कोलकाता (अमर शक्ति): तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाली ममता बनर्जी की सरकार और राजभवन के बीच का तकरार अब खुलकर सामने आ चुका है. अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं. सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर प्रत्यक्ष रूप से ‘भ्रष्टाचार में लिप्त’ रहने का आरोप लगाया.
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ का नाम जैन हवाला कांड से जुड़ा था और इस मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल हुई थी. वहीं, मुख्यमंत्री के आरोपों को राज्यपाल ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बातों में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है. उन्हें इतने बड़े कद की नेता से इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं थी.
इस बीच, शुक्रवार (2 जुलाई) से विधानसभा में बजट सत्र शुरू होने वाला है. नियम के अनुसार, राज्यपाल के अभिभाषण से बजट सत्र की शुरुआत होती है, लेकिन राज्यपाल ने ममता सरकार के अभिभाषण को अक्षरश: पढ़ने से इनकार कर दिया है. राज्यपाल ने साफतौर पर कहा है कि राज्य सरकार ने जो अभिभाषण उन्हें पढ़ने के लिए दिया है, उसमें कई बिंदु आपत्तिजनक हैं.
राज्यपाल ने अभिभाषण की कॉपी मिलने के बाद इस पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. इसके बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को फोन किया. लेकिन, राज्यपाल ने साफ कर दिया कि अभिभाषण में कुछ तथ्यों पर उन्हें आपत्ति है, जिसमें वह बदलाव चाहते हैं. हालांकि, राज्य सरकार अभिभाषण में किसी प्रकार के बदलाव के मूड में नहीं है.
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को कह दिया है कि इस अभिभाषण को राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है. बावजूद इसके राज्यपाल अपने फैसले पर अडिग हैं. राज्यपाल ने इस बारे में बातचीत करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बुलाया भी है. अब देखना यह है कि अगर इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल व राज्य सरकार के बीच बात नहीं बनती है, तो राज्यपाल विधानसभा में सरकार द्वारा दिये गये अभिभाषण का पाठ करेंगे या अपनी ‘मन की बात’ रखेंगे.
राज्य सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार, बजट सत्र के लिए राज्य सरकार ने राज्यपाल का अभिभाषण तैयार करके राजभवन भेजा है. अभिभाषण में तृणमूल कांग्रेस के तीसरी बार सत्ता में आने की कहानी और राज्य सरकार की विकास योजनाओं व उसकी उपलब्धियों की जानकारी दी गयी है. राज्य में कानून व्यवस्था को दुरुस्त बताया गया है, जबकि राज्यपाल ने हमेशा ही राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाये हैं.
इसके अलावा राज्यपाल ने पुलिस व प्रशासन के राजनीतिकरण का भी आरोप लगाया है. साथ ही राज्यपाल ने कोरोना रोगियों के इलाज के लिए खरीदे गये उपकरण व अम्फान चक्रवात के बाद राहत वितरण पर राज्य सरकार द्वारा किये गये खर्च का ब्योरा मांगा था, जिसे अब तक राज्य सरकार द्वारा प्रदान नहीं किया गया है. क्या राज्यपाल इस मुद्दे को भी विधानसभा में रखेंगे, यह राज्य सरकार के लिए चिंता का कारण बन गया है.
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Posted By: Mithilesh Jha