बीरभूम/बर्दवान, मुकेश तिवारी. पूर्व बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ में बीते शनिवार की रात कोलकाता जाने के क्रम में कोयला कारोबारी राजू झा की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. इस घटना के बाद से ही पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है. साथ ही बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद कोल कारोबारी राजू झा का बीरभूम जिले के गौ तस्करी और अवैध बालू कारोबारी अब्दुल लतीफ के साथ बालू के अवैध कारोबार से राजू झा का भी तार जुड़ा हुआ था. यह कारोबार कोलकाता के एक राजनीतिक प्रभावशाली नेता के इशारे पर चल रहा था. हाल ही में सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां राज्य में गाय, कोयला सहित कई अवैध कारोबार की जांच में सक्रिय हुई हैं.
कार में दो बैग से बरामद किए 59 लाख रुपये
जिस दिन राजू झा की हत्या हुई थी, सूत्रों का दावा है कि उस दिन कार में दो बैग से 59 लाख रुपये बरामद किए गए थे. बताया जाता है कि कोलकाता में एक प्रभावशाली व्यक्ति के यहां पैसा ले जाया जा रहा था. लतीफ के गायब होने की वजह से उन दोनों बैग का कोई पता नहीं चल रहा है और यहां से रहस्य गहराता जाता है. गोली लगने के बाद राजू झा को बर्दवान के एक अस्पताल में ले जाया गया. वहां लगे सीसीटीवी फुटेज में लतीफ की मौजूदगी भी देखी गई. डॉक्टर तब राजू झा को मृत घोषित कर दिया और लतीफ का कोई पता नहीं चला.
मौत की खबर लेने अस्पताल गया था लतीफ
स्वाभाविक रूप से कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या राजू झा की मौत की खबर लेने लतीफ अस्पताल गया था. इन सवालों में लतीफ के साथ रहे बाउंसरों का भी मामला सामने आ रहा है. राजू की मौत की खबर पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच के लिए एक विशेष सीट का गठन किया है. कई लोग दावा कर रहे हैं कि जांच के लिए सबसे पहले कोलकाता के प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति का पता लगाना बहुत जरूरी है. उनका दावा है कि राजू झा को केंद्रीय एजेंसी ने बुलाया था. अगर उसने सब कुछ बता दिया होता तो इस बात का प्रबल डर था कि कोलकाता के प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति भी फंस सकते है.
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हत्या की रची गयी थी गहरी साजिश ?
इस वजह से जांच के लिए उपस्थित होने से पहले, राजू झा को मारने की योजना बनाई गई थी. यह सोचकर कि अब्दुल लतीफ को राजू झा का एक दोस्त था, राजू को गहरा विश्वास था कि वह जिस व्यक्ति की कार में उस दिन जा रहा है, वह एक सोची समझी साजिश का शिकार हो गया है. राजू की हत्या में कहीं कोलकाता के उक्त प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति ने तो आदेश नहीं दिया था? अगर नहीं तो कार में मौजूद अब्दुल लतीफ कैसे बच गया. ये तमाम तरह के सवाल अब औद्योगिक क्षेत्र की गलियों में सुनने को मिल रहे हैं. अब देखना है कि जांच सही दिशा में जाती है या उस रसूखदार के इशारे पर बीच में ही रुक जाती है यह बड़ा सवाल है ?
जांच करने दुबारा पहुंची कोलकाता से फॉरेंसिक टीम
राजू झा हत्याकांड की जांच करने मंगलवार दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर कोलकाता से फोरेंसिक विशेषज्ञ चित्राक्षर सरकार के नेतृत्व में चार सदस्यों की टीम शक्तिगढ़ थाने में दाखिल हुई. वहां से फोरेंसिक टीम हत्या वाले स्थान पर पहुंचे. वहां टीम के सदस्यों ने टूटी हुई कार की खिड़कियों के शीशे और भूमि से मिट्टी एकत्र की. फिर वे वापस शक्तिगढ़ थाने पहुंचे. फॉरेंसिक टीम वहां रखी हमलावरों द्वारा इस्तेमाल की गई कार और उस कार से भी सैंपल को कलेक्ट किया. इसके साथ ही जिस कार में राजू झा की मौत हुई थी उसकी दुबारा जांच हुई.