West Bengal Vidhan Parishad News: पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को विधान परिषद बनाने के प्रस्ताव को पास कर दिया. ममता बनर्जी सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में 196 वोट और विपक्ष में 69 वोट पड़े. इस दौरान सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला.
दरअसल, दो मई को निकले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के रिजल्ट में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के हाथ में तीसरी बार सत्ता आई. रिजल्ट में टीएमसी ने दोहरा शतक (213 सीटें) लगाकर बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया. रिजल्ट में ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट से हार मिली. इसके बावजूद उन्होंने 5 मई को सीएम पद की शपथ ली. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भवानीपुर सीट से उप चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने की तैयारी में हैं. पश्चिम बंगाल में उपचुनाव और राज्यसभा चुनाव कराने की तैयारी भी हो रही है. इसी बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने पश्चिम बंगाल में विधान परिषद के गठन की कोशिशें तेज कर दी है.
एक समय था जब पश्चिम बंगाल में विधान परिषद हुआ करती थी. आजादी के बाद बंगाल के पहले सीएम डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने 1952 में विधान परिषद का गठन किया था. इसे 1 अगस्त 1969 को समाप्त करने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर केंद्र सरकार के पास भेजा गया था. संसद में पश्चिम बंगाल विधान परिषद (उन्मूलन) अधिनियम 1969 को 1 अगस्त 1969 से लागू कर दिया गया. इसके बाद विधान परिषद समाप्त हो गया था.
पश्चिम बंगाल में विधान परिषद का इतिहास
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सीएम ममता बनर्जी सरकार ने मंगलवार को सदन में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पेश कर दिया. इसे सदन ने पास भी कर दिया है. इसके बाद पश्चिम बंगाल में विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया तेज हो सकती है. माना जा रहा है कि ममता बनर्जी ने विधान परिषद गठन करने का फैसला सत्ता की बागडोर संभाले रखने के लिए लिया है. ममता विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं. अब, छह महीने के भीतर सांवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक उनका उपचुनाव जीतना जरूरी है. अगर वो ऐसा नहीं करती हैं तो उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना होगा. बंगाल में उप चुनाव होने के कयास लग रहे हैं. ऐसा भी हो सकता है कोरोना को देखते हुए तारीखों को आगे बढ़ाया जा सकता है. इससे निपटने के लिए सरकार ने विधान परिषद बनाने का फैसला लिया है.
अगर पश्चिम बंगाल में विधान परिषद का गठन होता है तो इसमें 98 सदस्य (विधानसभा का एक तिहाई) हो सकते हैं.
बंगाल में विधान परिषद गठन की कोशिशें तेज
इसके पहले ममता बनर्जी ने विधान परिषद बनाने के कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दी थी. अब विधानसभा से प्रस्ताव पारित करा दिया गया है. इसे संसद की स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. पश्चिम बंगाल विधानसभा की बात करें तो यहां कुल 294 सीटें हैं. पश्चिम बंगाल में विधान परिषद नहीं है. इस बार के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने 213 सीटों पर जीत हासिल की है. इस लिहाज से देखा जाए तो पार्टी के पास पूर्ण बहुमत है और वो विधान परिषद के प्रस्ताव को आसानी से पास कराकर केंद्र में भेज सकती है. इसके बावजूद प्रस्ताव भेजने भर से विधान परिषद आकार नहीं लेगा. इसके गठन की प्रक्रिया जटिल के साथ काफी टाइम टेकिंग भी है.
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संविधान में विधान परिषद के गठन का प्रावधान है. इसे उच्च सदन के नाम से भी जाना जाता है. बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में विधान परिषद है. जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद विधान परिषद की मान्यता खत्म हो गई थी. संविधान के अनुच्छेद 169, 171(1) और 171 (2) में विधान परिषद गठन करने का प्रावधान है.
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विधानसभा के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करके संसद को भेजा जाता है.
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अनुच्छेद 171(2) के मुताबिक लोकसभा और राज्यसभा बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है.
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प्रस्ताव को पारित करके राष्ट्रपति के पास उनके हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है.
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राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधान परिषद के गठन की अनुमति मिल जाती है.