पश्चिम बंगाल के बशीरहाट की तृणमूल सांसद नुसरत जहां को फ्लैट देने के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी के मामले में को ईडी ने समन भेजा है. उन्हें अगामी मंगलवार को सीजीओ कॉम्प्लेक्स में पेश होने के लिए कहा गया है. ईडी सूत्रों के मुताबिक नुसरत के साथ उस संस्था के निदेशक राकेश सिंह को भी समन भेजा गया है. उन्हें भी 12 सितंबर यानि की मंगलवार को ईडी दफ्तर में भी पेश होना है.
नुसरत पर आरोप है कि 2014-15 में 400 से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों से फ्लैट देने के नाम पर 5.5 लाख रुपये लिए गए थे. इसके बदले उन्हें 1,000 वर्ग फुट का फ्लैट देने का वादा किया गया था. लेकिन उन्हें न तो फ्लैट मिला और न ही पैसे वापस मिले. बीजेपी नेता शंकुदेव पांडा ने दावा किया कि नुसरत संगठन की ‘एकमात्र निदेशक’ थीं.
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शंकुदेव के मुताबिक उन्होंने इस संबंध में पुलिस से संपर्क किया था लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. नुसरत के खिलाफ कोर्ट में केस भी दायर किया गया था. लेकिन आरोप है कि कोर्ट से समन मिलने के बावजूद सांसद और एक्ट्रेस पेश नहीं हुई. आखिरकार शंकुदेव ठगे गए लोगों के साथ ईडी दफ्तर पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई. राज्य के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने बाद में यह भी दावा किया कि नुसरत ने ‘धोखाधड़ी’ के पैसे से पाम एवेन्यू में एक फ्लैट खरीदा था.
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इस संदर्भ में शंकुदेव ने कहा कि ‘बशीरहाट की तृणमूल सांसद नुसरत ने एक कंपनी बनाई और सेवानिवृत्त बुजुगों से 5 लाख 55 हजार रुपये लिए. उन्होंने करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया है, फ्लैट के नाम पर लोगों को ठगा है. उन्हीं पैसों से पाम एवेन्यू में एक फ्लैट खरीदा. थाने में शिकायत दर्ज नहीं हुई तब हमें ईडी का सहयोग लेना पड़ा. अब ईडी की ओर से कार्रवाई की जाएगी.
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आरोप सामने आने के बाद नुसरत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. वहीं उन्होंने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. तृणमूल सांसद नुसरत जहां का कहना है कि मैंने अपना घर भ्रष्टाचार के पैसे से नहीं खरीदा है. मैं जिस कंपनी से जुड़ी हुई थी उससे मैंने 1 करोड़ 16 लाख 30 हजार 285 रुपये का लोन लिया था. मैंने उन पैसों से एक घर खरीदा. 6 मई 2017 को मैंने कंपनी को 1 करोड़ 40 लाख 71 हजार 995 रुपये व्याज समेत लौटा दिए. मेरे पास बैंक के दस्तावेज भी हैं. में 300 फीसदी चुनौती दे सकती हूं कि मैं भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हूं. अगर मैंने एक पैसा भी लिया होता तो भी मैं यहां नहीं आती.
शंकुदेव ने ईडी को बताया कि नुसरत गरियाहाट रोड की एक कंपनी की संयुक्त निदेशक है. उस संस्था ने 2014 में कुल 429 लोगों से 5 लाख 55 हजार पैसे लिए गये. इसके बाद उन्हें राजारहाट में हिडको कार्यालय के पास प्रत्येक के लिए 3 बीएचके फ्लैट देने का वादा किया गया था. तीन साल के अंदर फ्लैट देने का वादा किया गया था. लेकिन 2023 तक पहुंचने के बाद भी आरोप है कि कोई पलैट नहीं मिला.
ईडी बंगाल में विभिन्न वित्तीय भ्रष्टाचार के मामलों में काफी सक्रिय है. कुछ दिन पहले ही उन्होंने भर्ती मामले में एक सूत्र का हवाला देते हुए सत्तारूढ़ दल की एक अन्य अभिनेत्री सदस्य और युवा तृणमूल की अध्यक्ष सायोनी घोष को भी तलब किया था. ऐसे में नुसरत को लगभग यकीन था कि ईडी उन्हें समन नहीं भेजेगी . वह इतना आश्वस्त कैसे थी ? कई लोग ये भी कह रहे थे कि यश एक बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव में खड़े हुए थे. हालांकि चुनाव हारने के बाद उन्हें बीजेपी के किसी भी कार्यक्रम में सार्वजनिक तौर पर नहीं देखा गया. लेकिन उन्होंने कभी यह घोषणा नहीं की कि वह अब बीजेपी में नहीं हैं. हो सकता है यश का बीजेपी से ‘कनेक्शन’ अभी भी बरकरार हो और उसी के आधार पर उनकी पत्नी नुसरत की आवाज में आत्मविश्वास का स्वर है. लेकिन पता चला कि नुसरत की ‘भविष्यवाणी’ सच नहीं हुई. केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुला ही लिया है. अब यह देखना बाकी है कि वह तय दिन पर ईडी कार्यालय में उपस्थित होती हैं या नहीं.
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