मुंबई आतंकी हमले के षड्यंत्रकारी साजिद मीर को साढ़े 15 साल की जेल की सजा सुनायी गयी है. यह खबर भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए झटके से कम नहीं है. दरअसल पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के षड्यंत्रकारी साजिद मजीद मीर को आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में 15 साल से अधिक की जेल की सजा सुनाई है. यहां चर्चा कर दें कि पाकिस्तान ने पहले साजिद मजीद मीर को मृत घोषित किया था.
साजिद मीर 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों में अपनी भूमिका के लिए भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल है. उस पर अमेरिका ने भी 50 लाख डॉलर का इनाम रखा हुआ है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पाकिस्तान वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है. पंजाब पुलिस का आतंकवाद निरोधी विभाग (सीटीडी), जो अक्सर मीडिया को ऐसे मामलों में संदिग्धों के दोषी सिद्ध होने की जानकारी देता है, उसने साजिद मजीद मीर की दोषसिद्धि की सूचना नहीं दी.
दरअसल, धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ इस्लामाबाद की ओर से उठाए गए कदमों और इस संबंध में किए गए सुधारों के क्रियान्वयन की समीक्षा करने के लिए आतंकवाद के वित्तपोषण की वैश्विक प्रहरी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के अधिकारी जल्द ही पाकिस्तान का दौरा करने वाले हैं. लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के नेताओं के आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों से जुड़े एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में लाहौर की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक कार्यकर्ता साजिद मजीद मीर को साढ़े 15 साल की जेल की सजा सुनाई थी.
वकील के मुताबिक, चूंकि यह कड़ी सुरक्षा वाली जेल में बंद कमरे में होने वाली सुनवाई थी, इसलिए मीडिया को अनुमति नहीं दी गयी थी. वकील ने बताया कि साजिद मजीद मीर अप्रैल में अपनी गिरफ्तारी के बाद से ही लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है. उन्होंने कहा कि अदालत ने साजिद मजीद मीर पर चार लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया है. पाकिस्तानी अधिकारियों ने अतीत में दावा किया था कि साजिद मजीद मीर की मौत हो चुकी है, लेकिन पश्चिमी देशों को इस पर शक था. उन्होंने मीर की मौत का प्रमाण देने मांग की थी. आतंकवाद के वित्तपोषण की रोकथाम के लिए पिछले साल के अंत में निर्धारित की गयी कार्य योजना पर पाकिस्तान की प्रगति को लेकर एफएटीएफ के आकलन में यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण बिंदु साबित हो सकता है.
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पाकिस्तान के दैनिक समाचार पत्र डॉन की शनिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक साजिद मजीद मीर को सजा सुनाने का मामला एफएटीएफ के आकलन से जुड़ा हुआ है. पाकिस्तानी अधिकारियों ने कार्य योजना पर हाल में एफएटीएफ को सौंपी प्रगति रिपोर्ट में साजिद को दोषी करार देने और उसे सजा सुनाए जाने का इस्लामाबाद की प्रमुख उपलब्धियों के रूप में उल्लेख किया है. इसने वास्तव में एफएटीएफ सदस्यों को यह समझाने में मदद की है कि पाकिस्तान ने कार्य योजना के सभी आवश्यक कार्य पूरे कर लिए हैं. साजिद मजीद मीर (44) अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) की वांछित आतंकवादियों की सूची में भी शामिल है. अमेरिका ने 26 नवंबर के मुंबई हमले में साजिद की भूमिका के लिए उस पर पांच लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम भी घोषित किया है.
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी. एफएटीएफ की आखिरी बैठक से पहले, पाकिस्तान ने एजेंसी को बताया कि उसने साजिद मीर को गिरफ्तार किया है और मुकदमा चलाया है. पाकिस्तान ने ऐसा एफएटीएफ की ग्रे सूची से हटने के लिए किया था. साजिद मीर को मुंबई हमलों का ‘प्रोजेक्ट मैनेजर’ कहा जाता है. साजिद मीर 2005 में फर्जी नाम से फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर भारत भी आया था.
एफबीआई के मुताबिक, साजिद मीर ने कथित तौर पर 2008 और 2009 के बीच डेनमार्क में एक अखबार और उसके कर्मचारियों के खिलाफ आतंकवादी हमले की साजिश रची थी. उल्लेखनीय है कि मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को लाहौर की आतंकवाद-निरोधी अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में 68 साल कैद की सजा सुनाई थी. इसके अलावा, मुंबई हमले के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी को भी कई साल जेल की सजा सुनाई गई है. हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की भी लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद हैं.
हाफिज सईद को आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में जुलाई 2019 में गिरफ्तार किया गया था. संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में भी उसका नाम है. अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया हुआ है. पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे अपने करीबी सहयोगियों की मदद से एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से बचता रहा है.