Cyber Attack : दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका (ओसाीगमो) के नाक के नीचे होती रही चोरी, और ट्रंप प्रशासन को इसकी कानोंकान खबर तक नहीं हुई. अमेरिका की राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन (NNSA) और ऊर्जा विभाग (Energy Department) के खुफिया डेटा की चोरी लगातर कई महीनों से हो रही थी. यह भी दावा किया जा रहा है कि हैकरों ने बड़ी मात्रा में गोपनीय फाइलें गायब की हैं. CNN के अनुसार, सीआईए, एफबीआई और होमलैंड सिक्योरिटी के डेटा पर चीन और रूस के हैकर्स महीनों से सेंधमारी कर रहे थे. हैकर्स लगातार यहां से फाइलों को गायब कर रहे थे.
सीएनएन के अनुसार, ट्रंप प्रशासन जेटा चोरी मामले को गंभीरता से ले रहा है. और इसके लेकर बीते दिन मीटिंग भी बुलाई गई थी. इधर, अमेरिकी मीडिया पॉलिटिको के मुताबिक, ऊर्जा विभाग के अधिकारी रॉकी कैंपियोन ने घटना की पुष्टि की है. जिसके बाद अमेरिका की राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन और ऊर्जा विभाग की टीम ने सभी जानकारियों को कांग्रेस समिति को भेज दी है.
साइबर हमले की रिपोर्ट मिलने के बाद अमेरिका में गोपनीये दस्तावेज और कम्प्यूटर नेटवर्क की सुरक्षा में कई कदम उठाये हैं. वहीं, अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में अज्ञात सूत्रों के हवाले से खबर छपी है, जिसके अनुसार, अमेरिका पर यह साइबर हमला रूसी खुफिया ऐजेंसी के हैकरों ने किया है. बता दें कि, अमेरिका में साइबर घुसपैठ का पता उस समय जब साइबर सुरक्षा से जुड़ी फायर आई कंपनी ने खुलासा किया कि साइबर सुरक्षा में सेंध लगाई गई है. वहीं, कंपनी ने इशारों में कहा कि साइबर हमले के पीछे रूस का हाथ हो सकता है.
गैौरतलब है कि, फेडरल एनर्जी रेगुलेटरी कमीशन, सैंडिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला, लॉस अलामोस राष्ट्रीय प्रयोगशाला समेत कई और कार्यालयों पर हैकरों ने सेंधमारी की है. बता दें, यह सभी विभाग अमेरिका के परमाणु हथियारों के भंडार के रखरखाव और उनकी सुरक्षा से संबंध रखती है. अमेरिका के गुप्त ठिकानों पर साइबर हमले से इतर, माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने भी दावा किया है कि उसके सिस्टम में भी इस एसे सॉफ्टवेयर्स पाए गए हैं. जो हैंकिंग से जुड़े है.
Posted by: Pritish Sahay