15.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रियल लाइफ की गीता मां, भीख मांगने वाले बच्चों की बदली किस्मत, खाने के साथ पढ़ाई का उठाया बीड़ा

यह कहानी है हावड़ा स्टेशन के बच्चों की. दरअसल, पश्चिम बंगाल के हावड़ा रेलवे स्टेशन पर कई बच्चे भीख मांगकर गुजारा करते थे. इन बच्चों (बाबूसोना, संजू, मोनू, दिलीप, चिंटू) की जिंदगी में बदलाव की बयार बही है.

छोटे पर्दे पर आने वाले एक डांस रियलिटी शो की जज को कंटेस्टेंट गीता मां कहते हैं. आज हम आपको रियल लाइफ की गीता मां से मिलवाते हैं, जो प्लेटफॉर्म पर भीख मांगने और जूठा खाना खाकर पेट भरने वाले बच्चों की लाइफलाइन बन चुकी हैं. यह सच्ची कहानी है हावड़ा स्टेशन के लावारिस बच्चों की. पश्चिम बंगाल के हावड़ा रेलवे स्टेशन पर कई बच्चे भीख मांगकर गुजारा करते थे. इन बच्चों (बाबूसोना, संजू, मोनू, दिलीप, चिंटू) की जिंदगी में बदलाव की बयार बही है.

Also Read: पश्चिम बंगाल में हैरान करने वाली घटना, जिस सांप ने डसा उसे ही साथ लेकर अस्पताल पहुंचा शख्स
जिसका कोई नहीं, उन्हें गीता मां का सहारा…

गरीब बच्चों ने हावड़ा स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बसेरा बनाया. यहीं भीख मांगकर और जूठन से वो जिंदगी काट रहे थे. कई बच्चों के सिर पर मां-बाप का साया नहीं है. किसी को इन बच्चों परवाह नहीं रही. इन बेसहारों बच्चों को गीता राउत ने सहारा दिया है. बच्चे भी गीता राउत को मैडम या दीदी नहीं, गीता मां कहकर बुलाते हैं. गीता राउत हावड़ा स्टेशन पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाती हैं. उन्होंने बेसहारा बच्चों के खाने का खर्च भी उठाया है. बच्चों को मां-बाप का प्यार भी दिया है.

हुगली नदी के किनारे लगती है बच्चों की क्लास

गीता राउत बताती हैं कि वो कुल 50 बच्चों को रोजाना पढ़ाती हैं. पढ़ने का टाइम आते ही बच्चे गीता मां का इंतजार करने लगते हैं. बच्चों को पढ़ाने से पहले गीता मां उनके लिए नाश्ता लेकर भी आती हैं. पेट भर कर नाश्ता कराने के बाद गीता राउत बच्चों को लेकर पढ़ाने बैठ जाती हैं. अनाथ बच्चों की क्लास हावड़ा स्टेशन के बाहर हुगली नदी के किनारे लगती है. यहां कमरे में गीता बच्चों को पढ़ाती हैं. क्लास रूम में 5 से लेकर 17 साल तक के बच्चे शामिल हैं. कई बच्चे नशे के शिकार थे. गीता राउत ने उन बच्चों की काउंसिलिंग करके उन्हें नशे से निकाल चुकी हैं.

Also Read: Delhi School News : दिल्ली में जल्द खुलेंगे छठी से आठवीं तक के स्कूल! जानें झारखंड-बंगाल का हाल
शुरू में हुई दिक्कत, बाद में मिली सफलता

पश्चिम बंगाल के उत्तर पाड़ा में गीता राउत का घर है. स्टूडेंट लाइफ में गीता लावारिस बच्चों को देखकर भावुक हो जाती थी. वो अपना टिफिन और पॉकेट मनी भी लावारिस बच्चों से शेयर कर लेती थीं. कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद गीता ने लावारिस बच्चों को पढ़ाना और खिलाना शुरू किया. पहले उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बाद में बच्चों को समझाया और सफलता मिली. गीता की मदद समाजसेवी किशोर जायसवाल भी करते हैं. गीता जो कमाती हैं, सब लावारिस बच्चों की देखभाल में लगा देती हैं. बच्चे भी कहते हैं कि मां हो तो गीता मां जैसी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें