉर्च के बल्ब, इसके चार्जिंग प्वाइंट के लिए मच्छर मारनेवाला रैकट का चॉर्जिंग प्वाइंट, छोटा-सा सोलर पैनल और एक छाता लिया. इन्हीं चीजों की मदद से रामकृष्ण ने अपना स्मार्ट छाता तैयार किया. इसके लिए मिनिस्ट्री आॅफ साइंस एंड टेक्नोलाॅजी की तरफ से उसे इस वर्ष गणतंत्र दिवस के दिन इंस्पायर अवार्ड से सम्मानित भी किया गया.
क्या है इसकी खासियत : स्मार्ट छाता न केवल बारिश में भीगने से बचाता है, बल्कि इसकी कई और खूबियां भी हैं. छतरी में सोलर प्लेट लगायी गयी है, जो चार वोेल्ट की बैटरी को चार्ज करती है. रात के अंधेरे में रोशनी करने के लिए उसमें दो एलइडी बल्ब लगे हैं.
छाते में एक स्विच लगा है. इसे दबाते ही सायरन बजता है. दरअसल, इसे लगाने के पीछे रामकृष्ण का आइडिया था कि अगर खेत पर जाने के समय रास्ते में कोई जानवर आ जाये तो साइरन की आवाज सुना कर उसे डराया जा सकता है. इसमें एक मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट भी है. आप जान कर हैरान रहेंगे कि रामकृष्ण ने छाते में एक स्पीकर भी लगाया है, जिसे मोबाइल से कनेक्ट कर चलते-चलते रास्ते में म्यूजिक का आनंद भी लिया जा सकता है.
इसमें लगी एलइडी लाइट्स इतनी रोशनी करती है कि आप इमरजेंसी में इसकी मदद से पढ़ भी सकते हैं. अगर कई दिनों तक धूप न निकले तो इसकी बैटरी इलेक्ट्रिसिटी की मदद से भी चार्ज किया जा सकता है.
28 मई को जापान जा रहे हैं रामकृष्ण : रामकृष्ण ने बताया कि वे अभी 10वीं की परीक्षा दे चुके हैं और 28 मई से शुरू होनेवाले सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लेने के लिए जापान जाने की तैयारी कर रहे हैं. इस दौरान वह सात दिनों तक जापान में रहेंगे. इस अंतरराष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में उनके छाता को मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया जाना है.
तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं रामकृष्ण : रामकृष्ण के घर में उनके माता-पिता के अलावा भैया और दीदी हैं. पिता नंदराम अहिरवार किसान व माता गृहणी हैं. नंदराम अपने पांच बीघा जमीन में खेती करते हैं, जिससे उनके घर का खर्च चलता है. बीएससी की पढ़ाई कर चुके रामकृष्ण के बड़े भाई की शादी हो चुकी है और वे खेती में पिता की मदद करते हैं.
वहीं रामकृष्ण की दीदी बारहवीं की पढ़ाई कर रही है. रामकृष्ण ने बताया कि उसे गांव से बाहर तहसील में पढ़ाई के लिए भेजा गया है, ताकि वह अच्छी शिक्षा हासिल कर सके. रामकृष्ण की इच्छा है कि विज्ञान व तकनीक की मदद से देश खूब तरक्की करे, जिसमें उसका भी योगदान हो.

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