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दिलीप घोष बोले- बंगाल में विपक्ष को मिटा देना चाहती है तृणमूल, 23 से राज्य भर में होगा विरोध प्रदर्शन

दिलीप घोष ने कहा कि चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा की करीब 6500 घटनाएं हुई हैं.

कोलकाता : बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के बाद प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में चुनाव बाद हिंसा पर चर्चा हुई. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि राज्य में चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा की करीब 6500 घटनाएं हुई हैं. इस संबंध में एससी-एसटी, मानवाधिकार आयोग के पास शिकायत की गयी है. उन्होंने कहा कि राज्य में प्रशासन का राजनीतिकरण हो चुका है. इसलिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही.

श्री घोष ने कहा कि राज्य के पूर्व मुख्य सचिव को भी घटनाओं की जानकारी दी गयी थी, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया. आशा है कि नये मुख्य सचिव इस पर कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी, तो एक बार फिर उन्हें घटनाओं का ब्योरा भेज दिया जायेगा. श्री घोष ने बताया कि 23 जून को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस से राजनीतिक हिंसा के खिलाफ राज्य भर में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू होगा.

श्री घोष ने यह भी बताया कि पार्टी के विधायक व सांसद राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे. राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा की महामहिम से शिकायत करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे पहले पुलिस थाने और बीडीओ कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किये जा चुके हैं, लेकिन हिंसा नहीं थमी है. श्री घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस राज्य को विरोधीविहीन बनाने की कोशिश में जुटी हुई है.

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अपनी कमजोरी छिपाने में लगी है तृणमूल कांग्रेस- दिलीप घोष

तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी के उस दावे पर जिसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा के कई विधायक टीएमसी में आने के लिए संपर्क कर रहे हैं, श्री घोष ने कहा कि सत्ताधारी दल अपनी कमजोरी छिपाने के लिए ऐसा कह रही है. पिछले ढाई वर्षों में कई नेताओं ने तृणमूल छोड़ा है. चुनाव से पहले तृणमूल के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ी और भाजपा में शामिल हुए. तृणमूल को अपनी पार्टी पर ध्यान देना चाहिए. ममता बनर्जी को यूपीए चेयरपर्सन बनाने की मांग पर दिलीप घोष ने कहा कि किसी लोकल पार्टी का नेता कैसे यूपीए का चेयरपर्सन बन सकता है.

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बैठक में नहीं आये मुकुल, राजीव बनर्जी और सब्यसाची दत्त

मंगलवार की सांगठनिक बैठक से पहले चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद एक बैठक हुई थी, लेकिन उसमें बहुत कम नेता शामिल हुए थे. इसके बाद वर्चुअल बैठकों का दौर शुरू हुआ. अरसे बाद नेताओं की सशरीर मौजूदगी में बैठक का आयोजन हुआ, लेकिन इसमें मुकुल राय, राजीव बनर्जी और सब्यसाची दत्त शामिल नहीं हुए. दिलीप घोष ने कहा कि कुछ नेता बीमार हैं और कुछ निजी कारणों के चलते नहीं आ सके. सभी को बैठक की सूचना दी गयी थी.

Posted By: Mithilesh Jha

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