पश्चिम बंगाल में कामदुनी में 21 वर्ष की एक कॉलेज छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटना को 10 साल बीत चुके हैं. आज कामदुनी मामले का फैसला कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta high court) ने सुनाया है. दोषी अंसार अली मुल्ला व सैफुल अली मोल्ला को फांसी की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.आरोपी अमीन अली को मौत की सजा से बरी कर दिया गया. इम्मानुल हक को आजीवन कारावास के बदले रिहा कर दिया गया. भोलानाथ नस्कर को आजीवन कारावास के बदले रिहा कर दिया गया. अमीनुर इस्लाम को भी आजीवन कारावास के बजाय रिहा कर दिया गया.
7 जून 2013 को उत्तर 24 परगना के कामदुनी में कॉलेज से लौटते समय एक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसकी नृशंस हत्या कर दी गई थी. उस घटना से पूरे राज्य में हंगामा मच गया था. दिल्ली के निर्भया कांड की तरह इसकी लहरें देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचीं थी. दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था. दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कामदुनी दौरे के दौरान स्थानीय निवासी मौसमी और टुम्पा कयाल ने उनके सामने विरोध प्रदर्शन किया था. मौसमी ने शुक्रवार को फैसला सुनाए जाने के बाद कहा, हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेंगे. मैं निर्भया केस के वकील की मदद लूंगा.
Also Read: सिक्किम में बादल फटा, बंगाल में उफनाई तीस्ता नदी, बाढ़ के बने हालात सीएम ममता बनर्जी ने रद्द की छुट्टियां
शुरुआत में इस घटना की पुलिस ने जांच शुरू की थी लेकिन बाद में सीआईडी ने घटना की जांच अपने हाथ में ले ली थी. आरोपपत्र में नौ लोगों पर आरोप लगाये गये थे. एक आरोपी गोपाल नस्कर की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी. 30 जनवरी, 2016 को बैंकशाल कोर्ट की न्यायाधीश संचिता सरकार ने छह आरोपियों की सजा की घोषणा की थी. इनमें सैफुल अली मोल्ला, अंसार अली और अमीन अली को मौत की सजा सुनाई गई थी. शेष तीन अपराधियों शेख इमानुल इस्लाम, अमीनुल इस्लाम और भोलानाथ नस्कर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. दो अन्य आरोपियों रफीक गाजी और नूर अली को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया था.
Also Read: ममता बनर्जी व अभिषेक बनर्जी ने खोला व्हाट्सएप चैनल, अधिक लोगों से जनसंपर्क करने के लिये अनूठी पहल
अदालत ने सैफुल अली, अंसार अली और अमीनुल को अली को सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के तहत धारा 376 (डी) (सामूहिक दुष्कर्म), 302 (हत्या), 120बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत दोषी करार दिया. इमानुल इसलाम, अमीनुल इसलाम और भोला नस्कर को धारा 376 डी (सामूहिक दुष्कर्म), 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और 201 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत दोषी करार दिया गया था. तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) (सामूहिक बलात्कार), 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत दोषी ठहराया गया. न्यायाधीश ने इमानुल इसलाम, अमीनुल इसलाम और भोला नास्कर को धारा 376 (डी) (सामूहिक बलात्कार), 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और 201 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत दोषी पाया.
Also Read: ममता बनर्जी ने कहा : महिला सशक्तिकरण में बंगाल नंबर 1, न्यूटाउन में विश्वस्तरीय शॉपिंग मॉल खोलेगा लुलु ग्रुप
जज संचिता ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए समाज को कड़ा संदेश देने की जरूरत है, ताकि ऐसे अपराधों पर पर्दा न डाला जा सके. उन्होंने टिप्पणी की थी ऐसी अपराध प्रवृत्तियों को शुरुआत में ही खत्म करने की जरूरत है अन्यथा यह अपराध समाज में जंगल की आग की तरह फैल जायेगा. फरवरी 2016 में सजा की घोषणा के कुछ हफ्ते बाद दोषियों ने फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. पिछले दिसंबर में न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने छह अपराधियों की याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. शुक्रवार को उन्होंने फैसला सुनाया.
Also Read: ममता बनर्जी ने कहा : महिला सशक्तिकरण में बंगाल नंबर 1, न्यूटाउन में विश्वस्तरीय शॉपिंग मॉल खोलेगा लुलु ग्रुप
गौरतलब है कि 21 वर्ष की एक कॉलेज छात्रा के साथ जून 2013 में दरिंदगी से बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी गयी थी. सैफुल अली ने लड़की को सड़क पर रोका और उसे एक फार्महाउस के भीतर ले गया, जहां इस अपराध को अंजाम दिया गया. उसे धारा 109 (अपराध में सहायता देना) और 342 (किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकना) के तहत दोषी पाया गया था.