Bengal Chunav 2021: उर्दू की एक शेर है- ‘सियासत हो जाए जज्बाती, ऐसा कहां दस्तूर है… मगर देखा है खुराफाती, इतना जरूर है.’ आज के दौर में सियासत में जज्बात की जगह खुराफात (उत्पात) ज्यादा दिखता है. शायद राजनीति में बिकता भी बहुत है. आई-कैचिंग एक्सपीरिएंस देखनी हो तो पश्चिम बंगाल का रूख करिए. हर तरफ स्टेज-मैनेज्ड खुराफात जारी है. सीएम ममता बनर्जी की चोट भी कहीं ना कहीं सवालों के घेरे में है. पश्चिम बंगाल की सड़कों पर अपनी ‘चोट’ दिखाती फिर रहीं सीएम ममता बनर्जी के लिए ‘ये दाग अच्छे हैं’ की जगह ‘ये चोट अच्छे हैं’ का तर्जुमा बिल्कुल फिट बैठता है. तो, क्या 10 मार्च के बाद ममता बनर्जी के लिए ‘चोट’ दिखानी मजबूरी बन चुकी है?
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी 10 मार्च को नॉमिनेशन करने हॉटसीट नंदीग्राम पहुंची. नॉमिनेशन के बाद देर शाम को ममता बनर्जी ‘घायल’ हो गईं. उनकी चोट पर चिंता जताई जाने लगी. खुद ममता दीदी मीडिया से कहती दिखीं- उन पर हमला किया गया है. नंदीग्राम का नाम ममता बनर्जी के लिए काफी मायने रखता है. सालों पहले नंदीग्राम के रास्ते ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल से निकलकर दिल्ली में ताकतवर हुई थीं. उसी नंदीग्राम ने सीएम ममता बनर्जी को ‘चोट’ दे दिया और वो अस्पताल पहुंच चुकी थीं.
ममता बनर्जी 10 मार्च की देर शाम कोलकाता पहुंच चुकी थीं. कोलकाता में ममता बनर्जी को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल के बाहर सीएम ममता बनर्जी के समर्थक डटे हुए थे. उनकी चोट का आरोप बीजेपी पर लग रहा था. अचानक सोशल मीडिया पर ममता बनर्जी की एक फोटो वायरल होती है. वो अस्पताल की बेड पर पड़ी हैं. उनके बाएं पैर पर प्लास्टर लगा दिखाई देता है.
सीएम ममता बनर्जी को 12 मार्च को एसएसकेएम अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाता है. 48 घंटे बाद ममता बनर्जी अस्पताल के कैंपस में व्हील चेयर पर हाथ जोड़े दिखती हैं. उन्हें गाड़ियों के काफिला से कालीघाट आवास ले जाया जाता है. समर्थक और टीएमसी कार्यकर्ता बीजेपी पर आरोप लगाते रहते हैं. बीजेपी ‘चोट’ पर चुटकी लेती है. बीजेपी के कुछ नेता तंज करते हैं तो कुछ कविता लिखते हैं. बड़ा सवाल उठता है: क्या बंगाल की सीएम ममता बनर्जी व्हील चेयर पर बैठकर चुनाव प्रचार करेंगी?
Also Read: ममता बनर्जी की ‘चोट’ पर EC की कार्रवाई, Tweeples पूछ रहे- सड़क किनारे खड़े ‘पोल’ पर एक्शन कब?इसे आखिरी तसवीर इसलिए लिखा जा रहा है कि ममता बनर्जी ने अपने इरादे और चुनावी तिकड़म जाहिर कर दिए हैं. उन्होंने दिखा दिया है वो व्हील चेयर पर बैठकर प्रचार करेंगी. ममता बनर्जी रविवार को कोलकाता और दुर्गापुर में दिखीं. तसवीर में उनके बाएं पैर की चोट को साफ देखा जा सकता है. 10 मार्च से लेकर 14 मार्च तक ममता की ‘चोट’ को दिखाने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती गई. बड़ा सवाल यह है क्या ममता बनर्जी के लिए ‘चोट’ दिखानी जरूरी है? और क्या ‘चोट’ वाकई में बहुत अच्छे हैं?