कोलकाता. पंचायत चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में सियासी सरगर्मी बढ़ गयी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रेड रोड पर डॉ बीआर आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष तृणमूल कांग्रेस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ बुधवार को रातभर धरने पर बैठी रहीं. पश्चिम बंगाल के प्रति केंद्र सरकार के कथित भेदभावपूर्ण रवैये के विरोध में वे कोलकाता में दो दिवसीय धरने पर बैठी हैं. इनके साथ फरहाद हकीम और अरूप बिस्वास सहित पार्टी के कई नेता धरने में शामिल हुए.
लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों से की ये अपील
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने रुख में बदलाव करते हुए सभी राजनीतिक दलों से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ने का आग्रह किया था. इससे पहले सीएम ममता बनर्जी ने कांग्रेस एवं भाजपा दोनों से समान दूरी बनाए रखने का फैसला किया था, लेकिन बुधवार को उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ना चाहिए.
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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
हाई प्रोफाइल नेताओं की मौजूदगी और उन्हें खतरा की आशंका को ध्यान में रखते हुए धरना स्थल और उसके आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और आवासीय एवं सड़क विभाग की योजनाओं के तहत केंद्र द्वारा कथित रूप से निधि जारी नहीं किए जाने के खिलाफ धरना शुरू किया है. यह धरना गुरुवार शाम तक जारी रहेगा.
पंचायत चुनाव से पहले बढ़ी सियासी सरगर्मी
पंचायत चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में सियासी गहमागहमी बढ़ गई है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार करते हुए कहा था कि 2023 के स्थानीय निकाय चुनावों में सीट आरक्षण मानदंड को लेकर याचिकाकर्ता शुभेंदु अधिकारी की दलील में दम है. अदालत के इस फैसले के साथ पंचायत चुनाव को हरी झंडी मिल गयी है.